भोपाल. मध्य प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत को लेकर बीजेपी और कांग्रेस भले ही पूरा दम लगाने का काम कर रहे हो, लेकिन नए साल की शुरुआत से थर्ड फ्रंट की गतिविधियां भी बीजेपी कांग्रेस के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होंगी. बसपा, सपा, आम आदमी पार्टी से लेकर ओवैसी की पार्टी ने भी मध्यप्रदेश में उन इलाकों में अपनी सक्रियता बढ़ाने की तैयारी कर ली है जहां उनको जीत की उम्मीद है. हालांकि और बीजेपी और कांग्रेस को पता है कि 2023 में मुख्य मुकाबला भले ही दोनों सियासी दलों के बीच में हो लेकिन थर्ड फ्रंट हर बार की तरह इस बार भी उनकी जीत में रोड़ा बन सकता है. अब तक बीजेपी और कांग्रेस के सियासी समीकरण सपा, बसपा और निर्दलीय बिगड़ते थे लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी और ओवैसी की पार्टी के भी एंट्री होने की संभावना के कारण चुनौती बढ़ने के आसार है.
समाजवादी पार्टी ने चिन्हित सीटों पर 5000 से ज्यादा सक्रिय कार्यकर्ता बनाने की तैयारी कर ली है. वहीं बसपा भी उन इलाकों में अपनी पैठ मजबूत कर रही है जहां उसका जनाधार रहा है. सिंगरौली से मध्य प्रदेश में एंट्री करने वाली आम आदमी पार्टी बुंदेलखण्ड के साथ ग्वालियर चंबल पर भी अपना फोकस बढ़ा रही है, तो एआईएमआईएम महाकौशल मालवा इलाके में अपनी पकड़ को मजबूत बनाने की कोशिश में है.
मतलब साफ है किस प्रदेश के अलग-अलग अंचलों में बीजेपी और कांग्रेस के लिए थर्ड फ्रंट कोई ना कोई दल सिरदर्द जरूर बनेगा. हालांकि पूर्व मंत्री पीसी शर्मा का कहना है कि कांग्रेस मानकर चल रही है अगला विधानसभा चुनाव बीजेपी और उनकी पार्टी के बीच में होगा. थर्ड फ्रंट चुनाव में बेअसर साबित होगा.
वहीं भाजपा भले ही यह मानकर चल रही हो कि थर्ड फ्रंट की गतिविधियां उनकी पार्टी से ज्यादा कांग्रेस के लिए नुकसानदेह साबित होंगी, लेकिन पार्टी को भी पता है कि आम आदमी पार्टी बीजेपी के गढ़ में नगरी निकाय चुनाव जीतने के बाद से उनकी चिंता में जरूर बढ़ाने वाली है. हालांकि बीजेपी मान रही है की थर्ड फ्रंट की सक्रियता उसके लिए कोई बड़ी चुनौती नहीं है और उसकी जीत बरकरार रहेगी.
दरअसल, प्रदेश का ग्वालियर चंबल इलाका कांग्रेस के लिए 2018 के चुनाव में सत्ता की चाबी साबित हुआ था, लेकिन इस बार ग्वालियर चंबल में सपा बसपा के साथ आम आदमी पार्टी भी सक्रिय नजर आ रही है. बुंदेलखंड में सपा और बसपा की लगभग सभी सीटों पर नजर है मालवा और महाकौशल में एआईएमआईएम अपनी मजबूती दिखाने को तैयार नजर आ रही है. आम आदमी पार्टी की नजर विंध्य के साथ पूरे प्रदेश पर है मतलब साफ है 2023 का विधानसभा चुनाव भले बीजेपी-कांग्रेस के बीच का मुख्य मुकाबला हो लेकिन थर्ड फ्रंट की गतिविधियां दोनों ही सियासी दलों के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम साबित नहीं रहने वाली है.