तेहरान: फ्रेंच पत्रिका शार्ली एब्दो (Charlie Hebdo) ने ईरान में सरकार विरोधी प्रदर्शनों का समर्थन करते हुए वहां के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई का एक कार्टून प्रकाशित किया, जिसमें उन पर व्यंग कसा गया था. इसके बाद ईरान ने बुधवार को फ्रांस के राजदूत निकोलस रोशे को तलब किया. ईरान की सरकारी समचार एजेंसी आईआरएनए ने यह जानकारी दी. आईआरएनए के मुताबिक ईरान ने फ्रांसीसी राजदूत को फ्रेंच पत्रिकाओं के ‘अपमानजनक कृत्यों’ के बारे में सूचित किया, जो राष्ट्रीय मूल्यों के अलावा मुस्लिम पवित्रता और धार्मिकता का अपमान करते हैं.
अरब समाचार के अनुसार इस सप्ताह, शार्ली एब्दो ने अपने पेरिस कार्यालय पर 2015 के घातक आतंकवादी हमले की वर्षगांठ मनाने के लिए ‘जनवरी 7’ शीर्षक वाला संस्करण जारी किया, जिसका विषय ‘मुल्लाओं को हराओ’ (Beat the Mullahs) था. फ्रेंच प्रकाशन ने ईरान में 3 महीने पुराने सरकार विरोधी आंदोलन के समर्थन में दिसंबर में शुरू की गई एक प्रतियोगिता के हिस्से के रूप में इस्लामी गणतंत्र में सर्वोच्च धार्मिक और राजनीतिक व्यक्ति अयातुल्ला अली खामनेई को चित्रित करने वाले विभिन्न कार्टून प्रकाशित किए थे.
ईरान के विदेश मंत्री होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियान ने ट्वीट किया, ‘धार्मिक और राजनीतिक सत्ता के खिलाफ कार्टून प्रकाशित करने में एक फ्रांसीसी प्रकाशन का अपमानजनक और अशोभनीय कृत्य, प्रभावी और निर्णायक प्रतिक्रिया के बिना नहीं चलेगा.’ अरब न्यूज ने फ्रेंच पत्रिका के हवाले से लिखा, ‘जिस स्वतंत्रता की हर इंसान आकांक्षा करता है, वह धार्मिक विचारों के पुरातनवाद और हर कथित आध्यात्मिक अधिकार के साथ असंगत है, जिसमें से अली खमेनेई सबसे निंदनीय उदाहरण हैं.’
आईआरएनए ने विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनानी के हवाले से इस तथ्य पर प्रकाश डालते हुए कि कहा कि ईरान ईशनिंदा और इस्लामिक धार्मिक और राष्ट्रीय मूल्यों का अपमान नहीं सह सकता. फ्रांस को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बहाने अन्य मुस्लिम देशों और राष्ट्रों की पवित्रता का अपमान करने का कोई अधिकार नहीं है. पवित्र पैगंबर मुहम्मद (PBUH) के अपमान में फ्रांसीसी पत्रिका के काले इतिहास का उल्लेख करते हुए, नासिर कनानी ने कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान इस घृणित, अपमानजनक और अनुचित कार्य के खिलाफ फ्रांसीसी सरकार की ओर से कार्रवाई की उम्मीद करता है.
ईरानी विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में फ्रांसीसी राजदूत निकोलस रोशे से आधिकारिक आपत्ति दर्ज कराई है और स्पष्टीकरण मांगा है. फ्रांसीसी प्रकाशन ने महसा अमिनी की मृत्यु के बाद ईरान में शुरू हुए 3 महीने पुराने हिजाब विरोधी प्रदर्शन का समर्थन किया है. अमिनी को तेहरान में 13 सितंबर को ‘अनुचित रूप से’ कपड़े पहनने के लिए गिरफ्तार किया गया था. तीन दिन बाद, पुलिस हिरासत में रहते हुए उनकी मृत्यु हो गई थी. इस घटना के बाद पूरे ईरान में हिजाब विरोधह प्रदर्शन शुरू हो गए. सरकार विरोधी प्रदर्शनों और सुरक्षा बलों के साथ झड़पों में कई लोगों की जान चली गई.