स्याह पक्ष मीडिया का , रगड़ देना , पेंट कर देना यही बाकी निशां है अब

स्याह पक्ष मीडिया का , रगड़ देना , पेंट कर देना यही बाकी निशां है अब

हालांकि मैं मानता हूं कि जिस काम को आप स्वंय कर रहे हैं उस काम और उस काम को करने वालों का बचाव ही करना चाहिए सार्वजनिक तौर पर । पर भीष्म भी नही बनना चाहिए कि गलत को गलत ना कह कर आंखों के सामने विनाश देखना पड़े अंत में

कल कहीं पढ़ रहा था कि अबकी बार राजनैतिक दल मीडिया को अपेक्षाकृत कम रुपये देंगे विज्ञापन के तौर पर क्योंकि मीडिया की विश्वसनीयता कम हो गयी है समाज मे , ऐसा इसलिए हो रहा है मेरी समझ मे कि मीडिया क्रूर हो गया है , ऊपर से नीचे तक मीडिया के लोगों में ऐसी मानसिकता बन गयी है कि उन्हें सिर्फ खबर चलानी है , खबर के आगे पीछे क्या है इससे सम्बंधित और सम्बंधित के सम्बंधित व्यक्ति के जीवन , आचार , विचार पर क्या दुष्प्रभाव पड़ जायेंगे इससे कोई लेना देना नही , रगड़ दो बस या पेंट कर दो बस .....

उदाहरण देता हूँ अपने आस पास का । बीते दिनों एक लड़की ने दो युवकों पर गैंगरेप का आरोप लगाया ,अश्लील वीडियो वायरल करने और एक से ज्यादा साल तक दुष्कर्म करने के आरोप थे , मामले के वीडियो और फ़ोटो देखने से साफ पता चल रहा था कि लड़की मुस्कराती हुई पोज दे रही है उन क्रियाओं के और बड़ी ही खुशी से स्वंय संलिप्त है सभी आसनों में , वीडियो बनाने में  । 

लड़की के पार्टनर से गलती ये हुई कि गलती से उससे वीडियो किसी व्हाट्सएप ग्रुप में चला गया और डिलीट फॉर ऑल के बजाय डिलीट फॉर मी हो गया , ऐसी चीजें कितनी तेजी से लोग डाउनलोड कर आगे बढ़ाते हैं ये जगज़ाहिर है , पुरुष मन है आखिर। सारे तथ्यों से भली भांति परिचित होने के बावजूद एक मसाला ख़बर देने और दिखाने की फिराक में मीडिया वालों ने अति से ज्यादा रुचि ली और एक के साथ एक फ्री वाले ऑफर में दोनो युवक अंदर हो गए और धाराएं इतनी गम्भीर लगीं कि ज़मानत भी न हो अब । 

वीडियो बनाकर , फ़ोटो खींचकर ये सब करना और फिर वायरल कर देना भले ही गलती से हुआ हो , अपराध की श्रेणी में आता है , यहां गौरतलब ये भी है कि वीडियो वाला पार्ट लड़की के ही सौजन्य से सृजित किया गया था  । बात बाहर आने पर गैंगरेप जैसा गम्भीर आरोप लगाना और सब तथ्यों से परिचित होते हुए भी मीडिया का युवकों को एकतरफा फिट करा देना ठीक नही लगा मुझे । मैंने एक शब्द भी नही लिखा इस पर , जंगल में मोर नाचने जैसी बात थी ये मेरी पर जो जितना कर पाए वही कर लिया आत्मसंतुष्टि तब भी मिली ।

ऐसे ही कई उदाहरण हैं , कोशिश रहेगी कि इस तरह की क्रियाओं पर प्रतिक्रिया देता रहूं , क्रमशः बढ़ता रहूं , तगड़े लोगों से मल्ल युद्ध ना कर सकूं तो उनकी खड़ी गाड़ी पर स्क्रैच तो लगाता ही चलूं  ।

अगले भाग में इसी शैली में ज़िक्र होगा आज सुर्खियों में आई एक खबर का जिसमे सीएम ने एक महिला को समाजसेवा करने की खातिर सरकारी पुरस्कार दिया है ...

क्रमशः ....

तस्वीर का लिखे से किलोमीटरों तक लेना देना नही है , तस्वीर में मैं हूँ , मेरी दोस्त रूसी दोस्त नताशा है और नेता बन गए अब मित्र  Satyam Singh Kanaujia जी हैं ....

ये लिखा हुआ khanzarsutra.com के रिपोर्टर अभिनव के फेसबुक पर लिखे गए आलेख से लगभग as it is लिया गया है ।




 sacrse
yhfee@chitthi.in, 10 June 2023

Leave a Reply

Required fields are marked *