Irrfan Khan, इरफान खान ने 1988 में फिल्म सलाम बॉम्बे से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने अपना शानदार प्रदर्शन करके फिल्म इंडस्ट्री में अपने लिए एक जगह बनाई। उन्होंने धीरे-धीरे लोगों के दिलों में ऐसी जगह बना दी जिसे कोई और कभी नहीं ले सकता। इरफान खान एक कला का उदाहरण थे। जो पर्दे पर अपने आंखों के एक्सप्रेशन से ही तमाम भवों को पर्दे पर बया कर देते थे। इरफान खान ने अपनी छोटी सी जिंदगी में सिनेमा को बहुत ऊचांईयों तक पहुंचाया। कहते हैं न कि सिनेमा किसी की जागीर नहीं बल्कि कलाकारों की कलाकारी से बना हैं सिनेमा। जब तक कला दिखती है दर्शक सिनेमा से जुड़े रहते हैं कला खत्म होते ही दर्शक टूट जाते हैं। इरफान की फिल्में देखने दर्शक उनकी प्रतिभा के कारण आते थे। आज बॉलीवुड कॉपी कंटेंट ही दिखा रहा हैं कला और नयेपन का आभाव है इस लिए दर्शक नहीं हैं। सिनेमाघर दर्शकों के लिए तरह रहे हैं। बॉलीवुड अपनी कमियों पर ध्यान न देकर बायकॉट गैंग पर ठीकरा फोड़ रहा हैं। एक बात साफ है कि कला को कोई नहीं रोक सकता जैसे कि इरफान खान को कोई नहीं रोक सका। उन्होंने शानदार काम किया और अभिनय को अलग स्तर पर पहुंचाया।
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yhfee@chitthi.in, 10 June 2023