सहवाग ने 12 साल पहले जो किया था,रोहित शर्मा उसी राह पर, भारत को मिल गया वर्ल्ड कप जीतने का फॉर्मूला

सहवाग ने 12 साल पहले जो किया था,रोहित शर्मा उसी राह पर, भारत को मिल गया वर्ल्ड कप जीतने का फॉर्मूला

नई दिल्ली. रोहित शर्मा (Rohit Sharma) का 3 साल से चला रहा शतकों का सूखा आखिरकार खत्म हुआ. भारतीय कप्तान ने न्यूजीलैंड के खिलाफ इंदौर में खेले गए वनडे सीरीज के तीसरे और आखिरी मैच में 85 गेंद में 101 रन की पारी खेली. उनके इस एक शतक की मदद से भारत ने न सिर्फ वनडे सीरीज में न्यूजीलैंड का पूरी तरह सफाया किया, बल्कि इस फॉर्मेट की नंबर-1 टीम भी बन गई. बीते 3 साल से रोहित के बल्ले से भले ही शतक नहीं निकला था. लेकिन इस अवधि में उनके आंकड़े देखकर यह समझा जा सकता है कि रोहित ने अपनी बल्लेबाजी का अंदाज बदल लिया. क्योंकि लक्ष्य 2011 के बाद इस साल घर में विश्व कप जीतने पर है.

रोहित को घर में वर्ल्ड कप जीतने के सपने को साकार करने का शायद फॉर्मूला मिल गया है. जो 2011 के विश्व कप में वीरेंद्र सहवाग ने भारत के लिए किया था. उसी राह पर रोहित चल निकले हैं. सहवाग ने 2011 के वर्ल्ड कप में ओपनिंग करते हुए 47.5 की औसत और 122 की स्ट्राइक रेट से 7 मैच में 380 रन ठोके थे. इंदौर वनडे से पहले, अपने आखिरी शतक के बाद से, रोहित ने 15 पारी में 39.6 की औसत और 104 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए हैं. वो पहली गेंद से विपक्षी गेंदबाजों के खिलाफ आक्रामक रुख अपना रहे. अतीत में वह जिस तरह से पारी की शुरुआत कर रहे थे, यह उससे काफी अलग है.

ओपनिंग के बाद रोहित बने ‘हिटमैन’

रोहित ने अपना करियर मध्यक्रम बल्लेबाज के रूप में शुरू किया. 2013 से पहले, उन्होंने 23 की औसत से 1978 रन बनाए थे. उनका स्ट्राइक रेट भी काफी कम था. रोहित को जब स्थायी तौर पर ओपनर बनाया गया, तब वो व्हाइट बॉल क्रिकेट में भारत के सबसे सफल बल्लेबाजों में से एक बने. वो बतौर ओपनर 3 दोहरे शतक ठोक चुके हैं. पारी की शुरुआत करते हुए रोहित ने 56 की औसत और 92.7 के स्ट्राइक रेट से 7663 रन बनाए हैं.

रोहित ने क्यों बदला अपना खेल?

भारत के टॉप ऑर्डर पर अगर नजर डालें. तो शुभमन गिल और विराट कोहली के खेल में काफी समानता है. दोनों का औसत काफी अच्छा है. दोनों के प्रदर्शन में निरंतरता है. लेकिन, यह दोनों सेट होने में वक्त लेते हैं. गिल और विराट 2011 के विश्व कप के सहवाग जैसे नहीं है, बल्कि इन दोनों की अप्रोच सचिन तेंदुलकर या गौतम गंभीर की तरह हैं, जो अपनी पारी संवारने के लिए शुरुआत में बड़े शॉट्स खेलने के बजाए स्ट्राइक रोटेट करते थे. विराट भी इसी अंदाज में खेलते हैं. हाल ही में श्रीलंका के खिलाफ तिरुवनंतपुरम वनडे में खेली गई उनकी 166 रन की पारी इसका सबूत है. कोहली ने उस पारी में 8 छक्के पारे थे और यह सारे सिक्स शतक पूरा होने के बाद उनके बल्ले से निकले थे.

ऐसे में रोहित के लिए ये जरूरी हो जाता है कि वो टॉप ऑर्डर में खुलकर खेले हैं और ऐसा करने में अगर वो जल्दी आउट भी हो जाते हैं तो पारी संभालने के लिए विराट और गिल मौजूद हैं. इससे बाद में आने वाले बल्लेबाजों के लिए खुलकर खेलने का अच्छा प्लेटफॉर्म तैयार हो जाएगा. इसी वजह से रोहित वनडे में वही अप्रोच अपना रहे जो पिछले साल टी20 विश्व कप से पहले उन्होंने अपनाई थी.

अब वक्त ही बताएगा कि रोहित 2011 विश्व कप वाले सहवाग जैसा प्रदर्शन इस बार दोहरा पाते हैं या नहीं और जो काम पिछले टी20 विश्व कप में अधूरा रह गया था, वो इस साल पूरा होता है या नहीं.



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yhfee@chitthi.in, 10 June 2023

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