भारत-चीन कई मायनों में US-यूरोप से आगे रूसी विदेश मंत्री का पश्चिम पर तीखा हमला, बोले- मल्टी पोलर वर्ल्ड में उभर रहीं नई ताकतें

भारत-चीन कई मायनों में US-यूरोप से आगे रूसी विदेश मंत्री का पश्चिम पर तीखा हमला, बोले- मल्टी पोलर वर्ल्ड में उभर रहीं नई ताकतें

अस्मारा. इरिट्रिया में हुए एक संयुक्त समाचार सम्मेलन में रूस के रक्षा मंत्री ने भारत (India) और चीन (China) को अमेरिका व यूरोपीय संघ के सदस्यों से कई मायनों में आगे बताया है. रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (Sergei Lavrov) ने आर्थिक शक्ति के नए केंद्रों के विकास, वित्तीय और राजनीतिक प्रभाव पर विस्तार से बात की और कहा कि चीन और भारत पहले से ही संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) और यूरोपीय संघ (EU) के सदस्यों से कई मायनों में आगे हैं. अमेरिका पर तीखा प्रहार करते हुए लावरोव ने कहा कि बहु-ध्रुवीय दुनिया (Multi-Polar World) की स्थापना एक उद्देश्यपूर्ण और अजेय प्रक्रिया है और अब सामूहिक पश्चिम, जिसमें नाटो और यूरोपीय संघ शामिल हैं, पूरी तरह से इस प्रक्रिया को उलटने की कोशिश कर रहे हैं.

साथ ही उन्होंने तुर्की, मिस्र, फारस की खाड़ी के देशों, ब्राजील और अन्य लैटिन अमेरिकी देशों को बहु-ध्रुवीयता के भावी केंद्र बताते हुए कहा कि ये वर्तमान समय में प्रभावशाली और आत्मनिर्भर केंद्रों के रूप में उभर रहे हैं. इस दौरान रूसी विदेश मंत्री ने BRICS का भी नाम लिया. ब्रिक्स को वैश्विक बहु-ध्रुवीयता के लिए जरूरी बताते हुए लावरोव ने कहा कि दुनिया के विकासशील क्षेत्रों में क्षेत्रीय पहचान को मजबूत करने का मतलब यह नहीं है कि वैश्विक आयाम में बहु-ध्रुवीयता नहीं हो रही है. उन्होंने कहा कि यह संगठन पांच देशों को एकजुट करता है, जिसमें 12 से अधिक अन्य देश शामिल होने की रुचि दिखा रहे हैं. आपको बता दें कि ब्रिक्स और अन्य देशों के बीच संबंध विकसित करना सदस्य देशों के आगामी शिखर सम्मेलन में एक केंद्रीय विषय होगा, जो अगस्त में डरबन, दक्षिण अफ्रीका में होने वाला है.

2009 से, ब्रिक्स नेताओं ने 14 औपचारिक बैठकें और 9 अनौपचारिक बैठकें बुलाई हैं. जून 2009 में, BRICS नेताओं ने रूस में अपनी पहली बैठक आयोजित की, जिसमें BRICS सहयोग को बढ़ाकर समिट स्तर पर किया गया. 2021 ब्रिक्स शिखर सम्मेलन तेरहवां वार्षिक ब्रिक्स शिखर सम्मेलन था, जिसकी मेजबानी भारत ने की. यह तीसरी बार था जब भारत ने 2012 और 2016 के बाद ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी की. इसमें पांच सदस्य देशों ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के राज्य प्रमुख या सरकार के प्रमुखों ने भाग लिया था.


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