इस्लामाबाद. पाकिस्तान की कर्ज में डूबी सरकार ने बलूचिस्तान (Balochistan) को एक तरह से चीन के हवाले कर दिया है. इस पिछड़े इलाके में गैस और कई बहुमूल्य धातुओं का प्राकृतिक संसाधनों का खजाना भरा पड़ा है. चीन (China) इन प्राकृतिक संसाधनों की अंधाधुंध खुदाई करता जा रहा है, जबकि ये पूरा इलाका केवल 1,000 अमेरिकी डॉलर के प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (per capita GDP) के साथ ही एक गरीब क्षेत्र बना हुआ है. बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) और CPEC प्रोजेक्ट के तहत चीन अब पाकिस्तान (Pakistan) के सबसे बड़े राज्य के प्राकृतिक संसाधनों को जमकर लूट रहा है.
चीनी कंपनियां यहां से खूब मुनाफा कमा रही हैं. बलूचिस्तान की स्थानीय आबादी को इससे मिलने वाला रोजगार या होने आर्थिक लाभ बहुत कम है. इसी तरह के हालात म्यांमार में भी देखे जाते है, जहां चीन ने हाल के समय में सीमावर्ती इलाकों में अवैध रूप से खनन का काम तेज कर कर दिया है. बलूचिस्तान में सोने, चांदी और तांबे की खदानों को चलाने वाली चीनी कंपनी ने दावा किया है कि उसने कोविड-19 के कारण काम में रुकावट के बावजूद 2021 में लगभग 7.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर का मुनाफा कमाया. इस मुनाफे का एक काफी बड़ा हिस्सा चीन को वापस भेज दिया जाता है.
इन खदानों को चलाने का समर्थन करने वालों का कहना है कि इससे बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ-साथ रोजगार बढ़ाने में मदद मिलती है. जबकि कई स्थानीय लोगों का कहना है कि उनके जीवन में कुछ खास सुधार नहीं हुआ है. जमीन पर हकीकत ये है कि बलूचिस्तान एक बहुत ही गरीब और उपेक्षित प्रांत बना हुआ है. बलूचिस्तान में अभी भी पुराने जमाने का बुनियादी ढांचा ही है. बलूचिस्तान में मिट्टी के घर, गंदी और कच्ची सड़कें, पीने लायक पानी की कमी, गरीबी और पिछड़ापन अभी भी कायम है. कुल मिलाकर इलाके के आर्थिक हालात बहुत ही दयनीय हैं. इन कारणों से अलगाववादी समूह एक आजाद बलूचिस्तान के लिए और चीनियों को बलूचिस्तान से बाहर करने के लिए सरकार के खिलाफ जंग छेड़ रहे हैं.