राज्य में गहलोत सरकार किसानों को खेतों में रसायनों के छिड़काव समेत अन्य फसलों की मॉनिटरिंग के लिए किराये पर ड्रोन देगी। इसके लिए सरकार अगले 2 साल में 1500 ड्रोन कस्टम हायरिंग केन्द्रों पर उपलब्ध करवाएगी। ड्रोन की उपयोगिता के लिए किसानों को जागरूक करने और उनके खेतों में लाइव डेमो देने के लिए ड्रोन निर्माता कंपनियों को 6 हजार रुपए प्रति हैक्टेयर तक का अनुदान भी देगी। यही नहीं ड्रोन बनाने में आने वाली लागत पर 40 प्रतिशत तक का भी अनुदान सरकार देगी, ताकि किसानों को सस्ती दरों पर ड्रोन किराये पर उपलब्ध हो सके।
कृषि विभाग की ओर से जयपुर के जोबनेर स्थित जोशीवास गांव में आयोजित राज्य स्तरीय ड्रोन तकनीकी का लाइव डेमोस्ट्रेशन कार्यक्रम में कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा कि प्रदेश के ऐसे किसान जो सीमित आय के कारण महंगे कृषि उपकरणों खरीद नहीं पाते उन्हें ड्रोन किराए पर दिए जाएंगे। इससे किसान कम लागत और कम समय में अपने खेतों में रसायनों का छिड़काव कर सके।
80 प्रतिशत होती है पानी की बचत
कृषि डिपार्टमेंट के कमिश्नर कानाराम ने बताया कि पारंपरिक तरीके से खेतों में छिड़काव के मुकाबले ड्रोन से छिड़काव में 80 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है। खड़ी फसल में पोषक तत्वों की कमी का निर्धारण और उनकी पूर्ति ड्रोन के जरिए आसानी से की जा सकती है। उन्होंने कहा कि ड्रोन रसायन छिड़काव के साथ सिंचाई निगरानी, फसल स्वास्थ्य की निगरानी, मिट्टी का एनालिसिस, फसल नुकसान का आंकलन और टिड्डी नियंत्रण जैसे कार्यों को भी किया जा सकता है।
33 जिलों में ड्रोन से करवाया छिड़काव
कृषि में ड्रोन तकनीकी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने सभी 33 जिलों में इस लाइव डेमोस्ट्रेशन को करवाया है। हर जिले में कुल 20 हैक्टेयर क्षेत्र में ड्रोन प्रदर्शन कर रसायनों का छिड़काव करवाया गया। इसके तहत नैनो यूरिया के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है, जिससे यूरिया की कमी को पूरा किया जा सकेगा।
पाले से हुए नुकसान की गिरदावरी के दिए आदेश
कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने बताया कि हाल ही में तेज सर्दी से जिन एरिया में फसलों को पाला पड़ने से नुकसान हुआ है उसका सरकार आंकलन करवाएगी। इसके लिए सरकार ने गिरदावरी करवाने के आदेश दे दिए है। जैसे ही गिरदावरी की रिपोर्ट मिलेगी किसानों को नुकसान का भुगतान किया जाएगा।