इटावा में दिन पर दिन बंदरों का आतंक बढ़ रहा है। जिसके चलते बंदर बच्चों और बड़ों दोनों को अपना शिकार बना रहे हैं। भरथना क्षेत्र में लगातार एक खूंखार बंदर ने 4 बच्चों को हाल ही में अपना शिकार बनाया था। पांच दिन पूर्व बढ़पुरा क्षेत्र के उड़ी क्षेत्र में एक शिक्षिका के ऊपर भी बंदर ने हमला कर दिया था, जिसमें शिक्षिका के चेहरे और हाथ में काफी चोट आई थी। वहीं शहर में भी इन बंदरों का आतंक बना हुआ है। रेलवे स्टेशन पर पाए जाने वाले इन बंदरों ने यात्रियों का जीना मुहाल कर रखा है। हाथ में खाने पीने की सामग्री देख तुरंत हमला कर देते हैं साथ ही वहां के दुकानदार भी खासे परेशान हैं।
उदी बढपुरा विकास खंड क्षेत्र ग्राम पंचायत कामेत के हविलिया गांव में इन दिनों बंदरों का आतंक बना हुआ है। गांव के अभी तक एक दर्जन से अधिक लोगों पर हमला कर चुके हैं। बीते वुधवार को गांव प्राथमिक विद्यालय मे महिला अध्यापक प्रिया त्रिपाठी स्कूल के बच्चों को होमवर्क दे रही थीं। उसी दौरान दो बंदर स्कूल के अंदर घुस गए। बच्चों को बंदरों से बचाने के दौरान बंदरों ने महिला अध्यापक पर हमला कर दिया। जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गईं। वहीं बंदरों के हमले से स्कूल में भगदड़ मच गई। गांव के लोगों ने आकर उन बंदरों को खदेड़ा।
गांव के लोगों ने बताया कि कई माह से इन बंदरों का गांव में आतंक बना हुआ है। आए दिन किसी ना किसी व्यक्ति पर हामला कर देते हैं। इससे पूर्व गांव के सुनील, जबर सिंह, ऋषि सहित करीब आधा से अधिक लोगों पर हमला कर चुके हैं। क्षेत्रीय लोगों ने वनविभाग से आह्वान किया था कि स्कूल के आसपास उत्पाती बंदरों को खदेड़ा जाए। हालांकि विभाग की ओर से कार्रवाई नही की गई।
भरथना क्षेत्र के ग्राम नगला सबल में कटखने बंदर ने चार बच्चों पर हमला कर घायल कर दिया था, बंदर के हमले से ग्रामीण परेशान थे। उसके हमले से पूरे गांव में दहशत का माहौल बना गया था। पिछले सप्ताह रविवार सुबह ग्राम नगला सबल निवासी अनिल कुमार की छोटी पुत्री छवि, प्रमोद कुमार की पुत्री परी, देवेंद्र के पुत्र अंश तथा धर्मेंद्र के पुत्र अनुरुद्ध पर उस समय हमला बोल दिया, जब सभी बच्चे अपने-अपने घरों के बाहर खेल रहे थे। एसडीएम कुमार सत्यम जीत की सूचना पर पिंजड़ा लेकर बंदर को पकड़ने के लिए वन विभाग की टीम पहुंची थी। घायल बच्चों को समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर भर्ती करवाया गया था। भरथना क्षेत्र के सालिमपुरा में पिछले 2 माह में दो दर्जन से अधिक बच्चे और बुजुर्गों को बंदर घायल कर चुके हैं।
जिला वन अधिकारी अतुलकांत शुक्ला ने बताया कि बंदर पुराने समय से मनुष्यों के साथ में ही रहते हैं। इस समय थोड़ा सा इनके प्राकृतिक वास कम होने के कारण यह आबादी क्षेत्र में ज्यादा आ गये हैं। इनको भोजन जहां से मिलता है, अगर वहां से भोजन न मिले, तो हमलावर हो जाते हैं। इसलिए भोजन देने की आदत न डालें। अभी हाल ही में भरथना से कई शिकायतें आईं थी, जिसमें हमला करने वाले एक बंदर को ट्रैप करके उसको आबादी से दूर छोड़ा गया था। उदी क्षेत्र में एक शिक्षिका के ऊपर भी बंदर ने हमला किया था। उसको ट्रैप करने का प्रयास कर रहे है। जहां जहां से सूचना मिलती है, वहां पिंजड़ा लगवाया जाता है।
उनको प्राकृतिक वास में छोड़ा जाता है। इस पर शासन स्तर पर योजना तैयार की जा रही है। बंदरों के लिए भी एक क्षेत्र बनाए जायें, जिससे की इनका रेस्क्यू करके उसमें रखा जाए। क्योंकि इनको एक जगह से दूसरी जगह छोड़े जाने पर यह फिर से मनुष्यों के बीच जाते हैं। फिर से हमला कर देते हैं। इसलिए रेस्क्यू सेंटर बनाया जाना आवश्यक है।