गुजरात चुनाव में कांग्रेस की करारी हार की जिम्मेदारी लेते हुए प्रभारी एवं पूर्व मंत्री डाॅ. रघु शर्मा ने बड़ा सियासी दांव खेला है। राजनीतिक हलकों में इस इस्तीफा पॉलिटिक्स के पीछे जिम्मेदारी कम सियासी पीड़ा ज्यादा दिखाई दे रही है।
दरअसल, हरीश चौधरी को जब पंजाब प्रभारी बनाया गया था तो उन्होंने एक व्यक्ति एक पद का हवाला देते हुए राजस्थान में कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसका असर यह हुआ कि गुजरात प्रभारी रघु शर्मा और पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा को भी दबाव में आकर राजस्थान में मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ गया।
कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे तय करेंगे शर्मा के भविष्य का फैसला
गुजरात विधानसभा चुनावों में हार की जिम्मेदारी लेते हुए रघु शर्मा ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को लेटर लिखकर प्रभारी पद से इस्तीफे की पेशकश कर दी है। शर्मा के इस्तीफे पर अभी खड़गे को फैसला करना है। गुजरात के प्रभारी पद पर नियुक्ति के समय शर्मा हेल्थ मिनिस्टर थे।
बजट साइज की बात करें तो इस विभाग की गिनती राजस्थान के टॉप 3 महकमों में होती है। हरीश के इस्तीफे के कारण रघु को भी सत्ता से बाहर होना पड़ा। रघु इसे लेकर खुश नहीं थे। सार्वजनिक रूप से उन्होंने यह कभी स्वीकार नहीं किया। उनके आस-पास के लोग यह बताते थे कि रघु मंत्री पद जाने के लिए हरीश चौधरी से नाराज थे।
अब रघु ने ठीक वैसा ही दांव चला है। गुजरात चुनावों में हार की जिम्मेदारी लेकर उन्होंने प्रभारी पद से इस्तीफा दे दिया। जबकि पंजाब में विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद हरीश ने इस्तीफा नहीं दिया था। ऐसे में अब रघु के इस्तीफे से हरीश पर भी दबाव बढ़ गया है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर शर्मा का इस्तीफा स्वीकार हुआ तो पार्टी चौधरी को बदलने पर भी विचार कर सकती है, क्योंकि पंजाब में तो कांग्रेस की सरकार चली गई थी।
कांग्रेस को गुजरात में इतिहास की सबसे बुरी हार मिली
गुजरात में कांग्रेस को महज 17 सीटों पर जीत नसीब हुई। ये गुजरात में कांग्रेस की सबसे बड़ी हार है। इससे पहले कांग्रेस का सबसे खराब प्रदर्शन 1995 में था। जब कांग्रेस सिर्फ 45 सीटें जीत सकी थी। मगर इस बार कांग्रेस ने हार के सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए सबसे खराब हार का रिकॉर्ड अपने नाम किया।
पंजाब में हरीश चौधरी नहीं जीता पाए
9 महीने पहले पंजाब में विधानसभा चुनाव हुए थे। चुनाव में भी कांग्रेस को बुरी हार मिली। यहां प्रभारी राजस्थान के ही पूर्व मंत्री हरीश चौधरी थे। उनके प्रभारी रहते कांग्रेस सिर्फ 18 सीटों पर सिमट गई और सत्ता गंवा दी।
यह भी तब हुआ जब किसान आंदोलन के चलते प्रमुख विपक्षी दल अकाली और बीजेपी के खिलाफ गुस्से की लहर कांग्रेस में थी।
पंजाब में कांग्रेस को यहां 25 साल की सबसे खराब हार मिली। कांग्रेस के तमाम मंत्री हार गए। नई पार्टी आम आदमी पार्टी ने सरकार बना ली। पंजाब चुनाव के बाद हरीश चौधरी के मैनेजमेंट को लेकर भी कई सवाल उठे। इससे पहले 1997 के चुनाव में ऐसा हुआ था जब कांग्रेस ने 105 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए 14 सीटें जीती थी। मगर तब देशभर में कांग्रेस विरोधी लहर थी।