भूली सरकार कलेक्टर-एसपी कांफ्रेंस को:चार साल बीते पर कांफ्रेंस एक बार भी नहीं हुई, अब मंत्री मेघवाल देंगे प्रस्ताव सीएम को

भूली सरकार कलेक्टर-एसपी कांफ्रेंस को:चार साल बीते पर कांफ्रेंस एक बार भी नहीं हुई, अब मंत्री मेघवाल देंगे प्रस्ताव सीएम को

राजस्थान में कांग्रेस सरकार को चार साल पूरे हो चुके हैं। अब भी ब्यूरोक्रेसी के स्तर पर एक सबसे महत्वपूर्ण काम सरकार ने भुला रखा है। जिलों में आखिरी छोर तक प्रशासनिक ढांचे को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाने वाली कलेक्टर-एसपी कॉन्फ्रेंस चार साल में एक बार भी नहीं हो पाई है।

इससे पहले चाहे कांग्रेस की सरकार रही हो या भाजपा की दोनों के कार्यकाल में कलेक्टर-एसपी कॉन्फ्रेंस होती रही है। लेकिन इन चार सालों में कॉन्फ्रेंस नहीं होने के कई गंभीर नतीजे भी देखने पड़े। करौली, उदयपुर, जोधपुर में हुई सांप्रदायिक घटनाओं में कलेक्टर-एसपी के बीच कम्युनिकेशन गैप देखा गया।

अब सरकार 16-17 जनवरी को जयपुर के ओटीएस में चिंतन शिविर करेगी, जिसमें सीएम के साथ सभी मंत्री मौजूद रहेंगे। प्रदेश के सभी विभाग अपना प्रजेंटेशन देंगे। मंत्रियों और विभाग प्रमुखों के साथ वर्तमान सरकार के कार्यकाल में यह पहला चिंतन शिविर है। लेकिन कलेक्टर एसपी-कॉन्फ्रेंस अब तक नहीं हो पाई है।

भास्कर ने जब कुछ जिला कलेक्टरों ने बात की तो नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया- कलेक्टर-एसपी कॉन्फ्रेंस नहीं होने से सबसे बड़ी परेशानी कम्युनिकेशन की है। सरकार के विजन की जानकारी जिलों तक पहुंचाने और जिलों की पुलिस-प्रशासन संबंधी समस्याओं को सीधे सीएम तक पहुंचाने का कनेक्शन कट गया है।

कलेक्टर-एसपी अपनी बात पहुंचाने के लिए संभागीय आयुक्त, आईजी, एडीजी, प्रमुख शासन सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव, मुख्य सचिव, मंत्री जैसे चैनलों पर निर्भर हैं। सीएम से सीधे सम्पर्क अभी भी हो सकता है, लेकिन उसे अनुशासनहीनता माना जाएगा।

भास्कर ने जब प्रशासनिक सुधार विभाग के मंत्री गोविंद राम मेघवाल पूछा कि कलेक्टर-एसपी कॉन्फ्रेंस क्यों नहीं हो रही? तो उन्होंने बताया- कलेक्टर-एसपी कॉन्फ्रेंस एक अहम प्रशासनिक कार्यक्रम है। यह होनी ही चाहिए थी। जल्द ही मैं सीएम अशोक गहलोत से इस विषय में मिलकर बात करूंगा। विभाग की ओर से इसके आयोजन के लिए एक प्रस्ताव भी सीएम को सौंपूंगा। मुझे उम्मीद है सीएम इसे स्वीकार करेंगे।

क्यों नहीं हो पाई इस बार कलेक्टर-एसपी कॉन्फ्रेंस

इस बार सरकार के चार सालों में से ढाई वर्ष तो कोरोना का असर रहा। दूसरी ओर सरकार लगातार राजनीतिक अस्थिरता के दौर में भी बनी रही। इससे सीएम, मंत्री, ब्यूरोक्रेट्स का ध्यान भी अन्य मुद्दों पर ज्यादा रहा। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बढ़ते चलन ने भी गवर्नेंस में एक नया मॉडल खड़ा किया। सीएम अशोक गहलोत ने इन चार सालों में करीब 470 वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (वीसी) की हैं। हालांकि जो विस्तृत बातचीत आमने-सामने बैठकर हो पाती है, वैसी बात वीसी में संभव नहीं रहती।

कलेक्टर-एसपी कॉन्फ्रेंस नहीं होने से क्या हो रहे हैं नुकसान

फ्लैगशिप योजनाओं की मॉनिटरिंग पर सीधा असर पड़ रहा है। सीएम बार-बार मंत्री, विधायक व अफसरों को कह रहे हैं कि वे फ्लैगशिप योजनाओं की मॉनिटरिंग करें। उनकी जांच कर उन्हें बताएं।

करौली, उदयपुर, जोधपुर में साम्प्रदायिक तनाव की घटनाएं होने पर कलेक्टर-एसपी के बीच तालमेल का अभाव दिखाई दिया था। इनके बाद करौली में कलेक्टर राजेन्द्र सिंह शेखावत और उदयपुर में एसपी मनोज चौधरी को तुरंत बदलना पड़ा था।

कलेक्टर-एसपी के बीच अच्छी ट्यूनिंग है या नहीं इसकी जानकारी सरकार को नहीं मिल पा रही है। कोई ऐसा मंच भी नहीं है।

श्रीगंगानगर, प्रतापगढ़, डूंगरपुर, अजमेर, चित्तौड़गढ़, बूंदी, कोटा, बारां, अलवर जैसे जिलों में चार साल में 4 से 6 बार कलेक्टर बदले गए, ऐसे में वहां प्रशासनिक स्तर पर क्या समस्याएं हैं सरकार इससे अब तक अनजान ही है।

कॉन्फ्रेंस होती थी, तो जिले में कलेक्टर-एसपी के बीच टीम भावना पनपती थी। वे कॉन्फ्रेंस में जिले के बेहतर प्रदर्शन को लेकर गंभीरता से काम-काज करते थे

कॉन्फ्रेंस में आने से पहले कलेक्टर-एसपी को ग्राउंड लेवल पर तैयारियां करनी पड़ती थी। जिन अफसरों का होमवर्क पूरा नहीं होता था, उनकी पोल सरकार के सामने खुल जाती थी।


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yhfee@chitthi.in, 10 June 2023

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