WU19 T20 WC: दादा, पिता-चाचा सब क्रिकेट खेले, युवराज की तरह स्केटिंग छोड़ बेटी बनीं क्रिकेटर, अब वर्ल्ड कप दूर नहीं

WU19 T20 WC: दादा, पिता-चाचा सब क्रिकेट खेले, युवराज की तरह स्केटिंग छोड़ बेटी बनीं क्रिकेटर, अब वर्ल्ड कप दूर नहीं

नई दिल्ली. 3 साल पहले उत्तर प्रदेश के लिए अपने पहले अंडर-19 मैच में ही फील्डिंग के दौरान चेहरे पर गेंद लग गई थी. होंठ कट गया था. तब कोच ने कहा था कि अगर चोट तकलीफ दे रही, तो मैदान से बाहर बैठ सकती हैं. कोच की बात मानकर कुछ देर मैदान से बाहर भी रही. लेकिन, फिर मन नहीं माना और मैदान पर वापसी की और असम के खिलाफ 3 विकेट भी लिए. 3 साल बाद समय का पहिया घूमा और 16 साल की इस खिलाड़ी ने अंडर-19 टी20 विश्व कप के सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ 3 विकेट लेकर भारत को फाइनल में पहुंचा दिया. इस खिलाड़ी का नाम है पार्शवी चोपड़ा.

पार्शवी चोपड़ा ने महिला अंडर-19 टी20 विश्व कप के सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड को सस्ते में समेटने में अहम रोल निभाया. उन्होंने मैच में 20 रन देकर 3 विकेट लिए. इसके बाद भारत ने श्वेता सेहरावत के तूफानी फिफ्टी की मदद से 108 रन के लक्ष्य को 15वें ओवर में ही 2 विकेट खोकर हासिल कर लिया. पार्शवी सेमीफाइनल में प्लेयर ऑफ द मैच नहीं चुनी गईं.

पार्शवी के खून में क्रिकेट

पार्शवी के खून में क्रिकेट है. उनके दादा, पिता और चाचा तीनों क्रिकेट खेले हैं. लेकिन, पार्शवी की शुरुआत क्रिकेट से नहीं बल्कि स्केटिंग से हुई थी. ठीक टीम इंडिया के पूर्व ऑलराउंडर युवराज सिंह की तरह. युवराज का पहला प्यार स्केटिंग था. लेकिन, पिता की जिद के कारण उन्होंने बल्ला थामा और उसके बाद जो हुआ, वो इतिहास के पन्नों में दर्ज है.

पार्शवी भी अच्छी स्केटर थीं. उन्होंने उत्तर प्रदेश में हुई अंडर-14 स्केटिंग चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता था. लेकिन, बाद में पेशे से रियल एस्सेट एजेंट पिता गौरव चौपड़ा ने उन्हें क्रिकेटर बनाने का फैसला लिया और 2016 में युवराज सिंह सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में दाखिले से पार्शवी के क्रिकेटर बनने की शुरुआत हुई और आज पार्शवी ने भारत को अंडर-19 विश्व कप के फाइनल में पहुंचा दिया है.

युवराज की तरह पहला प्यार स्केटिंग था

पिता गौरव चोपड़ा ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, ‘भले ही पार्शवी का पहला प्यार स्केटिंग था. लेकिन, वो हमेशा हम सभी को क्रिकेट के बारे में बात करती सुनती थी और क्लब मैचों में हमारे साथ जाती थी. कुछ समय बाद, मैंने उसे क्रिकेट एकेडमी में दाखिला दिलाने का फैसला किया. मैं जानता था कि उस समय जूनियर क्रिकेट खेलने वाली लड़कियों की संख्या बहुत कम थी और मेरी पत्नी शीतल चोपड़ा ने भी उन्हें लड़कों के बीच खेलने के लिए प्रोत्साहित किया. एक बार, उसने एक इंटर-स्कूल बॉयज़ क्रिकेट टूर्नामेंट में 6 विकेट लिए और उसे टूर्नामेंट का सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ चुना गया था. वह हमारे पूरे परिवार की इकलौती लड़की है और हमने हमेशा उसे कहा है कि वह किसी से कम नहीं है



 h7cwto
yhfee@chitthi.in, 10 June 2023

Leave a Reply

Required fields are marked *