लखनऊ निवासी मनीष यादव ने खुद को भगवान श्री कृष्ण का वंशज बताया है। इन्होंने मथुरा की अदालत में सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में एक एप्लिकेशन दी है। मनीष यादव ने श्री कृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ जमीन मुक्त कराने के लिए कोर्ट से मांग की है। इस पर बुधवार यानी आज सुनवाई होनी है। सुनवाई में न्यायालय यह निर्णय ले सकता है कि यह वाद चलने लायक है या नहीं।
शाही ईदगाह हटाने की मांग
मनीष यादव ने प्रार्थना पत्र में कहा है कि भगवान श्री कृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ भूमि मुक्त कराई जाए। श्री कृष्ण जन्मस्थान की भूमि पर शाही ईदगाह बनी है। इसे हटाकर कब्जा मुक्त कराया जाए।
मुस्लिम पक्ष ने दाखिल किया है ऐतराज
भगवान श्री कृष्ण का वंशज बताने वाले मनीष यादव के प्रार्थना पत्र पर मुस्लिम पक्ष को आपत्ति है। इसी को लेकर मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में ऐतराज जताते हुए इस वाद को 7 रूल 11 के तहत खारिज करने की मांग की। इसी को लेकर सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में सुनवाई चल रही है। आज इस मामले में कोर्ट ऑर्डर देगी कि यह केस चलने लायक है या नहीं।
1968 में हुए समझौते को बताया है अस्तित्वहीन
मनीष यादव ने दाखिल वाद में श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर में स्थित शाही ईदगाह को लेकर 12 अक्टूबर 1968 को किए गए समझौते को अस्तित्वहीन बताते हुए पूरी जमीन को श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट के सुपुर्द करने की मांग की है। वाद में भगवान श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही मस्जिद ईदगाह के बीच हुए समझौते को विधिक अस्तित्व विहीन बताया है।
अब जानते हैं विवाद के बारे में...
शाही ईदगाह मस्जिद मथुरा शहर में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर परिसर से सटी हुई है। इस स्थल को हिंदू धर्म में भगवान कृष्ण की जन्मस्थली माना जाता है। माना जाता है कि औरंगजेब ने श्रीकृष्ण जन्मस्थली पर बने प्राचीन केशवनाथ मंदिर को नष्ट कर 1669-70 में शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया था।
1935 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 13.37 एकड़ की विवादित भूमि बनारस के राजा कृष्ण दास को अलॉट कर दी थी। 1951 में श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने ये भूमि अधिग्रहीत कर ली थी। ये ट्रस्ट 1958 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और 1977 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के नाम से रजिस्टर्ड हुआ।
1968 में श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही ईदगाह कमेटी के बीच हुए समझौते में इस 13.37 एकड़ जमीन का स्वामित्व ट्रस्ट को मिला और ईदगाह मस्जिद का मैनेजमेंट ईदगाह कमेटी को दे दिया गया।
अब इस मामले में दाखिल याचिका में ईदगाह मस्जिद का सर्वे और वीडियोग्राफी कराए जाने की मांग की गई है।