गुजरात उच्च न्यायालय ने मोरबी ब्रिज ढहने के मामले में एक बार फिर नगर निकाय को फटकार लगाई है। एसआईटी की रिपोर्ट में हाई कोर्ट का कहना है कि जिस कंपनी के साथ एमओयू हुआ था, उसने गैर सक्षम एजेंसी को काम आउटसोर्स किया था। मोरबी नगर पालिका और राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के समक्ष हलफनामा पेश किया। राज्य सरकार के हलफनामे के अनुसार मृतकों के परिवारों को अतिरिक्त मुआवजा दिया जाएगा। प्रत्येक मृतक को कुल 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। पुल गिरने की घटना में घायल हुए लोगों को एक-एक लाख रुपये मुआवजा दिया जाएगा।
गुजरात उच्च न्यायालय ने अक्टूबर 2022 में 135 लोगों की जान लेने वाली मोरबी ब्रिज ढहने की घटना से संबंधित चल रही जनहित याचिका में अदालत की सहायता के लिए आज दो युवा अधिवक्ताओं को एमिकस क्यूरी के रूप में नियुक्त किया। जिन दो अधिवक्ताओं को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया गया वे अधिवक्ता वरुण पटेल और प्रिया पंचाल हैं। अदालत एक स्वत: संज्ञान याचिका पर सुनवाई कर रही थी और अदालत ने कहा कि पुल को फिर से खोलने से पहले कोई भार परीक्षण नहीं किया गया था। अदालत ने गुजरात सरकार को ऐसे स्थानों का समय-समय पर ऑडिट करने का आदेश दिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में कोई घटना न हो।