राजस्थान की विधानसभा का बजट सत्र इन दिनों चल रहा है। सभी विधायकों के बोलने का अपना खास अंदाज और रफ्तार है। विधायकों के बोलने, भाषण देने और वक्तव्य कला से जुड़ा यह एक रोचक पहलू है कि सदन के स्पीकर डॉ. सी.पी. जोशी जब सदन में बोलते हैं तो उनकी स्पीड सभी 200 विधायकों में अव्वल रहती है।
स्पीड से बोलने के मामले में डॉ. सीपी जोशी पहले नम्बर पर हैं। वे एक मिनट में करीब 170-175 शब्द की रफ्तार से बोलते हैं। इस मामले में कोई और विधायक उनके आस-पास भी नहीं है। विधानसभा के प्रतिवेदकों का (सदन की कार्यवाही को शब्द दर शब्द लिखने वाले) कहना है कि डॉ. जोशी जब पूरे मूड से बोलते हैं, तो कई बार उन्हें शब्द दर शब्द अंकित करना बेहद मुश्किल भरा होता है।
बहुत कुछ छूट जाता है, जिसे बाद में ऑडियो से सुनकर पूरा लिखना पड़ता है।
डॉ. जोशी की आवाज भी स्पष्ट रहती है और अंग्रेजी व हिन्दी दोनों भाषाओं में समान अधिकार से बोलते हैं। डॉ. जोशी पूर्व में मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय (उदयपुर) में मनोविज्ञान विषय के प्रोफेसर भी रहे हैं। ऐसे में उन्हें बोलने का अभ्यास जबरदस्त है। जोशी वर्ष 2009-2014 के बीच भीलवाड़ा से लोकसभा सांसद भी रहे हैं।
इस दौरान वे रेल, ग्रामीण विकास और सड़क परिवहन मंत्री भी रहे हैं। लोकसभा में भी बोलने के दौरान उनकी यही स्पीड रही थी। वर्ष 1998-2008 के बीच जब वे राजस्थान में शिक्षा मंत्री थे, तब भी उनकी यही रफ्तार थी। उम्र बढ़ने पर भी पिछले ढाई दशक से उनकी रफ्तार में कोई कमी नहीं हुई है।
हाल ही विधानसभा के पास बन रहे कॉन्स्टिट्यूशन क्लब के उद्घाटन समारोह में सीएम अशोक गहलोत ने डॉ. जोशी की फिटनेस की तारीफ करते हुए कहा था कि वे 71-72 की उम्र में भी पूरी तरह से फिट हैं।
जोशी के बाद कटारिया और बलजीत व संयम हैं तेज रफ्तार वाले विधायक
सदन में जोशी के बाद करीब 75 वर्षीय विधायक नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया, निर्दलीय विधायक बलजीत यादव व सीएम के सलाहकार विधायक संयम लोढ़ा का नम्बर आता है। ये तीनों ही विधायक लगभग 155-160 शब्द प्रति मिनट की रफ्तार से बोलते हैं।
इन तीनों की आवाज भी सुस्पष्ट व बिना अटके हुए सुनाई देती है। संयम लोढ़ा की हिन्दी के साथ अंग्रेजी में भी अच्छी पकड़ है। संयम भी बिना लिखित भाषण धाराप्रवाह बोलते हैं। वर्ष 2003 से 2008 के बीच वे कांग्रेस से विधायक थे और विपक्ष में थे। तब भी उनकी स्पीड यही थी।
150 से 160 शब्द प्रति मिनट की रफ्तार से राठौड़ व खाचरियावास की शैली भी है प्रभावशाली
150 से 160 शब्द प्रति मिनट की रफ्तार से खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और उप नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ बोलते हैं। इनमें खाचरियावास अक्सर हिन्दी के साथ राजस्थानी में भी बोलते हैं। खाचरियावास अक्सर बिना कागज पढ़े बोलते हैं।
राजस्थान की विधानसभा में आम तौर पर राजस्थानी में लगातार कोई विधायक नहीं बोलते हैं। राठौड़ ज्यादातर कागज देखकर-पढ़कर बोलते हैं और सदन में लगातार चारों तरफ देखते हुए ही बोलते हैं। वे लगातार 7 बार से विधायक हैं।
महिला विधायकों में दिव्या व भदेल सबसे आगे, फिर शकुंतला और चंद्रकांता
महिला विधायकों में कांग्रेस की विधायक दिव्या मदेरणा और भाजपा की विधायक अनिता भदेल सबसे आगे हैं। वे 140-150 शब्द प्रति मिनट की रफ्तार से बोलती हैं। उनका उच्चारण साफ रहता है। दिव्या पहली बार और भदेल चौथी बार से लगातार विधायक हैं। भदेल की रफ्तार पहली बार से ही (2003) महिला विधायकों में खासी तेज रही हैं।
दिव्या व भदेल के बाद 135-140 शब्द प्रति मिनट की रफ्तार से उद्योग मंत्री शकुंतला रावत और भाजपा की विधायक चंद्रकांता मेघवाल का नम्बर है। रावत लगातार दूसरी बार और चंद्रकांता लगातार तीसरी बार विधायक हैं। तीनों की आवाज सुस्पष्ट और धाराप्रवाह रहती है।
अशोक गहलोत व वसुंधरा राजे की स्पीड एक जैसी, धारीवाल और कल्ला मध्यम गति वाले
सीएम अशोक गहलोत, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की स्पीड लगभग एक जैसी है। दोनों ही दिग्गज 130-135 शब्द प्रति मिनट की रफ्तार से बोलते हैं। दोनों ही ज्यादातर बिना लिखा हुआ ही बोलते हैं। गहलोत व राजे दोनों की उम्र लगभग 71-72 वर्ष है और दोनों ही सांसद, विधायक, प्रदेशाध्यक्ष, केन्द्र में मंत्री, प्रदेश में सीएम रहे हैं।
उनके बाद उन जैसी ही स्पीड से नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल और शिक्षा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला बोलते हैं। उनकी स्पीड 125-130 शब्द प्रति मिनट रहती है।
युवा विधायकों की नहीं है तेज रफ्तार
जोश का प्रतीक माने जाने वाले ज्यादातर युवा विधायकों की सदन में बोलने की रफ्तार तेज नहीं है। सदन के प्रतिवेदकों के अनुसार युवाओं से ज्यादा बेहतर अनुभवी विधायक बोलते हैं। असल में किसी चुनावी रैली या राजनीतिक सभा में बोलने से बहुत अलग होता है विधानसभा या लोकसभा में बोलना।
विषय की समझ, अध्ययन, पकड़ जब तक नहीं हो, तब तक कोई युवा होने मात्र से तेज रफ्तार से नहीं बोल सकता। सदन में बोलने के लिए समझ, अध्ययन, पकड़, अभ्यास व आत्म विश्वास की जरूरत होती है। ऐसे में अनुभवी विधायक ही आगे नजर आते हैं।
प्रतिवेदकों की भर्ती होती है 140 शब्द प्रति मिनट की परीक्षा पर
जब विधानसभा में प्रतिवेदकों की भर्ती होती है, तो परीक्षा पास करने के लिए 140 शब्द प्रति मिनट से भाषण लिखने की योग्यता चाहिए होती है। लोकसभा में 160 शब्द प्रति मिनट के आधार पर परीक्षा होती है। एक वरिष्ठ प्रतिवेदक ने बताया कि जब कोई विधायक 160, 170 या उससे ज्यादा शब्द प्रति मिनट की रफ्तार से बोलते हैं, तो उन्हें नोट करना बड़ा चुनौतीपूर्ण होता है।
अंग्रेजी में जोशी, राव, राजपाल रहे हैं आगे
आम तौर पर राजस्थान की विधानसभा में विधायक अंग्रेजी भाषा में नहीं बोलते हैं। फिर भी कुछ विधायकों का अंग्रेजी पर अच्छा अधिकार रहा है। इनमें मौजूदा स्पीकर डॉ. जोशी सहित पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राव राजेन्द्र सिंह और पूर्व नगरीय विकास मंत्री राजपाल सिंह शेखावत शामिल हैं।
पूर्व सीएम में बरकतुल्ला व शेखावत की स्पीड थी तेज
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्रियों में बरतकतुल्ला खान और भैंरोसिंह शेखावत की स्पीड करीब 140 शब्द प्रति मिनट थी। उनके अलावा सभी पूर्व सीएम धीमी स्पीड में ही बोलते थे। शेखावत हिन्दी में राजस्थानी लोक कहावतों को भी शामिल किया करते थे।