वृंदावन में स्थित दक्षिण भारतीय शैली के श्री रंगनाथ मंदिर में दस दिवसीय बैकुंठ उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। बैकुंठ एकादशी से शुरू हुए बैकुंठ उत्सव के दूसरे दिन भगवान रंगनाथ वट पत्र शायी स्वरूप में निकले। भगवान रंगनाथ की सवारी बैकुंठ दरवाजा से निकलकर पौंडनाथ जी मंदिर पहुंची। जहां भक्तों ने भजन गाकर भगवान की आराधना की।
चांदी की पालकी में विराजमान हो कर निकले भगवान रंगनाथ
भगवान नारायण का स्वरूप भगवान रंगनाथ निज मंदिर से माता गोदा जी( लक्ष्मी स्वरूपा) के साथ चांदी की पालकी में विराजमान हो कर निकले। परंपरागत वाद्य यंत्रों की मधुर ध्वनि के साथ भगवान रंगनाथ की सवारी बैकुंठ द्वार से निकलकर मंदिर परिसर में स्थित पौंडनाथ मंदिर( जिसे बैकुंठ लोक कहा जाता है) पहुंची।
वट पत्र शायी भगवान नारायण के किए भक्तों ने दर्शन
बैकुंठ उत्सव के दूसरे दिन मंगलवार की शाम को भगवान रंगनाथ का श्रृंगार वट पत्र शायी स्वरूप में किया गया। जिसमें भगवान को वट के पत्ते पर विराजमान दिखाया गया। इस स्वरूप में भगवान नारायण शरारत करते हुए नजर आ रहे हैं। भगवान अपने पैर का अंगूठा पीने का प्रयास हुए भक्तों को दर्शन दे रहे हैं। भगवान के इस अलौकिक दर्शन को करके भक्त आनंदित हो उठे।
भक्तों ने भजन गा कर रिझाया भगवान को
भगवान रंगनाथ की सवारी जैसे ही बैकुंठ लोक पहुंची भक्त जयकारे लगाने लगे। इसके बाद सवारी ने जैसे ही 5 परिक्रमा लगाना शुरू किया भक्त भजन गाने लगे। भक्तों ने अपने आराध्य को भजनों के माध्यम से रिझाया। भगवान को रिझाने के लिए कुछ भक्त भजन गा रहे थे तो कुछ नाच रहे थे।
दस दिन तक चलेगा बैकुंठ उत्सव
रंगनाथ मंदिर में बैकुंठ उत्सव दस दिन तक चलेगा। सोमवार को बैकुंठ एकादशी से शुरू हुए इस उत्सव का समापन पंचमी को होगा। इस उत्सव के दौरान भगवान कभी भगवान राम की लीलाओं के स्वरूप में तो कभी भगवान कृष्ण की लीलाओं के स्वरूप में दर्शन देते हैं। इस उत्सव के पहले दिन बैकुंठ एकादशी की सुबह ब्रह्म मुहूर्त में वर्ष में एक बार बैकुंठ द्वार खोला जाता है। इसके बाद 9 दिन शाम के समय बैकुंठ द्वार खोला जाएगा।