सड़क झोरे हो तो ले जाना तो लहसुन अचार भी पड़ेगा , अभी तो नऊआ ही पहुंचाना है बाइज्जत - कटप्पा की लौझड़

सड़क झोरे हो तो ले जाना तो लहसुन अचार भी पड़ेगा , अभी तो नऊआ ही पहुंचाना है बाइज्जत - कटप्पा की लौझड़

किस्सा नही हकीकत है , मौक़े की नज़ाकत है

एक व्यापारी युवक महिष्मति सम्राट अमरेंद्र बाहुबली की कोठी पर पहुंचा , अमरेंद्र  बाहुबली के पुत्र महेंद्र बाहुबली ने पूछा दिखते नही हो , जाओ फलानी सड़क बना लो , तुम भी क्या याद करोगे ( याद रखोगे) कटप्पा इनके नाम चढ़ा दो फलानी सड़क । व्यापारी युवक खुश , बिन मांगे मोती मिल गया और भिखमंगा भी नही कहा किसी ने ।

अगले दिन महेंद्र बाहुबली के कटप्पा का फोन पहुंचा व्यापार शिरोमणि के पास ।  बाहुबली की हजामत होनी है , भाग्यवान नउआ को लेकर लखनपुर पहुंचो 

व्यापार शिरोमणि हक्के बक्के , अमरेंद्र बाहुबली के कटप्पा बोले सड़क झोरे हो तो लाना तो लहसुन अचार भी पड़ेगा । अब की लिस्ट के मुताबिक तुम्हारा नम्बर लगा है , महिष्मति टू लखनपुर नउआ ले जाने , ले आने वालों की फेहरिस्त में तुम्हारे जैसे कई तुर्रमखां हैं क्योंकि बाहुबली की मूंछ के बाल महिष्मति वाला भाग्यवान नउआ ही टच कर सकता है । 

(लौझड़ शैली के जनक Khanzar Sutra के एडिटर अभिनव का मौजूदा राजनेताओं पर व्यंग्य )


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