जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में सड़क हादसे में शहीद हुए हवलदार अमरीक सिंह के हिमाचल के ऊना जिले स्थित गांव गणु मंदवाड़ा में सन्नाटा पसरा है। पूरा गांव अपने बेटे की शहादत के मातम में डूबा है।
अमरीक के पिता धर्मपाल, बड़े भाई अमरजीत सिंह, छोटे भाई हरदीप सिंह और रिश्तेदारों को ही उसके शहीद होने की खबर है। पत्नी रूचि अभी इस घटना से बेखबर है। उसे बताया गया है कि अमरीक सिंह का एक्सीडेंट हुआ है और उसका अस्पताल में उपचार चल रहा है।
शहीद के गांव की गलियों में सन्नाटा पसरा है। जो बाहर से खबर सुनकर गणु मंदवाड़ा आ रहे, वे घर से 100 मीटर पहले दुकान से वापस लौट रहे हैं। छोटे भाई हरदीप सिंह ने बताया कि गुरुवार सुबह 8 बजे उनकी सेना के अधिकारियों से फोन पर बात हुई है।
हरदीप ने बताया कि उनके मुताबिक वहां बर्फीला तूफान चल रहा है। इस वजह से शहीद की पार्थिव देह गणु मंदवाड़ा भेजने में देरी हो रही है। सेना के अधिकारियों ने मौसम खुलने पर ही शव भेजने की बात कही है।
2001 में सेना में भर्ती हुए थे अमरीक सिंह
बता दें कि गणु मदवाड़ा के 39 वर्षीय हवलदार अमरीक सिंह की मंगलवार देरशाम जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में हुए सड़क हादसे में शहीद हो गए। अमरीक सिंह 2001 में सेना में भर्ती हुए थे। वह जम्मू कश्मीर के माछिल सेक्टर में तैनात थे। वह अपने पीछे माता ऊषा देवी, पिता धर्मपाल सिंह, पत्नी रूचि और बेटा अभिनव को छोड़ गए हैं। अमरीक सिंह 2001 में 14 डोगरा रेजीमेंट में भर्ती हुए थे। वह 3 भाइयों में मझले थे। उनका बेटा अभिनव छठी कक्षा की पढ़ाई कर रहा है।