नेजल वैक्सीन बूस्टर के बाद नहीं ले सकेंगे.CoWIN में चौथी डोज नहीं, दूसरे देशों में 4-5 वैक्सीन लेने वाले भी हो रहे संक्रमित

नेजल वैक्सीन बूस्टर के बाद नहीं ले सकेंगे.CoWIN में चौथी डोज नहीं, दूसरे देशों में 4-5 वैक्सीन लेने वाले भी हो रहे संक्रमित

देश में नेजल वैक्सीन उन लोगों को नहीं लगाया जा सकता है जिन्होंने बूस्टर खुराक ली है। यह बात भारत के वैक्सीन टास्क फोर्स के चीफ डॉ. एनके अरोड़ा ने NDTV को दिए इंटरव्यू में कही है। उन्होंने कहा कि ये वैक्सीन अपने आप में बूस्टर डोज है। पहले ही जिन्होंने इस डोज को लगवा लिया है, वे इसे न लें।

केंद्र ने दुनिया की पहली नेजल कोरोना वैक्सीन को 23 दिसंबर को मंजूरी दी थी। को वैक्सिन बनाने वाली हैदराबाद की भारत बायोटेक ने इसे वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन  के साथ मिलकर बनाया है।

 प्लेटफॉर्म में चौथी खुराक का ऑप्शन नहीं

डॉ. अरोड़ा ने बताया कि CoWIN प्लेटफॉर्म में चौथी खुराक का ऑप्शन नहीं रहेगा। अगर कोई व्यक्ति सोचे कि उसने बूस्टर डोज पहले ही ले लिया और अब नेजल वैक्सीन लगवा ले तो उसे ये ऑप्शन नहीं मिलेगा।

सवाल- क्या नेजल वैक्सीन के बाद बूस्टर डोज ले सकते हैं?

जवाब- डॉ. अरोड़ा ने कहा कि इस पर फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि नेजल वैक्सीन लेने के बाद बॉडी को बूस्टर की जरूरत होगी या नहीं इस पर कोई प्रॉपर रिसर्च नहीं हुई है। डॉक्टर ने यह भी कहा कि कई देशों में लोगों ने वैक्सीन की चार या पांच खुराकें ली हैं, फिर भी उन्हें कोरोना हो रहा है।

कोरोना की नेजल वैक्सीन 325 रुपए में लगेगी

केंद्र सरकार ने नेजल वैक्सीन की कीमत तय कर दी है। भारत बायोटेक की यह वैक्सीन सरकारी अस्पतालों में 325 रुपए में लगवाई जा सकेगी। वहीं प्राइवेट अस्पतालों में इसके लिए 800 रुपए चुकाने होंगे। यह वैक्सीन जनवरी के आखिरी हफ्ते से उपलब्ध हो जाएगी। सरकार ने यह भी कहा है कि जिसने तीन डोज ले लिए हैं, उन्हें अतिरिक्त डोज की जरूरत नहीं है। सिर्फ 3 ही डोज पर्याप्त हैं।

नेजल वैक्सीन मौजूदा टीके से कैसे अलग है

इस समय भारत में लग रही वैक्सीन के दो डोज दिए जा रहे हैं। दूसरे डोज के 14 दिन बाद वैक्सीनेटेड व्यक्ति सेफ माना जाता है। ऐसे में नेजल वैक्सीन 14 दिन में ही असर दिखाने लगती है।

इफेक्टिव नेजल डोज न केवल कोरोना वायरस से बचाएगी, बल्कि बीमारी फैलने से भी रोकेगी। मरीज में माइल्ड लक्षण भी नजर नहीं आएंगे। वायरस भी शरीर के अन्य अंगों को नुकसान नहीं पहुंचा सकेगा।

यह सिंगल डोज वैक्सीन है, इस वजह से ट्रैकिंग आसान है। इसके साइड इफेक्ट्स भी इंट्रामस्कुलर वैक्सीन के मुकाबले कम हैं। इसका एक और बड़ा फायदा यह है कि सुई और सीरिंज का कचरा भी कम होगा।


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yhfee@chitthi.in, 10 June 2023

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