उत्तर भारत के विशालतम मथुरा के वृंदावन में स्थित रंगनाथ मंदिर में 5 दिवसीय विवाह उत्सव का समापन हो गया। विवाह उत्सव के अंतिम दिन मकर संक्रांति पर मंडप में भगवान रंगनाथ ( विष्णु जी) और माता गोदा (लक्ष्मी जी) को विराजमान किया गया। जहां वैदिक मंत्रोच्चार के दोनों का विवाह उत्सव सम्पन्न कराया गया।
5 दिवसीय विवाह उत्सव में हुए विभिन्न मांगलिक कार्यक्रम
दक्षिण भारतीय शैली के श्री रंगनाथ मंदिर में 5 दिवसीय विवाह उत्सव का आयोजन किया गया। यहां विवाह उत्सव के दौरान माता गोदा जी को दुल्हन के स्वरूप में मेंहदी लगाई गई,हल्दी लगाई गई। अलग अलग दिन विभिन्न मांगलिक कार्यक्रम हुए। विवाह उत्सव के दौरान गोदा जी के केश बंधन भी किए गए।
अंतिम दिन यमुना दर्शन से शुरू हुए कार्यक्रम
विवाह उत्सव के अंतिम दिन मकर संक्रांति को सबसे पहले माता गोदा जी की सवारी चांदी की डोली नुमा पालकी में विराजमान हो कर यमुना तट स्थित केशीघाट पर पहुंची। यहां यमुना जी और माता गोदा जी ने एक दूसरे के दर्शन किए और फिर आरती की गई। इसके बाद सवारी परंपरागत वाद्य यंत्रों की मधुर ध्वनि के साथ मंदिर प्रांगण में पहुंची।
मंडप में किया गया सहस्र धारा अभिषेक
मंदिर पहुंचने पर माता गोदा जी को बारह द्वारी मंडप में विराजमान किया गया। यहां पहले उनका सहस्र धारा से अभिषेक किया गया और फिर उनका केश बंधन हुआ। इसके बाद माता गोदा जी का आकर्षक श्रृंगार किया गया। माता गोदा जी के दुल्हन रूप में आरती की गई।
माला अदला बदली के दर्शन कर भक्त हुए अभिभूत
शाम के समय मंदिर परिसर में स्थित पुष्करिणी सरोवर के समीप जय माला कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यहां निज मंदिर से भगवान रंगनाथ की चांदी की पालकी में विराजमान करा कर बारात निकाली गई। परंपरागत वाद्य यंत्रों की मधुर ध्वनि के साथ बारात पुष्करिणी सरोवर के समीप पहुंची। इसके बाद माता गोदा जी की पालकी मंडप से भगवान रंगनाथ के समक्ष लाई गई। जहां माता गोदा जी के पिता भट्ट नाथ स्वामी जी की प्रतिमा के समक्ष माला अदला बदली दर्शन हुए। यहां माता गोदा जी और भगवान रंगनाथ को एक दूसरे की माला पहनाई गई।
शाम को मंडप में हुए फेरे
भगवान के विवाह उत्सव में फेरे आदि रस्मों का कार्यक्रम देर शाम शुरू हुए। मंदिर के पुजारी राजू स्वामी द्वारा वैदिक मन्त्रोच्चार के मध्य हवन किया और फिर माता गोदा जी और भगवान रंगनाथ के फेरे कराए गए। अग्नि को साक्षी बनाकर यह रस्म निभाई गई।
भगवान रंगनाथ ने पहनाया माता गोदा जी को मंगल सूत्र
फेरे की रस्म होने के बाद हल्दी आदि शुभ वस्तुओं से बनाए गए मंगल सूत्र को माता गोदा जी को अर्पित किया गया। पुजारी ने भगवान रंगनाथ की प्रतिमा के हाथ में मंगल सूत्र दिया और उसके बाद उसे माता गोदा जी की प्रतिमा पर धारण कराया गया। माता गोदा जी को मंगल सूत्र धारण कराते ही वहां मौजूद भक्त भगवान रंगनाथ के जयकारे लगाने लगे।
विवाह के बाद भगवान रंगनाथ विदा कराकर ले गए माता गोदा जी को
करीब 4 घंटे तक चले विवाह उत्सव कार्यक्रम के बाद माता गोदा जी की भगवान रंगनाथ के साथ विदाई कराई गई। आकर्षक आतिशबाजी के साथ माता गोदा जी की भगवान रंगनाथ के साथ विदाई की गई। भगवान रंगनाथ और माता गोदा जी की सवारी पालकी में विराजमान कराकर मंदिर प्रांगण में भ्रमण कराते हुए निज मंदिर ले जाई गई। इसके साथ ही 5 दिवसीय विवाह उत्सव कार्यक्रम का समापन हो गया।
यह है मान्यता
रंगनाथ मंदिर में भगवान के विवाह उत्सव कार्यक्रम के बारे में बताते हुए मंदिर की सीईओ अनघा श्रीनिवासन ने बताया कि माता गोदा जी ने भगवान रंगनाथ को वर स्वरूप में पाने के लिए 1 महीने तक मां कात्यायनी की आराधना की और व्रत रखा। जिससे प्रसन्न हो कर भगवान रंगनाथ विवाह के लिए तैयार हुए और माता गोदा जी के साथ विवाह किया। तभी से यह उत्सव मंदिर में प्रतिवर्ष विधि विधान से मनाया जाता है।