अब प्राइमरी तक पढ़ पाएंगी लड़कियां अफगानिस्तान में:जारी किया तालिबान ने आदेश,aइस्लामिक नियमों के तहत कपड़े पहनने होंगे

अब प्राइमरी तक पढ़ पाएंगी लड़कियां अफगानिस्तान में:जारी किया तालिबान ने आदेश,aइस्लामिक नियमों के तहत कपड़े पहनने होंगे

अफगानिस्तान में लड़कियों को कॉलेज जाने से बैन करने के बाद अब तालिबान ने उनको प्राइमरी एजुकेशन की मंजूरी दी है। इसे लेकर एक आदेश जारी किया गया है। जिसमें कई शर्तों के साथ कहा गया है कि लड़कियां सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में पहली कक्षा से लेकर 6ठी कक्षा तक की शिक्षा हासिल कर पाएंगी।

आदेश में यह भी कहा गया है कि स्कूल जाने के लिए उन्हें इस्लामिक नियमों के तहत कपड़े पहनने होंगे। उनकी एजुकेशन के लिए स्कूल भी खोले जाएंगे। अफगानिस्तान में सत्ता में आने के बाद से तालिबान लगातार महिलाओं के अधिकारों को खत्म करता जा रहा है। इसे लेकर उसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आलोचनाओं और प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है।

तालिबान ने खत्म किए महिलाओं के अधिकार

अफगानिस्तान में सत्ता में आने के बाद तालिबान ने आश्वासन दिया था कि वो महिलाओं के अधिकारों का हनन नहीं करेगा। उसके बावजूद वहां लगातार इनके अधिकारों को कम किया जा रहा है। पहले लड़कियों की मिडिल और हाई स्कूल की पढ़ाई पर प्रतिबंध लगाया गया। फिर उनकी यूनिवर्सिटी एजुकेशन पर रोक लगी।

ज्यादातर रोजगारों से महिलाओं को निकाल दिया गया या फिर उनके परिवार के ही किसी पुरुष को उनकी जगह रख लिया गया। अफगानिस्तान में औरतों के बिना किसी पुरुष साथी के अकेले पार्क और जिम जाने पर भी बैन लगा दिया गया है।

UN आर्थिक मदद रोक कर दबाव बना रहा

युनाईटेड नेशन (UN) समेत दुनिया के कई देश समय-समय पर तालिबान पर दबाव बना रहे हैं ताकि वो महिलाओं के अधिकारों के हनन को कम करें। इसी के चलते दिसंबर में जब तालिबान ने महिला समाजसेवियों के काम करने पर बैन लगाया तो UN ने अफगानिस्तान को दी जाने वाली कई तरह की मदद पर रोक लगा दी।

अफगानिस्तान में लड़कियों को यूनिवर्सिटी में घुसने से रोक दिया था

अफगानिस्तान में तालिबान की क्रूरता लगातार बढ़ती जा रही है। तालिबान ने कई लड़कियों को बाल्ख इलाके में यूनिवर्सिटी में घुसने से इसलिए रोक दिया क्योंकि उन्होंने ठीक से अपना मुंह नहीं ढका हुआ था। इस बीच यूनाइटेड नेशंस के एक एक्सपर्ट ने कहा है कि अफगानिस्तान में लगातार महिलाओं के अधिकारों को कुचला जा रहा है। इसकी इंटरनेशनल कानूनों के तहत जांच की जानी चाहिए।



 fe67bw
yhfee@chitthi.in, 10 June 2023

Leave a Reply

Required fields are marked *