राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान से गुजर गई। तमाम विवादों, बयानबाजी और खींचतान के बावजूद राहुल गांधी की यात्रा राजस्थान से बगैर किसी विवाद के गुजर गई। राहुल गांधी की राजस्थान यात्रा की खास बात ये रही कि राजस्थान में 18 दिन रहने के बावजूद राहुल गांधी ने किसी भी गुट की ओर अपना झुकाव नहीं दिखाया। पूरी यात्रा में अपने एक्शन, बातचीत, बयानों, भाषणों और रिएक्शन से राहुल ने किसी भी गुट की ओर अपना झुकाव जाहिर नहीं होने दिया। राहुल की यात्रा के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या राजस्थान में जो यात्रा से पहले तनाव था, उसे राहुल शांत करा गए।
इसे लेकर राजस्थान के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा का भी यही मानना है कि राहुल गांधी इस यात्रा से एक मैसेज देकर गए हैं कि कांग्रेस को राजस्थान में इकठ्ठे रहना है।
जानते हैं कैसी रही राहुल गांधी की राजस्थान में भारत यात्रा :
राहुल गांधी जब राजस्थान में प्रवेश करने वाले थे उससे ठीक पहले राजस्थान का माहौल बेहद तनावपूर्ण था। राहुल की एंट्री से ठीक पहले जहां सचिन पायलट एमपी में राहुल और प्रियंका गांधी से मिले थे। वहीं इसी दौरान सीएम अशोक गहलोत ने एक चैनल को इंटरव्यू देकर सचिन पायलट को गद्दार तक करार दे दिया था। इसके बाद पायलट ने भी गहलोत को जवाब दिया था। माना जा रहा था कि अब लड़ाई आमने-सामने की हो गई है।
वेणुगोपाल ने कराई सुलह और फिर झालावाड़ में डांस
यात्रा से ठीक पांच दिन पहले केसी वेणुगोपाल जयपुर आए। उन्होंने लम्बी बैठक कर गहलोत और पायलट को साथ खड़ा किया। यह बताने की कोशिश की गई कि कांग्रेस में सब ठीक है। मगर यह माना जा रहा था कि यात्रा के दौरान जरुर गुटबाजी देखने को मिल सकती है। इसके बाद 4 दिसम्बर को जब यात्रा झालावाड़ से राजस्थान में एंटर हुई तो बॉर्डर पर राहुल गांधी ने गहलोत और पायलट दोनों के साथ डांस किया।
एक तरफ गहलोत तो दूसरी तरफ पायलट चले
यात्रा में साथ चलने वाले कई वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि यात्रा में चलने के दौरान भी संतुलन नजर आया। राहुल के साथ जहां लगातार एक तरफ सचिन पायलट चले तो दूसरी ओर अशोक गहलोत भी चले। इस दौरान राहुल गांधी ने पायलट और गहलोत दोनों से चर्चा की। कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि किसी एक नेता के साथ राहुल ज्यादा बातचीत या ज्यादा घुलते-मिलते नजर आए। हालांकि पायलट के कंधे पर हाथ रखी राहुल की तस्वीर ने काफी चर्चा में रही।
हर भाषण में दोनों को जरूरी बताया
कुछ राजनीतिक जानकार और सामाजिक लोगों का कहना है कि राहुल गांधी ने जब भी भाषण दिए या मीडिया से बातचीत की तो हर बार अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों को पार्टी के लिए जरूरी बताया। ना राहुल ने कभी अनुभव को ज्यादा जरूरी बताया ना ही कभी युवाओं की पैरवी की। बयानबाजी को लेकर भी राहुल ने लगातार यह कहा कि हमारी पार्टी में लोकतंत्र है और हमारे यहां नेता डरते नहीं हैं।
दोनों गुटों के नेताओं के साथ चले राहुल
यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने दोनों गुटों के नेताओं के साथ यात्रा की। तमाम मंत्रियों और विधायकों के साथ राहुल गांधी यात्रा के दौरान रहे। पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा, मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, राजेंद्र गुढ़ा, विधायक दिव्या मदेरणा सहित तमाम चेहरे राहुल के साथ नजर आए। ऐसा नहीं हुआ कि किसी गुट के नेताओं को कम या ज्यादा समय राहुल की ओर से दिया गया। हालांकि दिव्या मदेरणा एमपी से ही लगातार राहुल के साथ यात्रा करती नजर आई।
धारीवाल के प्रदर्शन तो पायलट के नारों पर नहीं दिया रिएक्शन
राजस्थान में जब यात्रा कोटा से गुजरी तो यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने एक तरह से शक्ति प्रदर्शन किय। कोटा का कामकाज और गहलोत सरकार की मजबूती और लोकप्रियता दिखाई गई। राहुल ने सरकार के कामकाज की तारीफ तो की मगर कभी भी एक तरफा तारीफ नहीं की। इसी तरह दौसा से गुजरने के दौरान जब दोनों तरफ से सचिन पायलट के समर्थन में नारेबाजी हुई तब भी राहुल ने ना इसपर कोई भी निगेटिव या पॉजिटिव रिएक्शन नहीं दिया।
जाते-जाते गहलोत-पायलट सहित सबसे मिले गले
राहुल गांधी की यात्रा जब 21 दिसम्बर को राजस्थान से हरियाणा में प्रवेश हुई तब राहुल गांधी राजस्थान के तमाम नेताओं से गले मिले। उनकी गर्मजोशी से गले मिलते हुए तस्वीरें अशोक गहलोत, सचिन पायलट और गोविंद सिंह डोटासरा सहित तमाम नेताओं के साथ सामने आई। यहां भी तस्वीरों में दोनों तरफ के नेताओं के साथ राहुल गांधी एक जैसे ही नजर आए।
राहुल का सीधा मैसेज : गहलोत-पायलट दोनों जरूरी, बीच का रास्ता निकाला जाए
राजनीतिक जानकारों और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी ने यात्रा के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष, राजस्थान के प्रभारी और गहलोत-पायलट सहित तमाम लोगों के लिए सीधा मैसेज दिया कि उनकी नजर में उनके लिए अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों जरूरी हैं। किसी एक को कमतर नहीं आंका जा सकता। ऐसे में राजस्थान में जो भी विवाद चल रहा है कि उसे निपटाने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष और प्रभारी मिलकर बीच का रास्ता निकालें जिससे कांग्रेस को राजस्थान में नुकसान ना हो।
खड़गे-रंधावा करा सकते हैं सुलह
कांग्रेस सूत्र बताते हैं कि अब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा अशोक गहलोत और पायलट के बीच सुलह करा सकते हैं। दोनों का साधने के लिए कोई ऐसा रास्ता निकाला जा सकता है जिसके लिए दोनों गुट राजी हो जाएं। सूत्रों का कहना है कि पायलट को राजस्थान पीसीसी अध्यक्ष बनाए जाने के साथ-साथ केंद्रीय संगठन में भी अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है।