नई दिल्ली: अर्जुन तेंदुलकर ने पिता सचिन तेंदुलकर की ही तरह अपने फर्स्ट क्लास करियर की धमाकेदार शुरुआत की थी. उन्होंने रणजी ट्रॉफी के अपने डेब्यू मैच में ही शतक ठोक दिया था. उन्होंने गोवा की तरफ से खेलते हुए राजस्थान के खिलाफ 120 रन की पारी खेली थी. डेब्यू से पहले, उन्होंने कुछ दिन टीम इंडिया के पूर्व ऑलराउंडर युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह के साथ बिताए थे. योगराज ने अर्जुन की गेंदबाजी के साथ-साथ बल्लेबाजी पर भी काफी काम किया और बैटिंग टिप्स दिए थे. इसका असर भी दिखा था. अर्जुन ने पहले ही मैच में शतक ठोक डाला था. हालांकि, धमाकेदार शुरुआत के बाद से उनकी रफ्तार थम सी गई है.
पुडुचेरी के खिलाफ गोवा में हो रहे रणजी ट्रॉफी के मैच में अर्जुन तेंदुलकर पहली पारी में महज 4 रन बनाकर आउट हो गए. उनका विकेट रोहित डी ने हासिल किया. 4 रन बनाने के लिए अर्जुन ने 24 गेंद खेली. अर्जुन जिस वक्त आउट हुए, उस समय उनकी टीम गोवा को उनसे बड़ी पारी की उम्मीद थी. क्योंकि पहले बैटिंग करते हुए पुडुचेरी के खिलाफ गोवा ने 130 रन के स्कोर पर ही 6 विकेट गंवा दिए थे. ऐसे में 8वें नंबर पर बैटिंग के लिए उतरे अर्जुन से टीम उम्मीदें लगाए बैठी थी. लेकिन, वो स्कोरबोर्ड पर 4 रन ही जोड़ पाए.
यह रणजी ट्रॉफी में लगातार चौथी पारी है, जब अर्जुन दहाई का आंकड़ा नहीं पार कर पाए. इससे पहले, उन्होंने केरल के खिलाफ 6 रन बनाए थे. कर्नाटक के खिलाफ तो वो खाता तक नहीं खोल पाए थे. इस मैच में उन्हें सिर्फ पहली पारी में ही बैटिंग का मौका मिला था. झारखंड के खिलाफ भी अर्जुन 1 रन से आगे नहीं बढ़ पाए. यह मैच भी ड्रॉ रहा था.
अर्जुन को दूसरी पारी में बैटिंग का मौका नहीं मिला था और अब पुडुचेरी के खिलाफ पहली पारी में उन्होंने 4 रन बनाए. इस मैच में उन्हें दूसरी पारी में बैटिंग का मौका मिलेगा या नहीं, यह तो देखने वाली बात होगी. लेकिन धमाकेदार शुरुआत के बाद क्यों अर्जुन का बल्ला खामोश हो गया है. इसके लिए फिर से योगराज सिंह को उन्हें गुरु मंत्र देना होगा.