लोकसभा अध्यक्ष बोले- न्यायपालिका मर्यादा का करे पालन:गहलोत बोले- कई बार लगता है, अदालतें हमारे काम में हस्तक्षेप कर रहीं

लोकसभा अध्यक्ष बोले- न्यायपालिका मर्यादा का करे पालन:गहलोत बोले- कई बार लगता है, अदालतें हमारे काम में हस्तक्षेप कर रहीं

जयपुर में विधानसभा स्पीकर्स के राष्ट्रीय सम्मेलन में सरकार के कामकाज में कोर्ट के गैर-जरूरी दखल का मुद्दा उठा। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से लेकर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और सीएम अशोक गहलोत ने अदालती हस्तक्षेप के मुद्दे को उठाया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा- न्यायपालिका भी मर्यादा का पालन करे। न्यायपालिका से उम्मीद की जाती है कि जो उनको संवैधानिक अधिकार दिया है, उसका उपयोग करे, लेकिन अपनी शक्तियों का संतुलन भी बनाए। हमारे सदनों के अध्यक्ष यह चाहते हैं।

सम्मेलन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा- कई बार न्यायपालिका से मतभेद होते हैं। ज्यूडिशियरी हमारे कामों में हस्तक्षेप कर रही है। इंदिरा गांधी ने प्रिवी पर्स खत्म किए थे। इसे ज्यूडिशियरी ने रद्द कर दिया था। बाद में बैंकों के राष्ट्रीयकरण से लेकर उनके सब फैसलों के पक्ष में जजमेंट आए।

गहलोत ने कहा- 40 साल से मैंने भी देखा है। कई बार हाउस नहीं चलता। 10-10 दिन गतिरोध चलता है। फिर भी पक्ष और विपक्ष मिलकर भूमिका निभाता है। पक्ष-विपक्ष अपनी-अपनी बात करते हैं। जब 75 साल निकल गए हैं तो देश का भविष्य बहुत उज्जवल है। हम संविधान की रक्षा करें। कई बार उस पर भी सवाल उठते हैं। देश में जो माहौल होता है, उसका लोकसभा-विधानसभा हाउस पर भी फर्क पड़ता है।

राजस्थान विधानसभा में आज से दो दिन तक अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन (AIPOC) हो रहा है। इसमें देश भर के विधानसभा और विधान परिषद स्पीकर्स भाग ले रहे हैं। इस सम्मेलन में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी शामिल हुए। इस सम्मेलन में 11 और 12 जनवरी को देशभर से आए विधानसभा और विधान परिषदों के अध्यक्ष जी-20 से लेकर विधायिका और न्याय पालिका में टकराव रोकने के मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं।

गहलोत बोले- ने​हरू ने विपक्ष के नेताओं को भी अपनी कैबिनेट में लिया था

सीएम अशोक गहलोत ने कहा- देश में लोकतंत्र की नींव ही ऐसी पड़ी कि विपक्ष को महत्व दिया जाता है। नेहरू जब पहले पीएम बने तो उनकी कैबिनेट में विपक्ष के नेताओं को भी शामिल किया था।

उन्होंने कहा कि नेहरू ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी, बीआर अंबेडकर, एम सन्मुगम को अपनी कैबिनेट में लिया। जो कांग्रेस में नहीं थे। देश में शुरुआत ऐसी हुई कि विपक्ष को महत्व दिया गया। वो पार्टी के नहीं थे। फिर भी नेहरू ने उन्हें कैबिनेट में लिया। आज भी पक्ष और विपक्ष अपना-अपना महत्व रखता है।

स्पीकर के सामने रहती हैं चुनौतियां

गहलोत ने कहा- विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी क्रांतिकारी नेता हैं। इनके दिमाग में जो होता है, वह बात जरूर कहते हैं। स्पीकर के सामने हाउस चलाना बहुत बड़ी चुनौती होती है। सरकार और विपक्ष के बीच संतुलन कायम रखना और अपनी क्रेडिबिलिटी कायम रखना बहुत बड़ी चुनौती होती है। वह चुनौती आप निभाते भी हो। हमारे उपराष्ट्रपति के तो हाउस चलाने के ताजा उदाहरण आ रहे हैं।

सीपी जोशी बोले- विधानसभा स्पीकर हेल्पलेस हैं

राजस्थान विधानसभा के स्पीकर डॉ. सीपी जोशी ने कहा- आज ससंदीय लोकतंत्र के सामने कई चुनौतियां हैं। आज कार्यपालिका की तानाशाही है। विधानसभा सदनों की बैठकें ही कम हो रही हैं तो सरकार को जवाबदेह कौन बनाएगा।

जोशी ने कहा- जब विधानसभा की बैठकें ही कम होंगी तो अकाउंटेबिलिटी उतनी नहीं रहेगी। संसद और विधानसभाओं में चर्चा नहीं होगी तो वे अप्रासंगिक हो जाएंगी। कानून बनाने की प्रक्रिया पर न बोलें तो ही बेहतर है। कानून बनाने में विधायकों की भूमिका कितनी है, सब जानते हैं।

जोशी ने कहा कि विधानसभा स्पीकर तो हेल्पलेस हैं। विधानसभा के स्पीकर तो केवल रेफरी हैं। स्पीकर विधानसभा नहीं बुला सकते हैं। यह काम सरकार करती है। दुर्भाग्य यह है कि हम केवल हाउस चलाते हैं। बाकी कोई पावर नहीं हैं। स्पीकर हेल्पलेस है। सीएम से कहना चाहता हूं कि विधानमंडल को वित्तीय फैसले लेने के अधिकार दिए जाएं। सीएम आज आदर्श पेश कर नई शुरुआत करें।


 4ka3tr
yhfee@chitthi.in, 10 June 2023

Leave a Reply

Required fields are marked *