नेता जी सुभाष चंद्र बोस की आज 126वीं जयंती मनाई जा रही है। नेताजी ने स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा दिया था। मगर, कम लोगों को ही पता होगा कि ये नारा आगरा में हुई विशाल जनसभा में नेताजी ने दिया था।
1940 में हुई उस जनसभा में नेताजी अंग्रेजों के खिलाफ जमकर गरजे थे। उनके भाषण ने युवाओं में जोश भर दिया था। नारा देने के बाद सैकड़ों युवाओं ने नेताजी को खून से जय हिंद लिखकर भेजा था।
पहले जानते हैं नेताजी के बारे में
महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कुट्टक गांव में हुआ। उनके पिता जानकीनाथ बोस वकील थे। उनकी माता का नाम प्रभावती था। वे भारत के स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी तथा सबसे बड़े नेता थे।
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए जापान के सहयोग से आजाद हिन्द फौज का गठन किया था। नेताजी सुभाष चंद बोस द्वारा दिया गया नारा तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा। आगरा से ही निकला था।
अब जानते हैं ये नारा कहां दिया गया
वरिष्ठ पत्रकार व इतिहास के जानकार राजीव सक्सेना ने बताया कि नेताजी सुभाष वर्ष 1939 में कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ था। इस चुनाव में महात्मा गांधी ने नेपट्टाभि सीतारमैया को समर्थन दिया था।
इसके बावजूद नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने सीतारमैया को 233 मतों से हरा दिया था। गांधीजी ने इसे अपनी व्यक्तिगत हार बताया था। बाद में अप्रैल, 1939 में नेताजी ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लाक पार्टी बनाई थी। नेताजी अपनी विचारधार से सबको अवगत कराने के लिए 1940 में दूसरी बार आगरा आए थे।
आगरा के वयोवृद्ध कांग्रेस नेता शशि भूषण शिरोमणि ने बताया कि नेताजी से उनके पिता दिवंगत श्रीप्रकाश नारायण शिरोमणि व चाचा दिवंगत गोपाल नारायण शिरोमणि ने भेंट की थीं। वर्ष 1940 में नेताजी की सभा मोतीगंज के चुंगी मैदान में होनी थी।
उनका पुराना घर चुंगी मैदान के पास रावतपाड़ा में था, इसलिए सभा की तैयारियों की जिम्मेदारी उनके पिता के पास थी।
ने बताया कि वो अपने चाचा के साथ नेताजी की सभा में चुंगी मैदान में गए थे। वो नेताजी से कुछ ही मीटर की दूरी पर थे। उस समय उनकी उम्र करीब 9 साल थी। उनके पिता उन्हें बताते थे कि नेताजी ने चुंगी सभा में लोगों में जोश भर दिया था।
उन्होंने नागरिकों से आह्वान किया था कि ब्रिटिश नौकरशाही इस समय विश्व युद्ध में उलझी है, ऐसे में अंग्रेजों पर हमला बोलने का सही समय रहेगा।
खून से लिख दिया था जय हिंद
नेताजी ने अपनी सभा में युवाओं से कॉलेज छोड़ आंदोलन में कूदने का आह्वान किया। सभा में नेताजी ने लोगों से पूछा था कि जो लोग आजादी चाहते हैं वो अपना हाथ उठा दें। इस पर सभा में सभी ने हाथ उठा दिए थे।
वे संतुष्ट नहीं हुए, फिर बोले- जो युवक देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराना चाहते हैं वे अपने खून से लिखकर दें। युवकों में बहुत जोश था। कई युवाओं ने कागज पर अपने खून से जय हिंद तो कुछ ने वंदे मातरम लिखा था। कई ने भारत माता की जय और सुभाष चंद्र बोस की जय भी लिखा था।
आज भी रौंगटे खडे़ हो जाते हैं
सभा को याद करते हुए शशि शिरोमणि बताते हैं कि आज भी उस सभा को याद करते ही रौंगटे खडे़ हो जाते हैं। नेताजी की व्यक्तित्व ऐसा था कि जो उनसे एक बार मिल ले वो उनका हो जाता था। उनकी वाणी में तेज था। युवा उनसे मिलने को लालायित रहते थे।
नेताजी की सभा के बाद बच्चों और युवाओं ने कहना शुरू कर दिया था एक-दो लाल टोपी फेंक दो। सभा के बाद अंग्रेजों को शायद अनुमान हो गया था कि नेताजी जापान से हाथ मिला सकते हैं, ऐसे में अंग्रेजों ने शहर में जापानी नेताओं के बडे़-बडे़ कट आउट लगा दिए थे।
लोगों से कहा जाता था कि अगर जापानी आ गए तो वो खा जाएंगे। जापानियों से अच्छे ब्रिटिश हैं। मगर, जनता नेताजी के साथ थी।
रतनलाल जैन के आवास पर रुके थे नेताजी
सुभाष चंद्र बोस जब आगरा आए थे, तो उनके साथ काकोरी कांड के क्रांतिकारी रामकृष्ण खत्री भी थे। उनके प्रवास की व्यवस्था इस बार भी लोहामंडी खातीपाड़ा स्थित कांग्रेस नेता रतनलाल जैन के आवास पर की गई थी। यहां पर उन्होंने क्रांतिकारियों के साथ बैठक की थी। इससे पहले भी 1938 में नेताजी एक बार आगरा आए थे, तब भी वो रतनलाल जैन के यहां पर ही रुके थे।