प्रयागराज में 10 जून 2022 को हुई अटाला हिंसा के मास्टरमाइंड जावेद पंप को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है। उस पर भीड़ को उकसाने और अटाला में एक ही पर एकत्र करने का आरोप है।
कोर्ट ने कहा कि जावेद को निजी मुचलका और 2 सिक्योरिटी के साथ रिहा किया जाए। यह आदेश जस्टिस समीर जैन ने जावेद मोहम्मद उर्फ पंप की जमानत अर्जी को स्वीकार करते हुए दिया है।
जावेद को सियासी रंजिश की वजह से फंसाया
जावेद की ओर से अधिवक्ता एसएफए नकवी ने बहस की। उन्होंने तर्क दिया कि जावेद को सियासी रंजिश की वजह से फंसाया गया है। जावेद के खिलाफ लगे सारे आरोप झूठे हैं। वह एक सामाजिक कार्यकर्ता है। भीड़ के एकत्र होने और उसके हिंसक होने में उसकी कोई भूमिका नहीं है। उसके खिलाफ विशेष रूप से प्राथमिकी भी नहीं दर्ज है। इस घटना में मामले में सह अभियुक्तों को कोर्ट ने पहले ही जमानत दे दी है। वह जेल में है। लिहाजा, याची भी जमानत का हक है।
एसएफए नकवी की ओर से दिए गए तर्क का सरकारी अधिवक्ता ने विरोध किया। कहा कि भीड़ को उकसाने में याची की भूमिका स्पष्ट है। 10 जून 2022 को हुई घटना में आईपीसी की विभिन्न धाराओं में करेली थाने में प्राथमिकी दर्ज है। उसके कृत्य से शांति-व्यवस्था का खतरा उत्पन्न हुआ। कई वाहन जला दिए गए और कई पुलिस कर्मी घायल हुए। उसके उन्माद से लोगों में भय व्याप्त हो गया। कोर्ट ने तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए जमानत मंजूर करते हुए उसे जमानत पर रिहा करने का आदेश पारित किया।
भाजपा नेता नूपुर शर्मा की टिप्पणी के बाद पूरे देश में जमकर विरोध और बवाल हुआ था। 10 जून को जुमे की नमाज के बाद अटाला में भी हजारों उपद्रवियों ने एकत्र होकर पत्थरबाजी की थी। इस दौरान कई वाहनों के शीशे टूट गए थे और दर्जनों जवानों-पुलिसकर्मियों को चोट लगी थी। घरों के शीशे भी टूट गए थे। कई दिनों तक पूरा अटाला क्षेत्र छावनी में तब्दील हो गया था। सारी दुकानें और प्रतिष्ठान बंद कर दिए गए थे। हिंसा के बाद प्रयागराज की पुलिस ने जावेद पंप को हिंसा का मास्टरमाइंड बताया था और दो दिन बाद 12 जून को उसके आशियाना स्थित घर को बुलडोजर चलाकर जमींदोज कर दिया गया था। बाद में जावेद की बीवी ने दावा किया था उसके नाम से मकान है।