राजस्थान के आर्थिक इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा बजट जल्द ही विधानसभा में पेश होने वाला है। यह बजट करीब 2 लाख 65 हजार 500 करोड़ रुपए का होगा। यह बजट दुनिया के 40 देशों के बजट से भी ज्यादा बड़ा बजट होने वाला है।
सीएम गहलोत राजस्थान की अर्थव्यवस्था की मजबूती के 4 बड़े संकेतों को लेकर खासे उत्साहित हैं। वे इन संकेतों से मिलने वाली आर्थिक ऊर्जा को प्रदेश की सामाजिक सुरक्षा पर खर्च करने के लिए वित्त विभाग के अफसरों को कह चुके हैं।
सीएम गहलोत ने मार्च-2022 में जो बजट पेश किया था, उसमें कुल राजस्व 2 लाख 14 हजार 977 करोड़ 23 लाख रुपए का था। इस राशि की तुलना में सरकार ने खर्चा तय किया था दो लाख 38 हजार 465 करोड़ 79 लाख रुपए का।
करीब 23 हजार करोड़ रुपए सरकार ने उधार लिए थे, तब जाकर खर्चों को संभाल पाए थे। अब बजट के लिए सरकार ने जो योजनाएं बनाई हैं, उनके लिए लगभग 2 लाख 65 हजार 500 करोड़ रुपए की जरूरत पड़ेगी। बड़ी बात यह है कि सरकार को पहले की तुलना में उधार लेकर घाटा पूरा करने की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ेगी। यह घाटा 23 हजार करोड़ रुपए से घटकर 17-18 हजार करोड़ रुपए तक हो सकता है।
आज से 10 साल पहले 2012-2013 के बीच राजस्थान की वार्षिक विकास दर मात्र 2.50 प्रतिशत थी। प्रदेश की वार्षिक आयोजना का आकार भी करीब 41 हजार करोड़ रुपए तक था।
आर्थिक विशेषज्ञ प्रो. वी.वी. सिंह का कहना है कि किसी भी राज्य की अर्थव्यवस्था में आमदनी ज्यादा और खर्चे कम रखते हुए बजट बनाया जाए तो बेहतर रहता है। केवल राजनीतिक वाहवाही के लिए अनाप-शनाप योजनाएं बनाई जाती हैं, तो दो-तीन वर्षों में कमाई गई सारी विकास दर ठप होना तय ही है। बजट में इसका विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।
इधर भाजपा की प्रदेश प्रवक्ता और विधायक अनिता भदेल का कहना है कि सीएम गहलोत केवल अपनी योजनाओं के प्रचार-प्रसार पर पैसा खर्च करते हैं। एक भी योजना वे केन्द्र की सहायता बिना नहीं बना रहे हैं। लगातार राजस्व घाटे का बजट पेश करते आए हैं।
क्या हैं सीएम गहलोत को मिले 4 मजबूत आर्थिक संकेतों की कहानी
सीएम गहलोत ने नवंबर में वित्त विभाग की समीक्षा की थी। 25 नवंबर को सीएम ने प्रदेश की आर्थिक स्थिति की समीक्षा रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में राजस्थान के आर्थिक उछाल को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
वित्त विभाग ने अब इसे जारी भी कर दिया है। इसके बाद केन्द्रीय वित्त मंत्रालय से प्रदेश की विकास दर और राष्ट्रीय स्तर पर एकत्रित होने वाले प्रत्यक्ष करों के मामले में राजस्थान को क्रमश: दूसरे और पांचवें स्थान पर बताया गया है। ऐसे में सीएम गहलोत का प्रदेश की वित्तीय स्थिति को लेकर उत्साहित होना सहज ही समझा जा सकता है।
केन्द्रीय प्रत्यक्ष करों में हिस्सेदारी के मामले में राजस्थान पांचवें नम्बर पर
केन्द्रीय वित्त मंत्रालय ने पिछले सप्ताह सभी राज्यों को रिपोर्ट भेज कर स्पष्ट किया है कि देश के इतिहास में यह पहली बार है जब केन्द्रीय प्रत्यक्ष करों में हिस्सेदारी के मामले में राजस्थान पूरे देश में पांचवें नम्बर पर है। इससे राजस्थान की मजबूत होती अर्थव्यवस्था की जानकारी मिलती है।
देश में 2020-21 में 9 लाख 47 हजार 176 करोड़ रुपए प्रत्यक्ष कर में मिले हैं। अब 2021-22 में यह राशि बढ़कर 14 लाख 12 हजार करोड़ रुपए हो गई है। इसमें आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, गुजरात व महाराष्ट्र के बाद सबसे ज्यादा हिस्सेदारी राजस्थान को मिलेगी। यह करीब 6.02 प्रतिशत होगी।
राजस्थान की खुद की इनकम में 29 प्रतिशत की बढ़ोतरी होना
राजस्थान सरकार ने पिछले वर्ष करीब 23 हजार करोड़ रुपए उधार लेकर जो घाटे का बजट बनाया था, वो चिंताजनक था। लेकिन राजस्थान ने अपने राजस्व में 29 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की है। कुल राजस्व में पिछली बार के 75510.92 करोड़ रुपए की तुलना में 85050.32 करोड़ रुपयों की वृद्धि हुई है। प्रदेश के टैक्स राजस्व में पिछली बार के 49,274.87 करोड़ रुपए की तुलना में 63556.49 करोड़ रुपए पैसा हासिल हुआ है।