नई दिल्ली. दुनिया की सबसे बड़ी ताकत और बड़ी सेना का दम भरने वाला ची आजकल एक एसे दौर से गुजर रहा है जो कि इससे ये तमगा छिन सकता है. यानी कि अगर चीन ने अपने सैनिकों के मेंटल हेल्थ पर ध्यान नहीं दिया तो भविष्य में यह दुनिया की सबसे बड़ी ताकत और सेना नहीं रह जाएगी. एक रिपोर्ट के मुताबिक, पीएलए के हर पांच में से एक सैनिक तनाव या अन्य दिमागी बीमारी से ग्रसित हो गया है. उसकी सबसे बड़ी वजह है चीन के राष्ट्रपति के विस्तारवादी नीति और जंग लड़ने और उसे जीतने की जिद.
साउथ चाईना मॉर्निंग पोस्ट में छपी खबर के मुताबिक, चीन ने अपने सैनिकों को दिमागी तौर पर तंदुरुस्त रखने और सभी दिमागी तनाव को दूर करने के लिए बाकायदा एक नया काउंसलिंग कोर्स शुरू किया है. इसके तहत सैन्य अधिकारियों को सैनिकों से लगातार संपर्क बनाए रखने और उनकी दिमागी समस्या पर बात करने के लिए कहा गया है. ताकि उनकी दिमागी समस्या को दूर कर उन्हें जंग के लिए तैयार रखा जा सके. इस स्ट्रेस की सबसे बड़ी वजहों में से एक है हर मोर्चे पर शी जिनपिंग का अपने सैनिकों को झोंके रखना.
एक तरफ एलएसी पर भारतीय सेना के खिलाफ हाई ऑल्ट्यूड एरिया की दुश्वारियों को झेलने के लिए कड़े ट्रेनिंग से गुजारा जा रहा है. माइनस 20 से माइनस 50 डिग्री के तापमान में रहने के लिए चीनी सैनिकों को मजबूर किया जा रहा है. तो वहीं साउथ चाईना सी में ताइवान के इर्द-गिर्द ताबड़तोड़ सैन्य अभ्यास ने भी चीनी सैनिकों की हिम्मत तोड़ दी है. अगर हम भारत के साथ एलएसी पर चीनी सैनिकों की हालत पर गौर करें तो वो बेहद ही खराब है. हाई ऑलटेट्यूड एरिया में तैनाती की आदत चीनी सैनिकों को नहीं है. लिहाजा पूर्वी लद्दाख में विवाद के बाद से यानी की पिछले दो साल में चीनी सेना हर मौसम में तैनात हैं और 90 फसदी से ज्यादा सैनिकों को वो रोटेट कर चुका है.
सूत्रों की मानें तो चीन में फैले कोरोना के चलते भी सैनिकों के भीतर तनाव है. यहां तक कि उनके परिवार से मिलने पर भी पाबंदी है. चीनी पीएलए ने तो कोरोना के डर से एलएसी के पास अपने सभी कैंपों में बड़ी तादाद में क्वरंटाईन सैंटर तैयार कर लिया है. बहरहाल शी जिनपिंग के दिमाग में क्या चल रहा है ये तो ठीक-ठीक कहना मुश्किल है. लेकिन इतना तो साफ है की वो दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बनने के लिए किसी हद तक भी गुजर सकते हैं. लेकिन जंग के मोर्चे पर सैनिक ठीक से लड़ सके और जंग जीत सके इसको लेकर संशय शी के मन में अब भी बरकरार है.