पिछले साल टोंगा के पास समुद्र में हुए ज्वालामुखी विस्फोट की शॉकवेव्स धरती की दूसरी तरफ भी महसूस की गई थीं। 18 हजार किमी दूर अटलांटिक महासागर के अंदर मौजूद सिस्मोमीटर्स ने इन शॉकवेव्स को रिकॉर्ड किया था। यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के रिसचर्स ने समुद्र के अंदर 50 सिस्मोमीटर्स लगाए थे। जब इन सिस्मोमीटर्स को निकाला गया तो ये पूरी जानकारी सामने आई।5 किमी की गहराई पर थे सिस्मोमीटर्स
ये सभी सिस्मोमीटर्स कैनरी-अजोरेस-मदीरा द्वीपसमूह के आसपास के समुद्र में 5 किमी की गहराई पर लगाए गए थे। शोधकर्ताओं ने हाल ही में इन्हें निकाला था। रिकॉर्ड किए गए डेटा से समुद्र की लाइफ के बारे में पता चल सकता है। शोधकर्ता अब डाटा को स्टडी कर धरती की गहराई के बारे में और भी जानकारी इकट्ठा करने की कोशिश करेंगे।
समुद्र की गहराई में सीमित हैं कम्युनिकेशन सिस्टम
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की इंवेस्टिगेटर प्रोफेसर एना फरेरा ने बताया- समुद्र की गहराई में कम्युनिकेशन सिस्टम गिनेचुने हैं। हमें नहीं पता था कि सिस्मोमीटर्स ने क्या रिकॉर्ड किया होगा। बाद में पता चला कि मशीनों ने अच्छी क्वॉलिटी के सिग्नल रिकॉर्ड किए। लग्जरी कारों को ले जा रहे एक कार्गो शिप के डूबने से पैदा हुई वेव्स भी इन सिस्मोमीटर में रिकॉर्ड हुई थी। इस प्रोजेक्ट को अपवार्ड नाम दिया गया था।
30 साल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी विस्फोट
पिछले साल 15 जनवरी को टोंगा के पास समुद्र में हुआ यह ज्वालामुखी विस्फोट इतना बड़ा था कि आसमान में 30 किमी की ऊंचाई तक इसकी राख उड़ी थी। इसे पिछले 30 साल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी विस्फोट माना गया था।