काबुल: तालिबान के कब्जे के बाद से अफगानिस्तान इन दिनों आर्थिक संकट से जूझ रहा है. देश को भुखमरी के बाद अब ठंड का डर सता रहा है. संयुक्त राष्ट्र बाल आपातकालीन कोष (यूनिसेफ) ने अफगानिस्तान में 10 हजार गरीब परिवारों को ठंड से बचने के लिए आर्थिक मदद देने की घोषणा की है. देश की ज्यादातर आबादी को दैनिक जरूरतें पूरा करने के लिए मदद की सख्त आवशयकता है. इसकी जानकारी खुद यूनिसेफ ने ट्वीट कर दी है.
खामा प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता काबिज होने के बाद से देश के लोग भूख से पीड़ित हैं. वहां के लोगों के पास अब ठंड से बचने के लिए गर्म करने वाली वस्तुओं को खरीदने तक के लिए पैसे नहीं हैं. इंटरनेशनल कमेटी ऑफ द रेड क्रॉस (आईसीआरसी) की रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान में 20 मिलियन यानी (2 करोड़) से अधिक लोग भोजन की कमी का सामना कर रहे हैं.
डब्ल्यूएचओ (WHO) के आकड़ों के अनुसार, अफगानिस्तान में 34000 बच्चे कुपोषित हैं, जिन्हें अस्पतालों में भर्ती कराया गया है. शरणार्थियों की संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) की एक रिपोर्ट के अनुसार 4.6 मिलियन यानी (46 लाख) से अधिक लोगों को नकद सहायता प्राप्त हुई है. भारत ने इस वर्ष अफगानिस्तान को सहायता प्रदान की थी. भारत से 2,500 टन गेहूं की मानवीय सहायता की खेप 26 फरवरी को पाकिस्तान के माध्यम से अफगानिस्तान के जलालाबाद में भेजी गई थी. इसके बाद 2,000 मीट्रिक टन गेहूं लेकर भारत की मानवीय सहायता का दूसरा खेप 3 मार्च को अटारी, अमृतसर से जलालाबाद, अफगानिस्तान के लिए रवाना हुआ था. इसके अलावा, भारत ने 8 मार्च को अटारी-वाघा सीमा के माध्यम से 40 ट्रकों में 2,000 मीट्रिक टन गेहूं की तीसरी खेप और भेजी थी.