New Delhi: भारत में फॉर्मूला ई के लिये सही समय

New Delhi: भारत में फॉर्मूला ई के लिये सही समय

नयी दिल्ली: इस सप्ताह हैदराबाद में पहली ई प्री के जरिये फॉर्मूला ई विश्व चैम्पियनशिप पहली बार भारत में होने जा रही है। इस सीरिज में भाग ले चुका एकमात्र भारतीय होने के नाते मैं काफी रोमांचित हूं कि इसका आयोजन भारत में हो रहा है। दुनिया भर में इलेक्ट्रिक गतिशीलता क्रांति देखी जा रही है और भारत भी अलग नहीं है। टाटा और महिंद्रा जैसे ब्रांड ईवी रेंज लांच कर रहे हैं और सरकार देश भर में इलेक्ट्रिक बुनियादी ढांचा खड़ा करने के लिये कदम उठा रही है, ऐसे में यह भारत में इलेक्ट्रिक रेसिंग चैम्पियनशिप कराने का सही समय है।

जिन दोनों ब्रांड की मैने बात की, वे फॉर्मूला ई से भी जुड़े हैं। मैं 2014 में महिंद्रा टीम से जुड़ा था और अब टाटा ग्रुप भी अपने जागुआर ब्रांड के जरिये इससे जुड़ गया है। फॉर्मूला ई रेस की सबसे अनूठी बात यह है कि रेस सर्किट की बजाय शहर की सड़कों पर होती है। इससे शहरों को भी दुनिया भर के दर्शकों के सामने खुद को पेश करने का मौका मिलता है। हैदराबाद की सड़के दिलचस्प हैं और ड्राइवरों को यहां मजा आयेगा। तेलंगाना सरकार और प्रमोटर ग्रीनको ने उस हिस्से को चुना है जो टीवी पर शानदार नजर आयेगा। ट्रैक में 17 कोने हैं और तेज तथा तकनीकी वर्ग का अच्छा मिश्रण भी है।

इस सत्र में फॉर्मूला ई ने तीसरी पीढी की कारें पेश की है जिसमें ब्रेक लगाने के समय ऊर्जा फिर से पैदा करने पर जोर है।जब ड्राइवर ब्रेक दबाता है तो कार 600 किलोवाट ऊर्जा पैदा करती है जो फिर बैटरी में चली जाती है ताकि वे ज्यादा देर तक चल सकें। मैं 2011 से 2013 के बीच दिल्ली में फॉर्मूला वन ग्रां प्री से भी जुड़ा था जिससे देश में इस खेल की लोकप्रियता बढी। भारत जैसे क्रिकेट के दीवाने देश में दूसरे खेलों के लिये अपनी जगह तलाशना मुश्किल होता है लेकिन उम्मीद है कि दर्शकों को यह रेस पसंद आयेगी। (करूण चंडोक फॉर्मूला वन में भाग लेने वाले नरेन कार्तिकेयन के अलावा अकेले भारतीय हैं।


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yhfee@chitthi.in, 10 June 2023

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