जूनियर बैच के IAS को जिला कलेक्टर बनाए जाने पर सीनियर बैच के अफसरों में नाराजगी सामने आई है। जूनियर बैच 2016 की IAS टीना डाबी, अमित यादव और रवीन्द्र गोस्वामी को तो कलेक्टर बना दिया गया लेकिन उससे पहले के बैच 2015 के कई IAS को अभी तक मौका नहीं मिला है। ये ऐसा सब्जेक्ट है जिस पर अफसर खुलकर बोलने से बच रहे हैं लेकिन अपनी मांग मुख्यमंत्री तक जरूर पहुंचा दी है।
प्रदेश में अभी तक वर्ष 2015 और 2016 बैच के कुल 18 में से 8 आईएएस को जिले में कलेक्टर बनने का मौका मिला है, इनमें 10 IAS अभी तक कलेक्टर की पोस्ट का इंतजार कर रहे हैं। इनके बाद 2017, 2018, 2019, 2020 व 2021 बैच के अफसरों को मौका मिल पाएगा।
आईएएस अफसरों ने अपनी बात सीएम अशोक गहलोत तक पहुंचाने के बाद उम्मीद जताई है कि अब जब भी तबादला सूची आए तो उन्हें भी जिलों में कलेक्टर लगने का अवसर मिले।
इस संबंध में कार्मिक विभाग के संयुक्त सचिव (आईएएस) देवेंद्र कुमार ने भास्कर को बताया कि कलेक्टर भी एक पद ही होता है, अन्य बहुत से पदों की तरह। यह बात सही है कि हर युवा आईएएस अफसर की चाह होती है, कि वो कलेक्टर बने। बात सीनियर-जूनियर बैच की नहीं है। कलेक्टर कौन बनेगा किस जिले में बनेगा यह हायर ऑथोरिटी के स्तर पर ही तय होता है। यह कोई सख्त नियम भी नहीं कि कलेक्टर बनाया ही जाए, हां यह एक परम्परा जरूर है कि युवा अफसरों को प्रोबेशन खत्म होने के कुछ समय बाद कलेक्टर बनाया जाता है। यह विषय हायर ऑथोरिटी की जानकारी में है, हमें उम्मीद है जो अफसर अब तक कलेक्टर नहीं बन सके हैं, उन्हें भी जल्द मौका मिलेगा।
2015 और 2016 बैच से 10 को मौका मिलना बाकी
वर्ष 2016 बैच में 9 आईएएस हैं, जिनमें से केवल तीन अफसर टीना डाबी, अमित यादव और रविंद्र गोस्वामी ही कलेक्टर बने हैं। अर्तिका शुक्ला, जसमीत सिंह संधू, रोहिताश्व सिंह, डॉ. मंजू, अतहर खान व प्रताप सिंह कलेक्टर नहीं बन सके हैं।
वर्ष 2015 बैच में 9 आईएएस हैं, जिनमें से अभी तक केवल 5 अफसरों नीलाभ सक्सेना, निशांत जैन, लोकबंधु, सौरभ स्वामी और इंद्रजीत यादव ही कलेक्टर बन सके हैं। इसी बैच के पूजा पार्थ, अंजली राजोरिया, कुशल यादव कलेक्टर नहीं बन पाए हैं। यहां कलेक्टर बनने से वंचित रहे वर्ष 2015 बैच के अफसरों का यह भी कहना है कि उनके जूनियर बैच (2016) के अफसरों को उनसे पहले कलेक्टर कैसे बनाया जा सकता है। हालांकि यह पूरी तरह से राज्य सरकार के फैसले पर निर्भर करता है, लेकिन फैसला विवेक सम्मत तो होना ही चाहिए।
उधर इससे पहले के वर्ष 2014 बैच तक के सभी आईएएस अफसर कलेक्टर बन चुके हैं। वर्ष 2014 बैच में 10 आईएएस को राजस्थान कैडर मिला था। सभी अफसर कलेक्टर बन चुके हैं। ऐसे में राजस्थान में भी अगर 2015 और 2016 बैच के सभी अफसर कलेक्टर बन सकें, तो फिर 2017 और 2018 बैच तक के अफसरों का नम्बर आ सकता है।
इधर वर्ष 2013 और 2015 के आईएएस पदों पर प्रमोट होकर (आरएएस से आईएएस) बतौर आईएएस शामिल होने वाले आरएएस अफसरों को भी अभी तक प्रदेश सरकार ने किसी भी अफसर को कलेक्टर नहीं बनाया गया है। इनकी संख्या 11 हैं।
इस बार मौका नहीं मिला तो अगले साल ही बन सकेंगे कलेक्टर
इस वर्ष 2023 में 9 आईएएस अफसर रिटायर्ड होंगे और कोई नए अफसरों का बैच इस वर्ष नहीं मिलेगा। ऐसे में इन 9 अफसरों के रिटायर्ड होने से प्रशासनिक ढांचे में कलेक्टरों के पदों पर लगे सीनियर अफसर सचिवालय पहुंचेंगे। उनके स्थान पर वर्ष 2015 और 2016 बैच के सभी अफसरों को कलेक्टर के पदों पर जाने का मौका मिल सकेगा। इस साल के भीतर अगर उन्हें कलेक्टर बनने का मौका नहीं मिला तो फिर उन्हें 2024 में ही यह मौका मिलेगा। चुनावी वर्ष होने से बजट सत्र के बाद एक या दो बार ही तबादला सूची आनी संभावित है। 8 महीने बाद आचार संहिता लग जाने से सरकार मौजूदा प्रशासनिक तंत्र में कोई बदलाव नहीं कर सकेगी।
अब आईएएस एसोसिएशन के माध्यम से भी पहुंचाएंगे अपनी बात सीएम तक
नए बैच के आईएएस अफसर अब राजस्थान की आईएएस एसोसिएशन के माध्यम से भी अपनी बात मुख्य सचिव उषा शर्मा और सीएम अशोक गहलोत तक पहुंचाएंगे। हाल ही एसोसिएशन के जयपुर में हुए एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में भी इस मुद्दे पर अनौपचारिक बातचीत हुई है। अब एसोसिएशन के सचिव डॉ. समित शर्मा से मिलकर भी इस संबंध में आग्रह किया जाएगा।