अक्षय कुमार की पिछली कई फिल्में इंग्लैंड में शूट हुई हैं। यहां तक की कई सारी फिल्में इंडिया के लोकेशन के आधार पर रीक्रिएट भी हुई हैं। मिसाल के तौर पर बेलबॉटम में इंदिरा गांधी के जमाने के पीएमओ और सरकारी दफ्तरों को ग्लासगो में रीक्रिएट किया गया था।
कटपुतली में दिखाए गए मनाली के सीन्स को भी इंग्लैंड के आउटस्कर्ट एरियाज में शूट किया गया। अब उनकी फिल्म कैप्सूल गिलआने वाली है। उसमें इंडिया खासकर बंगाल का रानीगंज इलाका इंग्लैंड की यॉर्क सिटी में रीक्रिएट किया गया है।
अक्षय कुमार इस फिल्म में कोल इंजीनियर जसवंत सिंह गिल के रोल में हैं। जसवंत ने अपनी सूझबूझ से रानीगंज के खदान में फंसे 65 मजदूरों को एक कैप्सूल की मदद से बचाया था।
सीन्स ओरिजिनल लगे इसलिए मुर्गिंयों को लंदन ले जाया गया
फिल्म में इश्तियाक खान ने अहम भूमिका निभाई है। इंग्लैंड में उनका अपना फिल्म स्टूडियो है। कैप्सूल गिल की ज्यादातर शूटिंग वहीं हुई है। इश्तियाक बताते हैं, इस फिल्म की पूरी शूटिंग पूरी हो चुकी है। हर पोर्शन लंदन और आसपास के इलाकों में फिल्माया गया।
खासकर लंदन से ढाई घंटे की दूरी पर स्थित यॉर्क सिटी में। वह आउटस्कर्ट एरिया माना जाता है। फिल्म की कहानी 90 के दशक में सेट है। मुख्य रूप से रानीगंज में फिल्म का बैकग्राउंड है।
नतीजतन,उस दौर में कोयला खदानों में जिस तरह के ट्रक यूज होते थे, वह सब इंडिया से ढोकर लंदन ले जाए गए। ट्रकों के अलावा इंडिया से देसी मुर्गे और मुर्गिंयां भी वहां ले जाए गए। शूटिंग खत्म होने के बाद वो सब वहीं छोड़ दिए गए।
भारत -पाकिस्तान के सामान्य लोग भी फिल्म का हिस्सा बनें
फिल्म में वहां रह रहे अप्रवासी भारतीय और पाकिस्तानी नागरिकों और कलाकारों से भी काफी मदद मिली। इश्तियाक के शब्दों में- फिल्मों के शौकीन लोगों ने बिना किसी फीस के काम कर लिया।
जिन सीन में जहां मजदूरों और आम भारतीय नागरिकों की जरूरत पड़ती थी, वहां क्राउड में इंडियन और पाकिस्तानी लोग खड़े हो जाते थे। कई ऐसे इंडियन और पाकिस्तानी स्टूडेंट्स थे, जो वहां मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे। वो भी शूट के दौरान क्राउड में आ जाते और शूट का हिस्सा बनते।
लंदन में भारत-पाक के लोग प्यार से रहते हैं
इश्तियाक एक और दिलचस्प पहलू बयान करते हैं। उन्होंने कहा, लंदन में रहने वाले इंडियन और पाकिस्तानी नागरिकों से हमें काफी सहयोग मिला। यह अच्छी चीज देखने को मिली कि दोनों मुल्कों के लोग वहां आपस में बड़े प्रेम से रहते हैं।
वहां इंडिया पाकिस्तान का कोई विवाद देखने को नहीं महसूस हुआ। हम सिर्फ यहां अपने मुल्कों में वह विवाद देखते रहते हैं। इंग्लैंड में तो दोनों देशों के लोग खुद अलग देशों के बजाय एक महाद्वीप एशिया का मानते हैं।