राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र से पहले राजस्थान कांग्रेस की सियासत फिर गरमाने के आसार बन रहे हैं। सचिन पायलट बजट सत्र से पहले मारवाड़ और शेखावाटी में किसान सम्मेलन करने जा रहे हैं। पायलट समर्थक मंत्री और विधायक किसान सम्मेलनों की तैयारियों में जुट गए हैं।
पायलट अब फील्ड में उतरने की तैयारी में हैं। 16 जनवरी को नागौर जिले के परतबसर में किसान सम्मेलन से पायलट शक्ति प्रदर्शन की शुरुआत कर रहे है। इसके बाद 18 जनवरी को झुंझुनूं जिले के गुढ़ा क्षेत्र में पायलट की सभा रखी गई है।
इसके बाद मारवाड़ और नहरी क्षेत्र में भी पायलट की सभाओं और किसान सभाओं के कार्यक्रम बन रहे हैं। पायलट समर्थक नेताओं ने प्रदेश भर में तैयारियां शुरू कर दी हैं। पश्चिमी जिलों में भी पायलट के प्रोग्राम बनाए जा रहे हैं। विधानसभा के बजट सत्र के बीच पड़ने वाली छुट्टियों में भी पायलट की सभाएं तय की जा रही हैं। जल्द पायलट की प्रदेश भर की सभाओं और दौरों के कार्यक्रम फाइनल होने वाले हैं।
ताकत दिखाने की तैयारी
सचिन पायलट खेमे की मांगें अब तक पूरी नहीं हो पाई हैं। ऐसे में फील्ड में इसे पायलट का शक्ति प्रदर्शन माना जा रहा है। पायलट समर्थक नेता चुनाव से पहले फील्ड में सक्रियता और जनाधार दिखाना चाहते हैं। इसी रणनीति के तहत उनकी सभाएं और बड़ी गेदरिंग वाले प्रोग्राम बनाए जा रहे हैं। इन सभाओं के सीधे तौर पर सियासी मायने हैं। इसे विरोधी खेमे को ताकत दिखाने और उसका अहसास करवाने से भी जोड़कर देखा जा रहा है।
गहलोत खेमे से दूरियां बरकरार, टूट सकता है सियासी सीजफायर
सीएम अशोक गहलोत ने राहुल गांधी की यात्रा के राजस्थान आने से पहले नवंबर अंत में सचिन पायलट को गद्दार कहते हुए उनके पास विधायक नहीं होने का हवाला दिया था। उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनने देने के संकेत दिए थे। उस बयान पर कांग्रेस हाईकमान के नेताओं ने डैमेज कंट्रोल करते हुए दोनों नेताओं के बीच सियासी सीजफायर करवाया। क्योंकि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से पहले विवाद निपटाना जरूरी था।
संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भारत जोड़ो यात्रा से सप्ताह भर पहले ही जयपुर आकर सुलह करवाई। दोनों नेताओं को एसेट बताकर मामला शांत करवाया। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा तक विवाद शांत रहा। अब यात्रा गुजरने के बाद गहलोत-पायलट खेमों के बीच मतभेद फिर गहराने के आसार बनते दिख रहे हैं। क्योंकि दोनों खेमें अड़े हुए हैं। रविवार को प्रदेश प्रभारी की बैठक में पायलट और उनके समर्थक बड़े नेताओं के नहीं पहुंचने को मतभेद गहराने से जोड़कर देखा जा रहा है।