चीन में कहर ढा रहे कोरोना के घातक वैरिएंट BF-7 को लेकर डॉक्टर्स की चिंता बढ़ रही है। इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीडियाट्रिशियन यानी IAP के टॉप मेंबर्स ने ये माना हैं कि फिलहाल कोरोना के इस नए वैरिएंट के भारत में असर को लेकर अनिश्चितता बरकरार हैं। यही कारण है कि अलर्ट रखा गया है। लो इम्यूनिटी और पहले कोविड संक्रमित हो चुके बच्चों को लेकर खास सतर्कता बरती जा रही है। यूपी के टॉप पीडियाट्रिशियन और इस संगठन के प्रदेश प्रमुख डॉ. संजय निरंजन-
सवाल : कोरोना के इस नए वैरिएंट को लेकर क्या कहेंगे?
जवाब : फिलहाल इस नए वैरिएंट को लेकर अनिश्चितता का माहौल है। हालांकि पूरी उम्मीद हैं कि ये सीवियर नहीं होगा। मगर अलर्टनेस में कमी नहीं लानी है। ये सही समय है कि हमें सभी वैंटिलेटर रिवाइव कर लेने चाहिए। साथ ही मेडिकेशन समेत सभी तैयारियों को पूरा कर लेना चाहिए।
सवाल : BF-7 से बच्चों को कितना खतरा हैं? उनको इसकी चपेट में आने से कैसे बचाया जा सकता हैं?
जवाब : लो इम्यूनिटी के बच्चों को हमेशा से कोरोना से बचकर रहने होगा। ये पहले भी कहा गया है। वही BF-7 वैरिएंट के लिए भी यही नियम लागू है। अहम बात ये है कि अगर बच्चें इसकी चपेट में आ रहे हैं तो तुरंत उन्हें आइसोलेशन में रखकर उनका इलाज करें।
सवाल : IAP यानी इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीडियाट्रिशियन की तरफ से क्या तैयारी हैं?
जवाब : एक दिन पहले ही IAP के टॉप कोविडोलॉजिस्ट की मीटिंग हुई हैं। कोरोना के अब तक वेव में बच्चें ही सबसे ज्यादा सुरक्षित रहे हैं। हमें उन्हें इस बार भी सेफ रखना हैं। किसी भी तरह की उन्हें कोई समस्या न आए इसको लेकर भी तैयारी पूरी करनी होगी।
यूपी में 18 साल से कम उम्र की आबादी करीब 9 करोड़ हैं। वही 10 साल से कम की आबादी 5 करोड़ हैं। इनमें से ज्यादातर नेचुरल इन्फेक्शन से एक्सपोज हो चुके हैं। अगर नया वैरिएंट पहले से बदलता हैं तो और ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत हैं।
सवाल : क्या 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कोविड वैक्सीन की जरूरत हैं या नही?
जवाब : अभी के दौर में सबसे ज्यादा जरूरी CAB यानी कोविड एप्रोप्रियेट बिहेवियर की जरूरत हैं। और अगर बच्चे इसकी जद में आए तो समय रहते उनका इलाज करें। उन्हें वैक्सीन के डोज से ज्यादा इम्यूनिटी बूस्ट की जरूरत है। उनके खानपान का ध्यान रखें। भीड़-भाड़ के इलाकों में अनावश्यक जाने से भी बचें। और खुद को सुरक्षित भी रखे।
यूपी के सबसे बड़े जिला अस्पताल बलरामपुर चिकित्सालय के निदेशक और वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. रमेश गोयल कोविड कहते हैं कि पैनिक होने जैसे हालात नहीं हैं।
सवाल : अस्पताल में कोरोना से बचाव को लेकर क्या तैयारी हैं?
जवाब : मंगलवार को प्रदेश में कोविड की तैयारियों को परखने के मकसद से मॉकड्रिल का आयोजन किया जा रहा हैं। इसमें सभी तैयारियों को परखा जाएगा। बच्चों और बुजुर्गों के लिए ज्यादा सतर्कता बरतनी होगी। अभी लखनऊ समेत सभी जिलों में हालात नियंत्रण में हैं। पैनिक होने जैसे हालात नहीं हैं।
सवाल : मेरठ में 5 साल के कोरोना पॉजिटिव बच्चे को गंभीर हालत में वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया हैं। कोरोना की चपेट में आने के बाद बच्चें की गंभीर हालत कैसे हो गई होगी?
जवाब : इस मामले की मुझे पूरी जानकारी नहीं है। पर जैसा कि आप बता रहे है कि वैंटिलेटर की जरूरत पड़ी तो इसका मतलब मल्टीपल फेल्यर से जुड़ी कंप्लीकेशन्स होगी। अब कोरोना के कारण यह स्थिति हुई या फिर पहले से ही कोई गंभीर बीमारी के कारण ऐसे हालात हो गए, यह देखना पड़ेगा। संभव हैं कि बच्चे को कोमोरबीडीटी यानी किसी अन्य गंभीर बीमारी की चपेट में पहले से रहा हो और अस्पताल आने के बाद जांच में कोविड पॉजिटिव मिला हो। बहरहाल हम तैयारी पूरी रख रहे हैं और कोरोना मरीजों के वार्ड रिजर्व करके निर्धारित प्रोटोकॉल के तहत उनका इलाज किया जाएगा।