अक्सर लोग अपनी दुकान का ऐसा नाम रखते हैं जो शुभ हो। मगर, आगरा के दो युवाओं ने अपने स्टार्टअप का नाम ऐसा रखा है जिससे लोग अक्सर बचना चाहते हैं। उन्होंने पनौती नाम से अपनी टी शॉप खोली है। ये नाम लोगों को लुभा रहा है। इस नाम को रखने के पीछे दोनों ने एक दिलचस्प कहानी बताई।
उनका कहना है कि दोनों बचपन के दोस्त हैं। मगर, कुछ भी काम करते थे तो फ्लॉप हो जाता था। लोग उन्हें पनौती कहते थे, ऐसे में उन्होंने पनौती को ही अपने नए स्टार्टअप का नाम बना दिया। उनका कहना है कि इसे हम पॉजिटिव-वे में लेकर चल रहे हैं। दुनिया में बहुत से लोग हैं, जिनके काम नहीं बनते। ऐसे लोगों की पनौती हटाने के लिए हमने पनौती चाय वाला के नाम से दुकान खोले हैं। यहां आइए, चाय पीजिए और कुछ नया सोचिए।
आगरा के ट्रांस यमुना कालोनी फेस-टू निवासी दो युवा अभिषेक राठौर और रोमिल शर्मा बचपन के दोस्त हैं। साथ पढ़ाई लिखाई की। 2018 में इंटर के बाद दोनों ने कुछ बड़ा करने की सोची। अभिषेक को आईआईटी में जाना था तो वो तैयारी के लिए कोटा चले गए। रोमिल आर्मी में भर्ती होने के लिए तैयारी में जुट गए। मगर, एक साल बाद दोनों का मन हट गया। दोनों दोस्त मिले तो मिलकर कुछ करने की सोची।
सोशल मीडिया का दौर था तो उन्होंने भी यूट्यूबर बन पैसा कमाने का सोचा। दोनों ने अपना थ्री टू वन नाम से एक चैनल बनाया। कई महीनों तक चैनल पर वीडियो डाले। लोग उनका मजाक भी बनाते थे। मगर, वो काम करते रहे। मगर, बहुत मेहनत के बाद भी उन्हें पहचान नहीं मिली। एक साल बाद जब वहां से कुछ होता नहीं दिखा तो दोनों ने युवाओं को एक प्लेटफॉर्म पर लाने के लिए एप बनाने का सोचा। एप बनाने के लिए काफी पैसा जुटाया। काफी समय भी दिया। इसी बीच कोविड आ गया और लॉकडाउन लग गया। उनका एप बनाने का काम भी रुक गया। जितनी जमा पूंजी थी वो लगा दी।
सब पनौती बोलने लगे, ट्रेन में आया आइडिया
रोमिल शर्मा ने बताया कि लॉक डाउन खत्म होने के बाद दोनों के पास कोई काम नहीं था। एप पर खर्चा होने के बाद जेब में भी कुछ नहीं था। घर वालों से नया काम करने के लिए रुपए मांगते तो वो भी कुछ जवाब नहीं देते। दोस्त दोनों को पनौती कहने लगे। कहते कि तुम दोनों का कुछ नहीं होगा। तुम जो काम करोगे वो ठप हो जाएगा। दोनों की पनौती हो। घरवाले की जाने-अनजाने अलग-अलग काम करने की बात कह देते थे। दोनों कुछ ऐसा काम करने की सोच रहे थे, जिसमें लागत कम हो और किसी दूसरे के भरोसे न हो। एक दिन दोनों ट्रेन से दिल्ली जा रहे थे। ट्रेन में चाय वाले को देखकर उनके मन में चाय का काम करने का ख्याल आया। ट्रेन में बैठे-बैठे दोनों ने तय कर लिया कि अपनी पनौती के नाम से ही दुकान खोलेंगे।
घर वाले नहीं करने देते काम
अभिषेक और रोमिल ने बताया कि चाय की दुकान खोलने और उसका पनौती नाम रखने के बारे में किसी को नहीं बताया। उन्होंने पहले चाय को लेकर रिसर्च की। एमबीए चाय वाला की यूट्यूब पर वीडियो देखा। इसके बाद आपने घर के आसपास चाय की दुकानों पर युवाओं की भीड़ देखी। उनको लगा कि अब युवा भी चाय पीते हैं तो उन्हें उनके हिसाब से ही चाय का टेस्ट देना है।
दोनों ने आगरा के चाय सुट्टा बार, चाय बार सहित करीब 100 से ज्यादा दुकानों पर चाय पी। वहां आने वाले युवाओं से बात की। उन्हें पता चला कि उनके एरिया के लोग चाय पीने इतनी दूर आते हैं। चाय पीने के लिए वो 100 रुपए तक खर्च करने को तैयार हैं। ऐसे में उन्होंने पनौती चाय वाला के नाम से अपना स्टार्ट अप शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि घर वालों को बिना बताए काम किया है। अगर घर पर बताते हो वो चाय का काम नहीं करने देते और पनौती नाम से तो बिल्कुल भी नहीं।
पहले दिन से मिल रहा रिस्पांस
अभिषेक ने बताया कि हमने पनौती को पॉजिटिव वे में लिया है। युवाओं से कनेक्ट होने के लिए हमने चाय का अलग-अलग फ्लेवर दिए हैं। इसमें सरकारी नौकरी चाय, सोशल मीडिया चाय, रिलेशनशिप चाय और बेरोजगार चाय हैं। इन चाय के नाम के पीछे उनका तर्क है कि आज युवा बेरोजगार है। सरकारी नौकरी की चिंता है। कुछ लोग गर्लफ्रेंड न होने या ब्रेकअप होने से परेशान हैं तो किसी को सोशल मीडिया पर लाइक न मिलने की टेंशन हैं। ऐसे में इन लोगों के लिए हमने स्पेशल चाय बनाई है। ये चाय पीजिए और दिमाग को खोलिए और नया करने की सोचिए। दोनों ने बताया कि वो पहले दिन से ही करीब 300 कुल्हड़ चाय बेच रहे हैं। शाम को छह से रात 10 बजे तक युवाओं की भीड़ रहती है।
फंड कम था इसलिए दुकान खोली
रोमिल ने बताया कि दोनों ने 50 हजार रुपए से स्टार्टअप शुरू किया है। 15 दिन दोनों ने खुद चाय बनाने की प्रैक्टिस की। इस बार वो केवल अपने दम पर ही काम करना चाहते थे। फंड कम था इसलिए दुकान खोली है, लेकिन अब जल्द ही वो पूरा सेटअप लगाएंगे। जहां आराम से बैठकर चाय पी जा सके।