इस्लामाबाद: कंगाली में पाकिस्तान (Pakistan Economic Crisis) को लगातार झटके पर झटके मिल रहे हैं. आर्थिक तंगी से उबरने के लिए शहबाज सरकार को मदद की सख्त जरूरत है. वहीं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को तगड़ा झटका दिया है. पाकिस्तान में इस साल चुनाव होने हैं और सरकार के पास उसे कराने तक के लिए पैसे नहीं हैं. आईएमएफ ने साफ कह दिया है कि बिना कठिन फैसले लिए वह पाकिस्तान को लोन नहीं देगा.
पाकिस्तान की न्यूज वेबसाइट द डॉन के अनुसार राजनयिक सूत्रों ने सोमवार को कहा कि दोनों पक्ष अभी भी उन सात मांगों पर चर्चा कर रहे हैं, जिन्हें आईएमएफ चाहता है कि देश को आर्थिक सहायता फिर से शुरू करने से पहले पाकिस्तान स्वीकार करे. मांगों में बिजली सब्सिडी वापस लेना, गैस की कीमतों को अंतरराष्ट्रीय बाजार से जोड़ना, डॉलर को पूरी तरह से मुक्त करना शामिल है.
IMF की शर्त मानने से डर रहे हैं शहबाज
बता दें कि इस समय पाकिस्तान को 10 अरब डॉलर के विदेशी लोन की तत्काल जरूरत है ताकि देश को डिफॉल्ट होने से बचाया जा सके. पाकिस्तान को यह लोन बिना IMF की शर्त माने नहीं मिल सकता है. वहीं शहबाज शरीफ (Pakistan PM Shehbaz Sharif) इस कठिन फैसले को लेने से बच रहे हैं ताकि उन्हें चुनाव में मतदाताओं के गुस्से का शिकार न होना पड़े. सरकार को यह भी डर है कि इनमें से कुछ मांगों को लागू करने से सभी आवश्यक वस्तुओं की कीमत बढ़ जाएगी.
वहीं IMF ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान यदि शर्त नहीं मानता है तो वह पाकिस्तान को लोन नहीं देने वाला है. वहीं पाकिस्तान सरकार में कई अधिकारी शहबाज शरीफ से मांग कर रहे हैं कि वह जल्द हस्तक्षेप करें नहीं तो बहुत देर हो जाएगी. मालूम हो कि शहबाज सरकार पिछली इमरान सरकार द्वारा आईएमएफ के साथ किए गए समझौते की 9वीं समीक्षा का इंतजार कर रही है. इस समीक्षा के बाद ही पाकिस्तान को लोन की अगली किश्त मिल पाएगी जो सितंबर से ही लंबित है. साल 2022 के अगस्त में IMF ने पाकिस्तान के बेलआउट प्रोग्राम के सातवीं और आठवीं समीक्षा में 1.1 अरब डॉलर की स्वीकृति दी थी.