सुनक सरकार का बड़ा कदम: PAK में हिंदू लड़कियों की मुस्लिमों से जबरन शादी करवाने वाले मौलवी पर लगाया बैन

सुनक सरकार का बड़ा कदम: PAK में हिंदू लड़कियों की मुस्लिमों से जबरन शादी करवाने वाले मौलवी पर लगाया बैन

लंदन: पाकिस्तान के एक कट्टर मौलवी को ऋषि सुनक सरकार ने जबरन हिन्दू लड़कियों का विवाह मुस्लिम मर्दों से कराने के आरोप में प्रतिबंधित लोगों की सूची में डाल दिया है. पाकिस्तानी अखबार डॉन न्यूज़ की एक रिपोर्ट के अनुसार सिंध के एक विवादास्पद मौलवी को शुक्रवार को ब्रिटिश सरकार की प्रतिबंध सूची में रखा गया, जिससे पाकिस्तान उन 11 देशों में शामिल हो गया जहां अधिकारों का उल्लंघन करने वालों को दंडित किया जाएगा. यह मौलवी लंबे समय से नाबालिग हिन्दू लड़कियों का जबरन विवाह मुस्लिम मर्दों से करा रहा था.

डॉन न्यूज़ से बातचीत में ब्रिटिश उच्चायोग ने बताया कि यूके धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता को बहुत गंभीरता से लेता है और दुनिया भर में अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. प्रतिबंधों का नया पैकेज मौलिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने वालों को लक्षित करता है. इसमें सिंध में भरचुंडी शरीफ दरगाह के एक मौलवी मियां अब्दुल हक शामिल हैं, जो गैर-मुस्लिमों और नाबालिगों के जबरन विवाह और जबरन धर्म परिवर्तन के लिए जिम्मेदार हैं. मौलवी के अतिरिक्त इस प्रतिबंध पैकेज में कोई अन्य पाकिस्तानी नागरिक शामिल नहीं है.

क्या होंगे प्रतिबंधों के परिणाम

प्रतिबंधों का प्रभावी रूप से मतलब है कि नामित मौलवी यूके के नागरिकों या व्यवसायों के साथ कोई व्यवसाय करने या आर्थिक गतिविधि करने में असमर्थ होंगे, और उन्हें यूके में प्रवेश से वंचित कर दिया जाएगा. मियां मिठू के नाम से मशहूर मौलवी ऊपरी सिंध में नाबालिग हिंदू लड़कियों के जबरन धर्मांतरण और उनकी शादी में कथित संलिप्तता के लिए कुख्यात है. हालांकि इस मौलवी ने कई मौकों पर आरोपों का खंडन किया है और सिंध में धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देने का दावा भी किया है.

यह मौलवी तब सुर्खियों में आया था जब इसने एक हिंदू लड़की रिंकल कुमारी, जिसे बाद में फरयाल नाम दिया गया था, को फरवरी 2012 में एक स्थानीय मुस्लिम, नवीद शाह से शादी करा इस्लाम अपनाने को मजबूर किया था. साथ ही मौलवी ने एक बार और तब सुर्खियाँ बटोरीं जब कथित तौर पर उसने ईशनिंदा की एक कथित घटना के विरोध में बड़ी संख्या में लोगों का नेतृत्व किया था. 2008 में, पीर ने पीपीपी के टिकट पर नेशनल असेंबली सीट जीती, लेकिन पार्टी ने 2012 में उन्हें पार्टी ने टिकट देने से इनकार कर दिया.

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