राजस्थान कांग्रेस को लेकर अब तक कयास लगाए जा रहे थे कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद नेतृत्व को लेकर कोई फैसला होगा लेकिन अब नेतृत्व पर निर्णय कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन तक खिसक सकता है। कांग्रेस का अगला राष्ट्रीय अधिवेशन फरवरी में छत्तीसगढ़ में होना है। इस अधिवेशन में कांग्रेस से जुड़े कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे। यह माना जा रहा है कि नए अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस की नई वर्किंग कमेटी इसी अधिवेशन में बनेगी। ऐसे में राजस्थान सहित जिन भी प्रदेशों में पार्टी का नेतृत्व बदलना होगा, वह भी इसके बाद ही बदला जाएगा।
कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि फरवरी के तीसरे सप्ताह में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन होगा। इसमें पार्टी से जुड़े कई महत्वपूर्ण और नीतिगत निर्णय लिए जाएंगे। नया कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद यह पहला अधिवेशन है। ऐसे में अधिवेशन में उन राज्यों पर भी प्रमुखता से फोकस होगा जहां 2023 में चुनाव होने हैं।
राजस्थान में जिलाध्यक्षों की भी नहीं हुई है नियुक्ति
राजस्थान में 2020 में हुई बगावत के बाद से प्रदेश की पूरी कार्यकारिणी भंग कर दी गई। प्रदेश स्तर पर कुछ नियुक्तियां और कुछ जिलों में जिलाध्यक्ष बाद में नियुक्त हुए थे। मगर बड़ी संख्या में जिलाध्यक्षों सहित ब्लॉक अध्यक्ष और पूरी कार्यकारिणी अब भी तय होनी शेष है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव जब हुए तो कहा गया कि नाम तय कर चुनाव प्राधिकरण को भेज दिए गए हैं। मगर राजस्थान में सियासी संकट के चलते ये नाम अबतक घोषित नहीं हो पाए।
एआईसीसी सदस्य चुनेंगे वर्किंग कमेटी
सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय अधिवेशन से पहले एआईसीसी सदस्य चुने जाएंगे। उसके बाद अगर चुनाव होता है तो ये सभी सदस्य मिलकर अधिवेशन के दौरान कांग्रेस वर्किंग कमेटी के 12 सदस्यों का चुनाव करेंगे। इसके बाद 11 आमंत्रित सदस्य चुने जाएंगे। इसी के बाद एआईसीसी के महासचिव, सचिव, प्रदेश प्रभारी सहित पूरी बॉडी चैंज होगी। बता दें कि नया कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद फिलहाल कांग्रेस ने स्टीयरिंग कमेटी बनाई हुई है।
नेताओं का अंदेशा : अधिवेशन में ही तय होंगी आगे की स्थितियां
कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि भारत जोड़ो यात्रा के बाद राजस्थान में स्थितियां सामान्य हो गई है। प्रदेश सरकार अब राजस्थान के अगले बजट की तैयारियाें में जुट गई है। माना जा रहा है कि इस बार का बजट जनवरी या फरवरी के शुरुआती दिनों में आ सकता है। ऐसे में तबतक कुछ भी उठापटक होना मुश्किल है। ऐसे में फरवरी में होने वाले राष्ट्रीय अधिवेशन से ही राजस्थान में आगे की स्थितियां तय होंगी।