दिल्ली-पंजाब में सरकार और गुजरात में अच्छी संख्या में वोट बटोरकर राष्ट्रीय पार्टी बन चुकी आम आदमी पार्टी की निगाहें अब राजस्थान पर है। मगर बड़ा राज्य होने के चलते पार्टी फिलहाल राजस्थान में चुनिंदा सीटों पर चुनाव लड़ने का निर्णय कर सकती है। ये सीटें दिल्ली, पंजाब और हरियाणा से सटे जिलों की सीटें हो सकती हैं। इस मसले पर पार्टी में केंद्रीय स्तर पर मंथन चल रहा है। इसी के बाद राजस्थान को लेकर आम आदमी पार्टी का अप्रोच तय होगा।
नेताओं और वर्कर्स से लेंगे सालभर का फीडबैक
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री संदीप पाठक, राजस्थान के प्रभारी विनय मिश्रा सहित अन्य नेताओं के साथ इसी मंथन में लगे हैं। आप ने राजस्थान में अपना अभियान पिछले साल मार्च से शुरू किया था। ऐसे में लगभग 10 महीने में नेताओं और कार्यकर्ताओं का राजस्थान को लेकर क्या अनुभव रहा इसका फीडबैक लिया जाएगा। इसमें खासतौर से आगामी विधानसभा चुनाव की संभावनाओं को लेकर पार्टी के नेता मंथन करेंगे। विनय मिश्रा ने बताया कि कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेने के बाद चुनाव को लेकर हम अप्रोच तय करेंगे।
पॉकेट में चुनाव लड़ सकती है पार्टी
आप का अगला फोकस राजस्थान पर तो है। मगर क्षेत्रफल के लिहाज से सबसे बड़ा राज्य में चुनाव लड़ना आप के लिए चुनौतियों से भरा है। आप के प्रभारी विनय मिश्रा भी यह कह चुके हैं कि राजस्थान में चुनाव के लिए काफी संसाधनों की जरुरत होगी। अबतक जहां-जहां आप गई है वो क्षेत्रफल के लिहाज से छोटे राज्य थे। ऐसे में आम आदमी पार्टी पूरे राज्य के बजाय पॉकेट (कुछ हिस्सों) में चुनाव लड़ सकती है।
पंजाब-हरियाणा और दिल्ली-NCR रीज पर ज्यादा फोकस
आप सूत्रों का कहना है कि यह निर्णय लिया जा सकता है कि पार्टी इस बार राजस्थान में पंजाब और हरियाणा बॉर्डर से सटे एनसीआर रीजन में चुनाव लड़े। ऐसे में पंजाब से सटे हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर जिलों, हरियाणा से सटे चूरू, झुंझुनूं और एनसीआर रीजन में आने वाले अलवर जिलों की लगभग 30 सीटों पर चुनाव लड़ा जा सकता है। इस जिलों की सीटों में चुनाव लड़कर आम आदमी पार्टी प्रयोग भी कर राजस्थान में अपना भविष्य देख सकती है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर सभी 200 सीटों पर आप पार्टी चुनाव लड़ने का मन बना सकती है।
पंजाब-दिल्ली में आप का संगठन मौजूद
इन सीटों पर चुनाव लड़ने का बड़ा कारण पंजाब-दिल्ली में सरकार और हरियाणा में मजबूत संगठन होना है। पंजाब और दिल्ली में तो आम आदमी पार्टी काफी मजबूत स्थिति में है। पंजाब और दिल्ली में आप की सरकार होने से इन जिलों में माहौल बनाने में भी आसानी होगी। यही वजह है कि राजस्थान के उन जिलों को टारगेट किया जा सकता है, जो इनकी अप्रौच में आते हैं। पहले गुजरात बॉर्डर के जिलों सिरोही, डूंगरपुर और बांसवाड़ा में चुनाव लड़ना भी आप की स्ट्रैटजी में था। मगर उत्तरी गुजरात में सीटें नहीं मिलने और दक्षिणी राजस्थान में बीटीपी के ज्यादा सक्रिय होने से इस ख्याल को छोड़ा गया है।
आप के राजस्थान में ढाई लाख से ज्यादा कार्यकर्ता
राजस्थान में आम आदमी पार्टी के 2.5 लाख से ज्यादा रजिस्टर्ड कार्यकर्ता हैं। इसके अलावा पार्टी ने अपने सर्वे से 1 लाख से ज्यादा ऐसे लोगों को चुना है जो फील्ड पर रहकर पार्टी के लिए काम करना चाहते हैं। जल्द ही राजस्थान पर निर्णय होने के बाद इन्हें जिम्मेदारियां भी सौंपी जाएंगी। उसी अनुसार टीमें भी तैयार की जाएंगी।
कांग्रेस-बीजेपी के सिटिंग विधायकों पर अटैक करेगी आप
इधर राजस्थान में आप ने सोशल मीडिया कैम्पेनिंग के लिए नई योजना तैयार की है। इसके तहत अब आप पार्टी बीजेपी और कांग्रेस के 5 सिटिंग एमएलए को रोज टारगेट करेगी। ऐसे विधायकों को चुना जाएगा जिनके खिलाफ स्थानीय स्तर पर असंतोष है। वहां के लोकल वर्कर्स से जमीनी मुद्दों को उठवाकर सोशल मीडिया पर दोनों पार्टियों के इन सिटिंग विधायकों के खिलाफ सोशल कैंपेन चलाया जाएगा।