सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन होना बाकी है। ऐसे में शिवपाल की पार्टी का सपा में विलय होने के बाद नए पदाधिकारियों का ऐलान होगा। सपा के सूत्र बताते हैं कि शिवपाल यादव को पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी दी जा रही है। शिवपाल सिंह यादव निकाय चुनाव में सपा के उम्मीदवारों के चयन से लेकर चुनाव लड़ाने की जिम्मेदारी भी निभाएंगे।
अखिलेश यादव के राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय होने के साथ ही UP में हुए उपचुनाव के परिणाम शिवपाल की भूमिका अहम हो गई है। मौजूदा समय की राजनीति में शिवपाल यादव पार्टी के सबसे अहम भूमिका निभाने वाले बूथ को नए सिरे से गठन करने की भी जिम्मेदारी निभाएंगे।
आइए 5 पॉइंट में समझते हैं कि शिवपाल की क्या भूमिका रहेगी...
पॉइंट 1. राष्ट्रीय महासचिव बनाया जा सकता है...
सपा के सूत्र बताते हैं कि शिवपाल को राष्ट्रीय महासचिव बनाया जाएगा। शिवपाल सिंह यादव को राष्ट्रीय महासचिव बनाकर उत्तर प्रदेश में सपा को मजबूत करने को लेकर उनकी जिम्मेदारी को अखिलेश यादव बढ़ाएंगे। शिवपाल सिंह यादव ने अपना ट्विटर का बायो और प्रोफाइल पिक्चर हटा दी है। शिवपाल नए जिम्मेदारी मिलने के इंतजार में है।
पॉइंट 2. निकाय चुनाव में सपा का बेहतर प्रदर्शन
शिवपाल सिंह यादव को सपा में पद के साथ निकाय चुनाव की जिम्मेदारी भी दी जाएगी। यूपी में निकाय चुनाव समाजवादी पार्टी के लिए 2024 लोकसभा चुनाव से पहले का बड़ी अग्निपरीक्षा भी मानी जा रही है। सपा का बेहतर प्रदर्शन निकाय चुनाव में लोकसभा चुनाव के लिए एक बड़ा कदम भी होगा। ऐसे में शिवपाल यादव निकाय चुनाव के टिकट और प्रत्याशियों के जिताने तक में बेहतर प्रदर्शन करवाने की जिम्मेदारी निभाएंगे।
पॉइंट 3. बूथ मैनेजमेंट का गठन करवाना
सपा को बूथ लेवल तक मजबूत करने की जिम्मेदारी अब शिवपाल के कंधे पर रहेगी। यह माना जा रहा है कि राष्ट्रीय महासचिव के पद के साथ शिवपाल यादव सपा के बूथ लेवल को मजबूत करके सपा को फिर से ग्राउंड लेवल पर खड़ा करेंगे। शिवपाल इस को लेकर तैयारियां भी करना शुरू कर चुके हैं। अखिलेश यादव के साथ उनके बीते दिनों हुई मीटिंग में ये बात स्पष्ट भी हुई है। फिलहाल एक बार फिर से सपा के संगठन को बूथ लेवल तक मजबूत करने की जिम्मेदारी अखिलेश यादव चाचा शिवपाल को देने जा रहे हैं।
पॉइंट 4. लोकसभा चुनाव में जिजाऊ चेहरे की तलाश
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव चाचा शिवपाल को लोकसभा चुनाव में जिताऊ चेहरे तक की तलाश की जिम्मेदारी निभाने के लिए देंगे। समाजवादी पार्टी के सूत्र बताते हैं कि शिवपाल यादव के राजनीतिक अनुभव के कंधे के सहारे अखिलेश यादव सपा को और खुद भी ग्राउंड लेवल पर जाकर संगठन को मजबूत कर में जुटे हुए हैं। अखिलेश यादव लगातार उन क्षेत्रों के दौरे पर हैं जिन क्षेत्रों में पार्टी से संबंधित कार्यक्रम या कार्यकर्ताओं के घर जाना हो रहा है। उपचुनाव के बाद अखिलेश कन्नौज में रहे और आज गुरुवार को कानपुर के दौरे पर है।
पॉइंट 5. कार्यकर्ताओं में तालमेल बैठाना
सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और प्रदेश कार्यकारिणी में शिवपाल यादव के कई ऐसे चेहरों को जिम्मेदारी दी जाएगी। जो संगठन को लेकर अपनी भूमिका निभाएंगे। निकाय चुनाव से पहले संगठन और प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया सपा में निभाई जा रही है। शिवपाल ने कार्यकर्ताओं को सपा के कार्यकर्ताओं के साथ तालमेल बढ़ाने से लेकर नए चेहरों की तलाश में जुट गए हैं। पार्टी के सूत्र बताते हैं कि नई कार्यकारिणी में सड़क से लेकर सदन तक की भूमिका निभाने वाले अच्छे जिम्मेदार कार्यकर्ताओं को पद दिया जाएगा।
कौन हैं शिवपाल जिनका सियासी गलियारों में है इतना प्रभाव
शिवपाल सिंह यादव का जन्म 6 अप्रैल 1955 को इटावा जिले के सैफई में हुआ। उनके पिता सुघर सिंह साधारण किसान थे। शुरुआती पढ़ाई गांव में ही करने के बाद शिवपाल ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की पढ़ाई मैनपुरी से की। ग्रेजुएशन इटावा से किया और बीपीएड लखनऊ यूनिवर्सिटी से पूरा किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद शिवपाल की शादी सरला यादव से हुई, उनके दो बच्चे हैं।
शिवपाल सिंह यादव की खासियत यह थी कि वह बचपन से ही सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय रहे। वह लोगों को हॉस्पिटल पहुंचाने, थाने और कचहरी में लोगों के काम कराने और सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए खूब प्रसिद्ध रहे। एक समय के बाद जनेश्वर मिश्रा जैसे बड़े नेताओं की सभा कराने का जिम्मा शिवपाल का ही होता था।
शिवपाल 1994 से 1998 के दौरान यूपी सहकारी ग्राम विकास बैंक के अध्यक्ष बने। 1996 में वह जसवंतनगर सीट से विधानसभा का चुनाव लड़े और भारी मतों से जीते। 1996 से लेकर अब तक वह लगातार इस सीट से विधायक हैं। यूपी की मुलायम और अखिलेश सरकार के समय में शिवपाल ने कई अहम मंत्रालयों का जिम्मा संभाला।
2009 में वह सपा के प्रदेश अध्यक्ष बने और मायावती के शासन में उन्होंने यूपी विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभाई। बाद में उनके, भतीजे अखिलेश से गहरे मतभेद हो गए और उन्होंने 31 जनवरी 2017 को आने वाले विधानसभा चुनावों के लिए नई पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया था।
28 सितंबर 2018 को उन्होंने अपनी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी की घोषणा कर दी और अब 2019 के लोकसभा चुनाव में वह सपा नेता रामगोपाल यादव के बेटे और अपने भतीजे अक्षय यादव के खिलाफ ताल ठोंक दी थी। फिलहाल शिवपाल यादव और अखिलेश यादव अधिक हो चुके हैं शिवपाल ने अपनी पार्टी का विलय सपा में कर दिया है। शिवपाल सिंह यादव का पूरी यूपी के सभी जिलों में पकड़ मानी जाती है।