राजधानी लखनऊ के सबसे पॉश इलाके गोमतीनगर के डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान यानी लोहिया संस्थान अब ऑर्गन ट्रांसप्लांट का हब बनने जा रहा है। यहां जल्द ही सेंटर फॉर ट्रांसप्लांट बनाने की तैयारी है।
बड़ी बात ये है कि यहां बोन मैरो ट्रांसप्लांट को लेकर भी तैयारी पूरी हो चुकी है। इससे पहले लोहिया संस्थान में किडनी ट्रांसप्लांट यानी गुर्दा प्रत्यारोपण पहले से चल रहा है। कुल मिलाकर SGPGI और KGMU की तर्ज पर यहां भी ऑर्गन ट्रांसप्लांट की सुविधाएं मिलने से मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी।
नई सुविधा शुरू की जाएगी
गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों का ट्रांसप्लांट होगा। वहीं जिन मरीजों को खून से जुड़ी गंभीर बीमारी होगी, उनका बोन मैरो ट्रांसप्लांट होगा। गुर्दा प्रत्यारोपण संस्थान में पहले से चल रहा है। इसमें भी नई सुविधा शुरू की जाएगी।
सेंटर फॉर ट्रांसप्लांट में 35 बेड होंगे
संस्थान में सेंटर फॉर ट्रांसप्लांट बनेगा। इसमें करीब 35 बेड होंगे यानी एक साथ 35 लोगों का ऑर्गन ट्रांसप्लांट किया जा सकेगा। सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक के छठे और सातवें फ्लोर पर सेंटर बनाया जाएगा। इसकी डिजाइन को मंजूरी मिल चुकी है। इन दोनों फ्लोर पर संचालित पैथोलॉजी समेत दूसरे विभागों को एकेडमिक ब्लॉक में शिफ्ट किया जाएगा।
सभी उम्र के मरीजों का होगा लिवर ट्रांसप्लांट
संस्थान के अधिकारियों ने बताया कि लिवर ट्रांसप्लांट की कवायद अंतिम दौर में है। खास बात यह है कि इसमें बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिवर ट्रांसप्लांट हो सकेंगे। दिल्ली के संस्थान से मिलकर लिवर प्रत्यारोपण कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। लोहिया लिवर प्रत्यारोपण मुहैया कराने वाला लखनऊ का तीसरा सरकारी संस्थान हो जाएगा। इससे पहले KGMU और SGPGI में लिवर प्रत्यारोपण हो रहे हैं।
बोनमैरो ट्रांसप्लांट होगा
रक्त कैंसर समेत दूसरी खून संबंधी बीमारी से जूझ रहे मरीजों का बोनमैरो प्रत्यारोपण भी हो सकेगा। ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडि विभाग से मिलकर बोनमैरो प्रत्यारोपण होगा। अभी SGPGI और KGMU में भी बोनमैरो प्रत्यारोपण हो रहा है।
गुर्दा प्रत्यारोपण को मिलेगी रफ्तार
गुर्दा प्रत्यारोपण की सुविधा को और बेहतर किया जाएगा। अब तक संस्थान में करीब 150 मरीजों के गुर्दा प्रत्यारोपण हो चुके हैं। जल्द ही ब्लड ग्रुप मेल न खाने वाले गुर्दा रोगियों का प्रत्यारोपण होगा। इससे बेड की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। गुर्दा प्रत्यारोपण यूनिट में संसाधन बढ़ाए जाएंगे। ताकि मरीजों को गुर्दा प्रत्यारोपण के लिए कम इंतजार करना पड़े। अभी मरीजों को चार से पांच सप्ताह का इंतजार करना पड़ रहा है।
अभी न्यूरो साइंस का बड़ा सेंटर
लोहिया संस्थान के प्रवक्ता डॉ. एके जैन ने बताया कि संस्थान में पहले से ही मरीजों को स्तरीय चिकित्सकीय सुविधाएं दी जा रही हैं। आने वाले समय में इसमें इजाफा भी किया जाएगा। लोहिया संस्थान फिलहाल न्यूरो साइंस का टॉप सेंटर करार दिया जाता है। अब यहां लिवर और बोन मैरो ट्रांसप्लांट की भी जल्द शुरुआत होगी। अलग से डेडिकेटेड सेंटर फॉर ट्रांसप्लांट बनाया जा रहा हैं।
भारत में हर साल ऑर्गन ट्रांसप्लांट के इंतजार में होती है हजारों की मौत
भारत में हर साल किडनी, लिवर या हार्ट ट्रांसप्लांट जैसे ऑर्गन ट्रांसप्लांट के इंतजार में लाखों लोगों की मौत हो जाती है।
भारत में हर साल कम से कम 50 हजार से ज्यादा लोगों को हार्ट ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है, लेकिन उनमें से महज कुछ सौ लोगों को ही ये सुविधा मिल पाती है।
भारत में हार्ट ट्रांसप्लांटेशन के लिए महज 300 ही सेंटर हैं, जिनमें ज्यादातर दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता जैसे बड़े शहरों में हैं।
नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांटेशन ऑर्गनाइजेशन (NOTTO) के मुताबिक, देश में 2016 से 2018 के दौरान महज 300 लोगों के हार्ट ट्रांसप्लांट हुए, जबकि 1994 से 2015 के बीच तो केवल 350 हार्ट ट्रांसप्लांट ही हुए थे।
देश में हर साल 2 लाख से ज्यादा लोगों को किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है, लेकिन 15 हजार लोगों का ही किडनी ट्रांसप्लांट हो पाता है।
ऐसे ही देश में हर साल 1 लाख से ज्यादा लोगों को लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है, लेकिन केवल एक हजार लोगों को ही लिवर ट्रांसप्लांट की सुविधा मिल पाती है।