नई दिल्ली:लेजर शो के साथ खत्म हुई बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी,सेना-पुलिस बैंड की 29 धुनों ने बांधा समां, खराब मौसम से रद्द हुआ ड्रोन शो

नई दिल्ली:लेजर शो के साथ खत्म हुई बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी,सेना-पुलिस बैंड की 29 धुनों ने बांधा समां, खराब मौसम से रद्द हुआ ड्रोन शो

नई दिल्ली के विजय चौक पर रविवार को बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी के साथ ही गणतंत्र दिवस कार्यक्रमों का समापन हुआ। इस खास मौके पर तीनों सेनाओं के बैंड ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के सामने 29 क्लासिकल धुनें बजाईं। धुनों ने सभी का मन मोह लिया। इसके बाद राष्ट्रीय ध्वज को पूरे सम्मान के साथ उतारा गया। तीनों सेनाओं की प्रमुख राष्ट्रपति से सेना के बैंड को ले जाने की अनुमति मांगी गई। अनुमति मिलते ही बैंड स्थल से रवाना हो गए।

इस मौके पर दिल्ली की सभी प्रमुख इमारतें रंग- बिरंगी रोशनी से जगमग की गईं। सेरेमनी में उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, PM नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, CDS जनरल अनिल चौहान और तीनों सेनाओं के प्रमुख भी मौजूद रहे। दिल्ली में भारी बारिश के बावजूद सेरेमनी को देखने बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे। खराब मौसम के कारण ड्रोन शो नहीं हो सका।

कार्यक्रम में बजाई गईं 29 धुनें

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, सेना के तीनों अंग और राज्य पुलिस व CAPF के संगीत बैंड द्वारा बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी में 29 धुनों को बजाया गया। समारोह की शुरुआत अग्निवीर धुन के साथ हुई। सेना और पुलिस बल ने अल्मोड़ा, केदारनाथ, संगम दूर, सतपुड़ा की रानी, भागीरथी, कोंकण सुंदरी जैसी मोहक धुनें बजाईं। वायु सेना के बैंड ने अपराजेय अर्जुन, चरखा, वायु शक्ति, स्वदेशी धुन बजाईं। वहीं नौसेना के बैंड एकला चलो रे, हम तैयार हैं और जय भारती की धुनें बजाईं।

इंडियन आर्मी के बैंड ने शंखनाद, शेर-ए-जवान, भूपाल, अग्रणी भारत, यंग इंडिया, कदम कदम बढ़ाए जा, ड्रमर्स कॉल और ऐ मेरे वतन के धुन बजाईं। कार्यक्रम का समापन सारे जहां से अच्छा की धुन के साथ हुआ।

पहली बार नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक के अगले भाग पर 3-डी एनामॉर्फिक प्रोजेक्शन किया गया।

क्यों होती है बीटिंग द रिट्रीट ?

बीटिंग द रिट्रीट सेना की बैरक वापसी का प्रतीक है। इस समारोह में भारत के राष्ट्रपति मुख्य अतिथि होते हैं। राष्ट्रपति के आते ही उन्हें नेशनल सैल्यूट देकर राष्ट्रगान जन-गण-मन शुरू होता है, तिरंगा फहराया जाता है। इसके बाद तीनों सेनाओं के बैंड मिलकर पारंपरिक धुन के साथ मार्च करते हैं। तीनों सेना के बैंड वादन के बाद रिट्रीट का बिगुल बजता है। इसके बाद बैंड मास्‍टर राष्‍ट्रपति के पास जाते हैं और बैंड वापस ले जाने की इजाजत मांगते हैं।

300 साल से भी ज्यादा पुराना इतिहास

बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी की परंपरा राजा महाराजाओं के समय चली आ रही है। जब सूर्यास्त के बाद जंग बंद होने का ऐलान होता था। बिगुल बजाते ही सैनिक युद्ध बंद कर पीछे हट जाते थे। यब परम्परा 300 साल से भी ज्यादा पुरानी है। भारत के अलावा ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी होती है। भारत में इसकी शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी।



 v4rjmd
yhfee@chitthi.in, 10 June 2023

Leave a Reply

Required fields are marked *