विधानसभा का 23 जनवरी से बजट सत्र शुरू होने से पहले सरकार पूरे प्रदेश में मंत्रियों को फील्ड में उतार कर योजनाओं का फीडबैक लेगी। सभी मंत्री जिलों में जाकर जनता से सीधे जुड़े विभागों की योजनाओं की हकीकत जानेंगे। जिला स्तरीय अधिकारियों के साथ बैठकें करके परफोर्मेंस देखेंगे। इस दौरान प्रदेश के राजनीतिक हालातों, मुद्दों और संगठन में चल रही गतिविधियों का भी बारीकी से एनालिसिस करेंगे। इसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को फीडबैक देंगे।
मुख्यमंत्री ने सभी मंत्रियों को 19 और 20 जनवरी को जिलों में जाकर अधिकारियों के साथ मीटिंग्स करने के लिए कहा है।सभी विभागों के जिला स्तरीय अधिकारियों से बातचीत में सामने आएगा कि किस विभाग की किस योजना का क्या हाल है? इस दौरान जिले की जरूरतों पर भी बात होगी। ताकि जरूरी चीजों को बजट में शामिल किया जा सके। जिला प्रभारी मंत्री विभागवार पिछले चार साल की बजट घोषणाओं की स्थिति भी देखेंगे ताकि यह भी पता चल सके कि पुरानी बजट घोषणाएं कितनी पूरी हुईं।
ताकि विधानसभा में सरकार की न हो किरकिरी
चार साल पूरे कर चुकी गहलोत सरकार का यह अंतिम बजट होगा। सरकार चाहती है कि बजट सत्र के दौरान विधानसभा में अपनी परफोर्मेंस बेहतर दिखा सके। चूंकि चुनावी साल के कारण विपक्ष भी सरकार पर पूरी तरह हमलावर रहेगा। इसलिए सरकार चाहती है कि विपक्ष के सवालों और कटाक्षों का उसके पास पूरा जवाब रहे। विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले मंत्रियों को फील्ड में भेजने के पीछे यही मंशा है कि तमाम विभागों की ओर से फील्ड में हो रहे काम की पूरी जानकारी रहे ताकि सरकार विधानसभा में किरकिरी होने से खुद को बचा सके। इसी मकसद को पूरा करने के लिए सभी जिलों के प्रभारी मंत्रियों को फील्ड में जाने के लिए कहा गया है।
चिंतन शिविर के कारण समय बदला
मुख्यमंत्री गहलोत ने पहले मंत्रियों को 15 से 17 जनवरी तक जिलों में जाकर सरकार की योजनाओं और विभागों के कामकाज की स्थिति जांचने के लिए कहा था लेकिन इसी बीच 16-17 जनवरी को होने वाले चिंतन शिविर को देखते हुए इसका समय बदला गया है। अब 19 और 20 जनवरी को मंत्री फील्ड में जाकर पता लगाएंगे कि सरकार की योजनाओं का क्या हाल है?
चिंतन शिविर में सामने आने वाले मुद्दों पर बात करेंगे
चिंतन शिविर में सभी विभागों के काम का रिव्यू होना है। इसमें मंत्री और विभाग के सचिव अपना प्रजेंटेशन देंगे कि उनके विभाग की परफोर्मेंस कैसी रही। इस दौरान विभागों की योजनाओं की स्थिति और पिछले चार साल के बजट घोषणाओं की समीक्षा होगी। चिंतन शिविर के दौरान विभागवार सामने आने वाली स्थिति के हिसाब से अगले बजट में उन चीजों को शामिल किया जाएगा जो पिछले चार सालों में पूरी होने से रह गईं।
हाल ही सीएम गहलोत कह भी चुके हैं कि चिंतन शिविर में सरकार के कामकाज का लेखा-जोखा सामने आएगा और जो कमियां सामने आएंगी उनको अगले बजट में शामिल करके दूर किया जाएगा। चिंतन शिविर में सामने आने वाली कमियों के हिसाब से भी मंत्री फील्ड में जाकर समीक्षा करेंगे ताकि संबंधित विभागों को इन्हें ठीक करने के लिए एक्टिव किया जा सके।
संगठन के कामकाज को भी आंका जाएगा
कैबिनेट मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने भास्कर को बताया- जिलों के दौरे में सभी प्रभारी मंत्री सरकार के विभागों के कामकाज की समीक्षा करने के साथ कांग्रेस के जिला और ब्लॉक स्तरीय संगठन के कामकाज को भी देखेंगे। सभी जगह पार्टी नेताओं से बात करके सरकार की योजनाओं और कामकाज के बारे में फीडबैक लेंगे। साथ ही संगठन के ऐसे मुद्दों को सुलझाने का प्रयास करेंगे जिनके कारण पार्टी को नुकसान की आशंका हो। तत्काल निपटने वाले मुद्दों को मौके पर ही निपटाया जाएगा और जो मुद्दे ऐसे होंगे जिन पर प्रदेशस्तर पर फैसला होना है, उसके बारे में अपनी रिपोर्ट संगठन स्तर पर देंगे।
जनसुनवाई भी करेंगे
जिलों में दौरे के समय प्रभारी मंत्री आम लोगों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं से जनसुनवाई के जरिए बात करेंगे। लोगों की समस्याएं सुनेंगे और सुझाव लेंगे। लोगों के ऐसे सुझाव जो महत्वपूर्ण हो और प्रदेश स्तर पर महत्व रखते हों, उनको अपनी रिपोर्ट में शामिल करेंगे ताकि उनको लागू करवाया जा सके। जो विषय बजट के लायक हो, उनको बजट में भी शामिल किया जा सकता है।