UP: बांके-बिहारी को अमेरिकी भक्त ने भेजी 251 डॉलर की माला; जन्मदिन पर 2 लाख की ड्रेस पहनाई गई

UP: बांके-बिहारी को अमेरिकी भक्त ने भेजी 251 डॉलर की माला; जन्मदिन पर 2 लाख की ड्रेस पहनाई गई

वृंदावन में आज बांके बिहारी का प्रकाट्य उत्सव है। वैदिक मंत्रों के साथ भगवान कृष्ण की प्राकट्य स्थली का 350 किलो दूध, 150 किलो दही के साथ ही देसी घी, शहद और बुरा से अभिषेक किया गया। कृष्ण के बाल रूप को विशेष पीले रंग की पोशाक पहनाई गई। इसकी कीमत 2 लाख रुपए बताई जा रही है। इतना ही नहीं अमेरिका में रहने वाले भक्त अभिषेक ने बांके बिहारी के लिए 251 डॉलर की माला भेजी है। शोभायात्रा भी निकाली गई।

साथ ही ठाकुरजी को केसर युक्त मूंग की दाल का हलवे का भोग भी लगाया गया। देसी और विदेशी फूल से करीब 500 किलो फूलों से मंदिर को सजाया गया है। रंग-बिरंगी लाइटें भी लगाई हैं। देर शाम तक 1.50 लाख से ज्यादा श्रद्धालु आएंगे। यह बांके बिहारी का 542वां प्राकट्य उत्सव है। अगहन माह की शुक्ल पक्ष पंचमी को 542 साल पहले संत स्वामी हरिदास ने संगीत साधना से यहां पर भगवान बांके बिहारी यानी श्रीकृष्ण के बाल रूप को प्रकट किया था।

5 क्विंटल दूध, दही से हुआ अभिषेक

भगवान बांके बिहारी की प्राकट्य स्थली निधिवन में है। सोमवार सुबह 4 बजे मंदिर के पट खुले। भक्तों ने मंदिर में साफ-सफाई की। इसके बाद श्रद्धालुओं का आने का सिलसिला शुरू हो गया। मंदिर के पुजारियों ने वैदिक मंत्रों के बीच प्राकट्य स्थली का करीब 350 किलो दूध,150 किलो दही के अलावा देसी घी, शहद और बुरा से पंचामृत अभिषेक किया।

भक्तों ने लगाए जयकारे

भगवान बांके बिहारी जी की प्राकट्य स्थली का अभिषेक होते ही भक्त आनंदित हो उठे। पूरा मंदिर परिसर भगवान बांके बिहारी लाल के जयकारों से गूंज उठा। अभिषेक के बाद मंदिर के पुजारियों ने प्राकट्य स्थली की आरती की। इसके बाद भक्त बधाई देने लगे।

11000 दीपों से रोशन हुआ निधिवन

प्राकट्य उत्सव पर लुधियाना के भक्तों ने 11 हजार दीपक जलाए। 5100 दीपक बांके बिहारी मंदिर पर जबकि 6100 दीपक निधिवन में जलाए। भक्त मंडल के सदस्य कपिल दुआ, अंकुर थापर, अरुण जौहर, सौरभ आहूजा , रोहित जौहर, मनीष मेहता सहित 60 से 70 भक्त बांके बिहारी की प्राकट्य स्थली निधिवन में दीपक जलाते हुए नजर आए।

चांदी के रथ पर निकाली जा रही भव्य शोभायात्रा

स्वामी हरिदास के चित्र को भगवान बांके बिहारी को बधाई देने निधिवन से बांके बिहारी मंदिर ले जाया जा रहा है। निधिवन से चांदी के रथ पर स्वामी हरिदास का भव्य चित्र विराजमान किया गया है। आगरा, दिल्ली, नागपुर, पुणे, मथुरा और वृंदावन के बैंडों की भक्ति मय धुन के साथ हजारों भक्त बधाई गीत गाते हुए शोभायात्रा में शामिल हुए हैं।

बांके बिहारी को बधाई देने जाएंगे स्वामी हरिदास

शोभायात्रा नगर के विभिन्न मार्गों से होती हुए बांके बिहारी मंदिर पहुंचेगी। मंदिर के पुजारी स्वामी हरिदास के चित्र को आधे घंटे के लिए भगवान बांके बिहारी के सामने ले जाएंगे। स्वामी हरिदास अपने लाडले को प्राकट्य उत्सव की बधाई देंगे। इसके बाद पंच मेवा से बने हलवा का प्रसाद अर्पित होगा और फिर आरती होगी।

शाम को होगी भजन संध्या

भगवान बांके बिहारी को बधाई देने का सिलसिला पूरे दिन चलेगा। शाम को निधिवन में भजन संध्या होगी। इसमें गायिका पूनम दीदी अपने भजनों से श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध करेंगी। इसके बाद देर रात आतिशबाजी की जाएगी।

सुरक्षा के लिए एक प्लाटून PAC, 200 पुलिसकर्मी तैनात

जन्माष्टी पर हुए हादसे के बाद प्रशासन अलर्ट है। प्रकाट्य उत्सव पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। एक प्लाटून PAC के अलावा 200 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। सीओ सदर प्रवीन मलिक ने बताया कि श्रद्धालुओं को गेट संख्या 2 और 3 से प्रवेश दिया जा रहा है। जबकि 1 और 4 से निकासी दी जाएगी। बता दें, जन्माष्टी पर श्रद्धालुओं की भीड़ के चलते दो लोगों की मौत हो गई थी।

रूट डायवर्जन किया गया है

बांके बिहारी के प्रकाट्य उत्सव को लेकर मथुरा वृंदावन में ट्रैफिक डायवर्ट रहेगा। देर शाम तक वृंदावन में बाहरी वाहनों एंट्री बैन रहेगी। छटीकरा-वृदांवन मार्ग पर मल्टीलेवल पार्किंग, यमुना एक्सप्रेस वे से वृंदावन के लिए आने वाले वाहन दारुख पर्किंग, पानीघाट तिराहे पर वाहनों को रोक दिया जाएगा।

पार्किंग की है अलग व्यवस्था

मथुरा से आने वाले वाहनों को पागल बाबा मंदिर के पास नगर निगम की पार्किंग में खड़े कराए जाएंगे। छटीकरा वृंदावन मार्ग पर माता वैष्णो देवी मंदिर के सामने , मल्टीलेवल पार्किंग, अन्नपूर्णा पार्किंग, प्रेम मंदिर के पीछे सुनरख तिराहा मोड़ पर पार्किंग बनाई गई है। स्थानीय नागरिक अपना पहचान पत्र दिखाकर अपने निवास के लिए जा सकते हैं। आपातकालीन वाहनों पर कोई भी प्रतिबंध लागू नहीं होगा

बांके बिहारी मंदिर की मान्यता

बांके बिहारी को एक टक नजर से न देखने के पीछे एक कहानी प्रचलित है। कहा जाता है कि एक बार राजस्थान के एक राजा बांके बिहारी के दर्शन करने वृंदावन आए और वे भगवान बांके बिहारी की नजरों से नजरें मिलाकर उन्हें एक टक देखते रहे। इसके बाद राजा अपने राज्य वापस चले गए। कुछ देर बाद मंदिर के सेवायतों ने मंदिर में आकर देखा तो वहां भगवान मौजूद नहीं थे। इस घटना से मंदिर के पुजारियों में हड़कंप मच गया।

भगवान की स्तुति की गई तो पता चला कि भगवान वहां से अपने भक्त के प्रेम के अधीन होकर वहां से उनके साथ ही चले गए हैं। काफी प्रार्थना के बाद भगवान को मंदिर में फिर से स्थापित किया गया। तब से लेकर आज तक यहां किसी को भी भगवान को एकटक देखने की इजाजत नहीं दी जाती है। सेवायत पुजारी इस बात का विशेष ख्याल रखते हैं कि कोई भी भक्त इन्हें लगातार न देख सके। इसके लिए मूर्ति के सामने थोड़ी-थोड़ी देर में पर्दा डाला जाता है।

धातु की नहीं है मूर्ति

मंदिर में मौजूद भगवान कृष्ण की प्रतिमा किसी कारीगर या वास्तु शिल्पकार द्वारा निर्मित नहीं है, बल्कि स्वयं उत्पन्न प्रतिमा है। इसकी खासियत यह है कि यह प्रतिमा किसी पत्थर या अन्य धातु से नहीं, बल्कि लकड़ी की बनी हुई है।


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yhfee@chitthi.in, 10 June 2023

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