चुनावी वर्ष में सियासी तापमान नापने के लिए सभी कलेक्टर और मंत्री जल्द ही गांव-कस्बों में लोगों के बीच दिखाई देंगे। हर महीने में दो बार कलेक्टर और मंत्री जन सुनवाई और रात्रि चौपाल लगाएंगे। चुनावी वर्ष में गुड गवर्नेंस को प्रभावी बनाने के लिए सीएम अशोक गहलोत के निर्देश पर ऐसा होने जा रहा है। इस विषय में 16-17 जनवरी को ओटीएस (जयपुर) में होने वाले सरकार के चिंतन शिविर में विस्तृत रुपरेखा सभी मंत्रियों को बताई जाएगी।
जिलों में जहां भी संभव होगा मंत्रियों-कलेक्टरों की मीटिंग्स को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जयपुर स्थित सचिवालय से भी जोड़ा जाएगा, ताकि बहुत सी समस्याओं को हाथों-हाथ ही निपटाया जा सके।
सूत्रों का कहना है कि यह प्रशासनिक मशीनरी को कसने का उद्देश्य तो है ही, साथ ही सरकार के परफोर्मेंस के बारे में राजनीतिक फीडबैक भी जुटाना है। 10-11 महीने बाद सरकार के सामने विधानसभा चुनाव सबसे बड़ी चुनौती के रूप में आने वाले हैं, ऐसे में कलेक्टर-मंत्रियों के जरिए मिलने वाला फीडबैक मददगार साबित हो सकता है।
जन अभाव अभियोग व निराकरण राज्य मंत्री सुभाष गर्ग ने भास्कर को बताया कि कलेक्टर पहले नियमित रूप से रात्रि चौपाल किया करते थे, लेकिन किन्हीं कारणों के चलते हाल के एक-दो वर्षों में यह हो नहीं पाई। अब सभी जिलों में कलेक्टर और मंत्री महीने में दो बार जनसुनवाई और रात्रि चौपाल लगाएंगे। एक स्थान पर मंत्री मौजूद रहेंगे और एक स्थान पर कलेक्टर। चिंतन शिविर की मुख्य थीम ही गुड गवर्नेंस हैं। शिविर में सभी बजट घोषणाओं और घोषणा पत्र में किए गए वादों पर ही सभी मंत्रियों को प्रजेंटेशन देना है। इस में मंत्री बीते चार वर्षों में घोषणाओं पर अब तक हुए काम को बताएंगे और शेष रही घोषणाओं को कब तक पूरा करेंगे इस विषय में अपना प्लान साझा करेंगे।
सरकार को ग्राउंड रियलिटी को समझने में मिलेगी मदद
आम लोगों को अपनी समस्याओं को बताने के लिए राजधानी जयपुर आने की जरूरत कम रहेगी
सरकार को प्रशासन के काम-काज की सटीक जानकारी मिल सकेगी
आम लोगों में सरकार के प्रति एक विश्वास पनपेगा कि सरकार मंत्रियों-कलेक्टरों को उनके द्वार तक भेज रही है
गांवों में वैसे ही मूलभूत सुविधाओं का अभाव रहता है, ऐसे में रात्रि में बिजली, पानी, सड़क, अस्पताल आदि में सुविधाओं के अभाव की असल और फील्ड ओरियंटेड जानकारी कलेक्टरों और मंत्रियों को मिल सकेगी
बूंदी कलेक्टर ने केशोरायपाटन क्षेत्र में गत दिनों आम लोगों से फीडबैक लिया और उनकी समस्याएं सुनीं।
जिला मुख्यालय में अफसरों के बीच ग्रामीण जिन समस्याओं पर मुखर होकर बोल नहीं पाते हैं, उन पर वे अपने गांव में ज्यादा आसानी से बता सकेंगे
मंत्री-कलेक्टर जब गांव, दूरस्थ ढाणी या किसी अभावग्रस्त कस्बे में पहुंचेंगे तो उन्हें सड़क, बिजली, सफाई, पानी से संबंधित समस्याओं की जानकारी डायरेक्ट मिल सकेगी
जो गांव जिला मुख्यालयों से 100, 150, 200 किलोमीटर जैसी लंबी दूरी पर स्थित हैं। रेगिस्तानी या आदिवासी इलाकों में स्थित हैं। उनकी असली समस्याएं भी पता लग सकेंगी
मंत्री-कलेक्टर रात का समय गांवों में बिताएंगे तो उन्हें पेश आने वाली समस्याओं की जानकारी भी मिल सकेगी
गांव-ढाणियों से लेकर सचिवालय से तक एक प्रशासनिक सिस्टम कैसे काम कर रहा है, इसका फीडबैक मिल सकेगा
मंत्री और कलेक्टर खुद अपने द्वारा जारी आदेशों के पालन की ग्राउंड रियलिटी भी जांच सकते हैं