न्यायपालिका और विधायिका यानि कि सरकार के बीच चल रहे गतिरोधों की ख़बर आये दिन ज़ाहिर होती रहती हैं पिछले लंबे समय से पर एक जज जिले के सांसद , विधायक और राज्य के मंत्री के साथ शपथ गृहण समारोह का मंच साझा करने तक से इनकार कर दे ऐसा शायद ही सुना गया हो पहले । हरदोई में बार एसोसिएशन के वार्षिकोत्सव और नव निर्वाचित कार्यकारिणी के शपथ गृहण समारोह में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने मंत्री , सांसद और विधायक के साथ कार्यक्रम के मंच पर बैठने से परहेज जता दिया और इन जनप्रतिनिधियों के रहने तक वो कार्यक्रम में आये ही नही , आखिर में बड़े पशोपेश के साथ बिना शपथ दिलाये ही अधूरे कार्यक्रम को छुड़वाकर जनप्रतिनिधियों को रवाना कर दिया गया , इनके जाने के बाद ही जज कार्यक्रम में पहुंचे और कार्यकारिणी को शपथ दिलाई गई ।
पंचायत वेबसीरिज में एक मशहूर डायलॉग है गज़ब बेईज्जती है यार , ठीक यही बेईज्जती मंत्री जी , सांसद जी और विधायक जी ने महसूस जरूर की होगी जब बड़ी मुहब्बत से उनसे कहा गया कान में कि जज साहब तब तक नही आयेगें जब तक आप लोग यहां रहेंगे , जिसके बाद मंच संचालन कर रहे सज्जन ने प्रेम से घोषणा की मंत्री जी , विधायक जी , सांसद जी सभी को कहीं जाना है सो उन्हें जाना पड़ेगा , आगे का कार्यक्रम जारी रहेगा ।
बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी के शपथ गृहण समारोह में जिले के दोनो मंत्रियों , विधायक सवायजपुर और सांसद हरदोई को आमंत्रित किया गया था जिले से , किसी कारण से एक मंत्री ने कार्यक्रम में आ पाने में असमर्थता जता दी एक दिन पहले ही , कार्यक्रम में तय समय पर दूसरे मंत्री , विधायक और सांसद पहुंचे । सभी के सम्बोधन हो गए , जज साहब की खाली कुर्सी चर्चा का विषय बन ही रही थी कि खबर आयी एक कि जज साहब ने राजनैतिक लोगों के साथ मंच साझा करने से इनकार कर दिया है , ऐसे में शपथ कैसे दिलाई जाएगी । आयोजक मंडल गम्भीर पशोपेश में पड़ गया । बड़ी उहापोह में ये समस्या मंच पर मौजूद जनप्रतिनिधियों से साझा की गई जिसके बाद सम्मान से जनप्रतिनिधियों ने कार्यक्रम से विदा ले ली और इस विदाई के बाद जज साहब आये , जिले के आलाधिकारी आये और असल कार्यक्रम शुरू हुआ , शपथ दिलाई गई ।
चकचक तो हो ही चुकी थी , जनप्रतिनिधियों ने भी कहीं न कहीं बुरा तो महसूस किया ही होगा और जिन मंत्री जी ने अपना कार्यक्रम कैंसिल किया था उन्होंने भी ईश्वर को धन्यवाद दिया होगा कि उन्हें वो असहज स्थिति परिस्थिति से नही गुजरना पड़ा , बाकी आम चर्चा यह भी थी कि कार्यक्रम के आयोजकों को जज साहब को आमंत्रित करते समय ये सारी बातें स्पष्ट कर देनी चाहिये थी कि मंच पर कौन कौन रहेगा , यदि जज साहब को पता था तो उसी समय उन्होंने अपनी शर्ते स्पष्ट क्यों नही कीं । आम चर्चा ये भी रही कि ये जनप्रतिनिधि व्यवस्था के अंग हैं , लोकतंत्र के स्तम्भ हैं , इनके साथ बैठने उठने से गुरेज़ कर जाना उचित तो नही ही था बाकी इस देश मे सम्मान सभी का है और होना भी चाहिये , बनाये रखना भी चाहिए , सम्मान करेंगे तो सम्मान मिलेगा ।