नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अपने परिसर में दिव्यांग लोगों को पेश आने वाली हर तरह की कठिनाइयों को समझने और न्याय प्रणाली तक उनकी बेहतर पहुंच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक व्यापक एक्सेसिबिलिटी ऑडिट (accessibility audit) कराने का फैसला लिया है. हर साल 3 दिसंबर को मनाए जाने वाले विकलांग व्यक्तियों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस (International Day of Persons with Disabilities) पर प्रधान न्यायाधीश (Chief Justice) डीवाई चंद्रचूड़ ने एक जज की अध्यक्षता में इस बारे में सुप्रीम कोर्ट की एक कमेटी का गठन किया.
सुप्रीम कोर्ट से जारी एक एक बयान में कहा गया कि इस समिति की अध्यक्षता न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट करेंगे. उनको भौतिक और साथ ही तकनीकी पहुंच की भी एक्सेसिबिलिटी ऑडिट करने के लिए कहा गया है. इस समिति को विकलांग व्यक्तियों के लिए एक प्रश्नावली तैयार करने और उसे जारी करने का भी काम सौंपा गया है. जो सुप्रीम कोर्ट परिसर में आने वाली समस्याओं की प्रकृति और मात्रा का पता लगाने के लिए बनाई जाएगी. सुप्रीम कोर्ट के बयान में कहा गया है कि समिति सुप्रीम कोर्ट के वकीलों, मुवक्किलों और प्रशिक्षुओं से भी इनपुट देने के लिए कहेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस समिति में बेंगलुरु की नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर भी शामिल होंगे. यह समिति एक रिपोर्ट तैयार करेगी. जिसमें ऑडिट और सर्वे के नतीजे शामिल होंगे और ये विकलांग लोगों को काम करने में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए प्रस्तावों की सिफारिश करेगी. सुप्रीम कोर्ट से जारी बयान में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट में कार्यरत एक विकलांग व्यक्ति, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा नामित एक विकलांग वकील और नालसर यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ (NALSAR University of Law) में सेंटर फॉर डिसएबिलिटी स्टडीज से नामित किया गया एक व्यक्ति इस समिति के अन्य सदस्य होंगे. सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री का एक अधिकारी इस समिति का सदस्य सचिव होगा.