राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) 2025 में जिसकी उम्र 100 बरस हो जाएगी। किसी भी संगठन के लिए करीब सौ साल का सफर अहम होता । लेकिन आरएसएस एक ऐसा नाम है जिसका जिक्र होते ही राजनीति के गलियारों की धड़कनें बढ़ जाती हैं। वो कहते हैं न नजरे जितनी नजदीक जाती हैं उतनी ही तरेरती हैं और इसलिए शायद आरएसएस के गठन के बाद से ही यह संगठन सवालों के घेरे में फंसा रहा। आरएसएस कांग्रेस पार्टी और खासकर राहुल गांधी के हमेशा से निशाने पर रह है। राहुल ऐसा कोई भी मौका नहीं छोड़ते जब वो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर सवाल उठाते हो और उसे देश के लिए खतरा बताते हो। इसी दौरान वो कई बार गलती भी कर जाते हैं और फिर अदालत के चक्कर लगाते नज़र आते हैं।
इन दिनों अपनी भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त है जो राजस्थान से होकर गुजर रही है। अब राहुल गांधी ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर महिलाओं को दबाने का आरोप लगाया है। राहुल ने दावा किया कि इसी वजह से संगठन में कोई महिला सदस्य नहीं है। ऐसे में राहुल गांधी के दावे में कितनी हकीकत है ये आपको बताते हैं। क्या वाकई में आरएसएस में कोई महिला सदस्य नहीं हैं, इससे भी पर्दा उठाते हैं।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से तो आप सभी परिचित होंगे। आरएसएस वर्तमान में सबसे लंबे समय से चलने वाला विश्व का सबसे बड़ा संगठन है। राष्ट्रीय सेविका समिति भारत के स्त्रियों की एक विशाल संस्था है, जो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के दर्शन के अनुरूप ही कार्य करती है। राष्ट्रीय सेविका समिति की स्थापना 1936 में विजयादशमी के दिन महाराष्ट्र के वर्धा में हुई थी। इसकी प्रथम प्रमुख संचालिका लक्ष्मीबाई केलकर थीं। जिन्हें कार्यकर्ता मौसीजी कहकर बुलाते थे।
राष्ट्रीय सेविका समिति का धेय तेजस्वी हिन्दू राष्ट्र का पुनर्निर्माण व धेय सूत्र स्त्री राष्ट्र की आधारशिला है। राष्ट्रीय सेविका समिति की पूरे देशभर में 4350 नियमित शाखाएं चलती हैं। जिसमें एक लाख से 10 लाख तक की संख्या महिला कार्यकर्ताओं की है। संगठन में दैनिक व साप्ताहिक शाखाएं लगती है। जहां शारिरीक शिक्षा बौद्धिक विकास व मनोबल को बढ़ाने के लिए कई प्रकार के उपक्रम चलाए जाते हैं। प्रतिवर्ष बैठकें वनविहार और शिविरों का आयोजन भी किया जाता है।