कभी खबरें आती थीं कि बेटी को पैदा होने से पहले ही गर्भ में ही मौत के घाट उतार दिया गया , देखने सुनने में आता था कि बेटी के जन्म लेने पर मातम छाया है फलाने परिवार में पर दौर बदलता है सोच बदलती है । दौर और सोच बदलती है आचार्य विश्वजीत सिंह के जैसे परिवार की वजह से जिन्होंने अपने परिवार में जन्मी दो जुड़वा बेटियों के स्वागत में तोरण द्वार लगवा दिए , ढोल बजवा दिए , फूलों की वर्षा करवा दी ।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक से जुड़े शिशु मंदिर विद्यालय के आचार्य विश्वजीत सिंह और गीता सिंह के परिवार ने आधी आबादी का भव्य स्वागत करके समाज को आईना दिखाने का कार्य किया है। उत्तरप्रदेश के हरदोई शहर की आवास विकास कालोनी के निवासी आचार्य विश्वजीत सिंह की वधु प्रियंका ने बीती 26 जनवरी को शहर के बालाजी अस्पताल में जुड़वां बेटियों को जन्म दिया। तब से परिवार के सभी सदस्य व प्रियजनों में बहुत ही हर्षोल्लास व ख़ुशी का माहौल है। आचार्य विश्वजीत सिंह के दो पुत्र हैं एक अमित जो अध्यापक हैं , अमित की पत्नी दिव्या जो गृहणी हैं , दूसरे पुत्र अनुज जो बैंक कर्मचारी हैं । ये जुड़वा बेटियां अनुज और प्रियंका की संताने हैं ।
अस्पताल से छुट्टी मिलने पर पूरा परिवार जब दोनों बेटियों के साथ घर पहुँचा तो मोहल्ले वासियों व प्रियजनों में अलग ही उत्साह दिखाई पड़ा। सभी ने ढोल नगाड़ों के साथ भव्य स्वागत किया। रिश्तेदारों ने आरती उतारकर पूरे मोहल्ले में मिठाई बाँटी और काफ़ी देर तक जश्न का माहौल रहा। इस अवसर पर परिवार ने बताया कि दो बेटों और एक बेटी के परिवार की नयी पीढ़ी में यह पहले बच्चे हैं। कहा, वसंत पंचमी के दिन दो बेटियों के रूप में साक्षात सरस्वती जी का आगमन हुआ है और वैसे भी कहा जाता है कि बेटियां लक्ष्मी - सरस्वती देवी का ही रूप होती हैं।